Guru Purnima Vrat Katha: गुरु पूर्णिमा की व्रत कथा में वर्णित है इसका महत्व, जानें आज के दिन क्यों करें पाठ

Guru Purnima 2022 Vrat Katha in Hindi: इस बार गुरु पूर्णिमा आज यानी 13 जुलाई को मनाई जा रही है। यहां पढ़ें गुरु पूर्णिमा व्रत की कथा हिंदी में और जानें क्या है इस व्रत का महत्व।

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मुख्य बातें
  • आज यानी 13 जुलाई को मनाई जा रही है गुरु पूर्णिमा।
  • क्या आप जानते हैं गुरु पूर्णिमा की कथा?
  • कहानी से जानें क्या है इसका महत्व।

Guru Purnima 2022 Vrat Katha in Hindi: हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का बहुत महत्व है। शास्त्र के अनुसार इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। कई जगहों पर इसे आषाढ़ी पूर्णिमा भी कहते है। इस बार गुरु पूर्णिमा का व्रत 13 जुलाई यानी कल रखा जाएगा। हिंदू धर्म में गुरुओं को देवता से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है, इसलिए यह दिन भारतीयों के लिए बहुत खास होता है। गुरु पूर्णिमा के दिन लोग महर्षि वेदव्यास जी की पूजा करके अपने गुरुजनों का भी आशीर्वाद लेते हैं। ऐसा कहा जाता हैं, कि इस दिन गुरुओं की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। यदि आप भी गुरु पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर अपने गुरुजनों का आशीर्वाद पाना चाहते है, तो यहां आप गुरु पूर्णिमा की कथा हिंदी में देखकर शुद्ध-शुद्ध पढ़ सकते हैं।

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गुरु पूर्णिमा 2022 व्रत की कथा हिन्दी में

कथा के अनुसार महर्षि वेदव्यास जी को भगवान विष्णु का अंश माना गया है। वेदव्यास जी की माता का नाम सत्यवती और पिता का नाम ऋषि पराशर था। महर्षि वेदव्यास जी को बचपन से ही अध्यात्म में बहुत रुचि थी। एक बार उन्होंने अपने माता-पिता से प्रभु के दर्शन करने की इच्छा प्रकट की और वन में तपस्या करने की अनुमति मांगी। वेदव्यास जी की इस बात को सुनकर उनकी माता ने उन्हें वन जाने को मना कर दिया।

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मां की इस बात को सुनकर वेदव्यास जी वन जाने की हट करने लगें। वेदव्यास जी के हट करने की वजह से माता सत्यवती को उन्हें वन जाने की आज्ञा देनी पड़ी। जब वेदव्यास जी वन की ओर जा रहे थे, तब उनकी माता ने उनसे कहा कि जब तुम्हें अपने घर की याद आ जाए, तो तुम वापस आ जाना। माता के इस वचन को सुनकर वेदव्यास जी वन की तरफ चल दिए।

वन में जाकर वेदव्यास जी कठोर तपस्या करने लगें। भगवान के आशीर्वाद से वेदव्यास जी को संस्कृत भाषा का ज्ञान हो गया। इसके बाद उन्होंने वेद, महाभारत 18 महापुराणों एवं ब्रह्म सूत्र की रचना की। लोगों वेदों का ज्ञान देने की वजह से आज भी इन्हें गुरु पूर्णिमा के दिन प्रथम गुरु के रूप में याद किया जाता है।

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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