Kartarpur Sahib gurdwara: पाकिस्तान में बसा है यह गुरुद्वारा, यहां श्रद्धालु करते हैं दूरबीन से दर्शन

आध्यात्म
Updated Nov 23, 2018 | 10:34 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Kartarpur Sahib gurdwara: करतारपुर साहिब सिखों के लिए बेहद पवित्र स्‍थान है जो सिखों के प्रथम गुरु, गुरुनानक देव जी का निवास स्‍थान था और यहीं पर उनका निधन हुआ था। जानें महत्व...

Gurdwara Sri Kartarpur Sahib
Gurdwara Sri Kartarpur Sahib 

Kartarpur Sahib gurdwara: कार्तिक पूर्णिमा के दिन देशभर में गुरु नानक का प्रकाश उत्सव मनाया जाता है। सिखों के पहले गुरु नानक देव जी का जन्म 1526 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ। सिख धर्म के अनुयायी इस दिन को प्रकाश उत्सव और गुरु पर्व के नाम से मनाते हैं। सिखों के प्रथम गुरु नानक साहब को इनके अनुयायी नानक, नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह नामों से संबोधित करते हैं। नानक अपने व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु - सभी के गुण समेटे हुए थे। 

इस दिन देशभर के सभी गुरुद्वारों में मत्था टेकने वालों की भीड़ जमा होती है। वैसे तो भारत में ढेर सारे गुरुद्वारे हैं मगर पाकिस्‍तान में गुरदासपुर में स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारा बेहद खास है। करतारपुर साहिब, पाकिस्‍तान के नारोवाल जिले में है जो पंजाब में आता है। यहां 22 सितंबर 1539 को गुरुनानक देवजी ने आखिरी सांस ली थी। सिख समुदाय के लिए  करतारपुर साहिब की अहमियत कितनी खास है आइये जानते हैं। 

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क्‍या है करतारपुर साहिब की खास बात 
करतारपुर साहिब सिखों के लिए बेहद पवित्र स्‍थान है जो सिखों के प्रथम गुरु, गुरुनानक देव जी का निवास स्‍थान था और यहीं पर उनका निधन हुआ था। उन्‍होंने अपने जीवन के 17 साल यहीं गुजारे थे। उनका सारा परिवार यहीं आकर बस गया था। उनके अलावा उनके माता-पिता भी यहीं बस गए थे जिसके बाद उनका भी देहांत इसी जगह पर हुआ था। इस वजह से यह स्थल सिखों के लिए बेहद पवित्र है। यह जगह लाहौर से 120 किलोमीटर दूर है। जहां पर आज गुरुद्वारा है। 

 
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भारत-पाकिस्‍तान सीमा से सिर्फ तीन किलोमीटर दूर
यह गुरुद्वारा रावी नदी के पास है। यह गुरुद्वारा भारत-पाकिस्‍तान सीमा से सिर्फ तीन किलोमीटर दूर है। इसकी खास बात यह है कि यह भारत की तरफ से बिल्‍कुल साफ नजर आता है। 

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दूरबीन से किए जाते हैं दर्शन
 ये गुरुद्वारा भारत की सीमा से करीब 3 किलोमीटर दूर है जिसे श्रद्धालु सीमा पर खड़े होकर इसका दर्शन दूरबीन से करते हैं। हमारी भारत सरकार ने भारतीय सीमा के नजदीक एक बड़ा टेलिस्कोप लगाया है जिसके जरिए लोग करतारपुर गुरुद्वारे के दर्शन करते हैं। 

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