नई दिल्ली : बृहस्पति को हमारे शास्त्रों में देवगुरु का दर्जा प्राप्त है। उनको सभी ग्रहों में सर्वोपरि मानते हुए उनकी पूजा की जाती है। इस वजह से इसे पूर्ण रूप से सात्विक ग्रह भी कहा गया है। माना जाता है कि जो व्यक्ति बृहस्पति के प्रभाव में होता है उसका जीवन भी कुछ इसी तरह का होता है।
देखने में आया है कि गुरु से प्रभावित व्यक्ति आजीवन धार्मिक प्रवृत्ति के रहते हैं और विज्ञान में भी इनकी रुचि रहती है। इनके बाल और आंखें भूरे या सुनहरे होती हैं। साथ ही इनको झूठ से घृणा होती है और इन्हें हमेशा सत्य बोलने वाला और इसका साथ देने वाला माना जाता है।
ज्योतिष विद्या के अनुसार धनु और मीन राशि का स्वामी गुरु ग्रह है और पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद, गुरु के नक्षत्र माने गए हैं। बृहस्पति ग्रह पवित्र और सात्विक है, जो लोग इनके प्रभाव में होते हैं उनके भीतर भी सदगुण मौजूद होते हैं। वे न्याय प्रिय भी माने जाते हैं। ऐसे लोग कहीं भी होंगे, सभी की भलाई का सोच कर अपने कदम उठाते हैं।
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ज्योतिष के अनुसार वे लोग जो गुरु के प्रभाव में होते हैं उन्हें कफ संबंधित रोग होने क खतरा रहता है। इनका शरीर, विशेषकर पेट का भाग, बहुत भारी होता है और साथ ही इनकी आवाज भी थोड़ी भारी होती है।
बृहस्पति ग्रह कुंडली के दूसरे, पांचवें, नौंवे, दसवें और ग्यारहवें भाव का कारक होता है। साल के 12 महीनों में करीब 4 महीने यह वक्री रहता है। बुध और शुक्र ग्रह, गुरु के शत्रु ग्रह माने गए हैं। इसके विपरीत सूर्य, चंद्र और शनि के साथ इसकी दृष्टि शुभ मानी गई है। क्षत्रीय ग्रह मंगल भी बृहस्पति ग्रह का मित्र है।
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