Gangaur Vrat Katha: गणगौर व्रत की कथा हिंदी में, पौराणिक कहानी से जानें क्यों पति से छुपकर रखते हैं ये व्रत

Gangaur 2022 Vrat Katha in Hindi: गणगौर का व्रत मारवाड़ी समुदाय में खासतौर पर रखा जाता है। 16 दिन तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत 18 मार्च 2022 से हुई, जो कि आज यानी 04 अप्रैल को मनाया जा रहा है। जानें गणगौर व्रत की कथा और इसका महत्व।

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Gangaur vrat story: क्यों पति से छुपाया जाता है 
मुख्य बातें
  • इस साल 04 अप्रैल को मनाया जा रहा है गणगौर का त्योहार।
  • गणगौर तीज को सौभाग्य तृतीया के नाम से भी जाना जाता है।
  • जानें गणगौर तीज की व्रत कथा हिंदी में।

Gangaur 2022 Vrat Katha in Hindi: गणगौर का पर्व राजस्थान समेत उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात जैसे उत्तरीय पश्चिम इलाके में मनाया जाता है। यह 16 दिन तक लगातार मनाए जाने वाला लोक पर्व है। इसके लिए कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं। खास बात ये है कि इस व्रत को पति से छुपाकर रखा जाता है। साल 2022 में गणगौर की शुरुआत 18 मार्च 2022 (Gangaur 2022 start date) से हुई थी जिसे आज यानी 4 अप्रैल (Gangaur 2022 End Date) को मनाया जा रहा है। मान्यता है कि भगवान शिव ने माता पार्वती को और माता पार्वती ने संपूर्ण स्त्रियों को सौभाग्यवती होने का वरदान दिया था। माना जाता है कि गणगौर का मतलब गण शिव और गौर माता पार्वती से है। इस व्रत में व्रत कथा का भी महत्व है जिसमें इसके पौराणिक आधार का वर्णन किया गया है। 

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Gangaur ki Kahani, गणगौर व्रत की कथा

गणगौर की व्रत कथा के मुताबिक, एक बार भगवान शिव और माता पार्वती वन में गए। और चलते-चलते वे दोनों बहुत ही घने वन में पहुंच गए। तब माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि हे भगवान मुझे प्यास लगी है। इस पर भगवान शिव ने कहा कि देवी देखों उस ओर पक्षी उड़ रहे हैं उस स्थान पर अवश्य ही जल मौजूद होगा।

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पार्वती जी वहां गई, उस जगह पर एक नदी बह रही थी। पार्वती जी ने पानी की अंजलि भरी तो उनके हाथ में दूब का गुच्छा आ गया। जब उन्होंने दूसरी बार अंजलि भरी तो टेसू के फूल उनके हाथ में आ गए। और तीसरी बार अंजलि भरने पर ढोकला नामक फल हाथ में आ गया।

इस बात से पार्वती जी के मन में कई तरह के विचार उठने लगे। परन्तु उनकी समझ में कुछ नहीं आया। उसके बाद भगवान शिव शंभू ने उन्हें बताया कि आज चैत्र शुक्ल तीज है। विवाहित महिलाएं आज के दिन अपने सुहाग के लिए गौरी उत्सव करती हैं। गौरी जी को चढ़ाएं गए दूब, फूल और अन्य सामग्री नदी में बहकर आ रहे थे।

इस पर पार्वती जी ने विनती की कि हे स्वामी दो दिन के लिए आप मेरे माता-पिता का नगर बनवा दें। जिससे सारी स्त्रियां वहीं आकर गणगौर के व्रत को करें। और मैं खुद ही उनके सुहाग की रक्षा का आशीर्वाद दूं।

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भगवान शंकर ने ऐसा ही किया। थोड़ी देर में ही बहुत सी स्त्रियों का एक दल आया तो पार्वती जी को चिन्ता हुई और वो महादेव जी से कहने लगी कि हे प्रभु मैं तो पहले ही उन्हें वरदान दे चुकी हूं। अब आप अपनी ओर से सौभाग्य का वरदान दें।

पार्वती जी के कहने पर भगवान शिव ने उन सभी स्त्रियों को सौभाग्यवती रहने का वरदान दिया। भगवान शिव और माता पार्वती ने जैसे उन स्त्रियों की मनोकामना पूरी की, वैसे ही भगवान शिव और गौरी माता इस कथा को पढ़ने और सुनने वाली कन्याओं और महिलाओं की मनोकामना पूर्ण करें।

जानें गणगौर पूजा का महत्व

गणगौर पूजा महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए यह पूजा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। माना जाता है जो सुहागिन गणगौर व्रत करती हैं तथा भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं उनके पति की उम्र लंबी हो जाती है। वहीं, जो कुंवारी कन्याएं गणगौर व्रत करती हैं उन्हें मनपसंद जीवनसाथी का वरदान प्राप्त होता है। इस पर्व को 16 दिन तक लगातार मनाया जाता है और गौर का निर्माण करके पूजा की जाती है। ‌

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