Bhai Dooj 2020: क्यों बहनें भाई-दूज पर करती हैं भाई को तिलक? जानिए कैसे शुरू हुई इस पर्व की परंपरा

आध्यात्म
Updated Nov 16, 2020 | 06:52 IST | Ritu Singh

Bhai Dooj Tradition: कार्तिक शुक्ल की द्वितीया को भाई दूज मनाने की परंपरा है। इस दिन बहने भाई को तिलक करती हैं, लेकिन ये परंपरा कैसे शुरू हुई आइए आपको बताएं।

Bhai Dooj tradition, भाई दूज की परंपरा
Bhai Dooj tradition, भाई दूज की परंपरा 
मुख्य बातें
  • यमराज की बहन यमुना ने भाई को किया था तिलक
  • भाई को इस दिन बहने अपने हाथों से पका भोजन खिलाती हैं
  • यमुना ने भाई से मांगा था अन्य बहनों के लिए भी वचन

भाई-दूज भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है और रक्षाबंधन की तरह ही इस त्योहार का भी बहुत महत्व होता है। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और भाई को अपने हाथ से बना खाना खिलाती हैं। भाई को दीर्घायु बनाने के लिए यह पर्व बहने प्राचीन काल से कर रही हैं। पुराणों में उल्लेखित है कि भाई दूज मनाने की परंपरा सूर्य तनया जमुना ने अपने भाई यमराज को भोजन खिलाकर की थी और यही कारण हैं कि इस दिन को यम द्वितीया के नाम से भी पुकारा जाता है। इस कारण से ही भाई दूज पर यमराज तथा यमुना जी के पूजन का विशेष महत्व होता है।

भाई दूज इस बार 16 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें भाइयों के स्वस्थ तथा दीर्घायु होने की मंगल कामना करके तिलक लगाएंगी। यह त्योहार दीवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है, लेकिन क्या आप भाई दूज मनाने की परंपरा या कथा के बारे में जानते हैं? नहीं तो  चलिए आज आपको बताएं कि इस त्योहार को मनाने की पीछे क्या मान्यता है।

जानें, भाई दूज की पौराणिक कथा (Bhai Dooj 2020 Katha in Hindi)

सूर्य देव की पत्नी छाया के कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बहुत ही प्रेम करती थी। वह यमराज से कई बार निवेदन कर चुकी थी कि वह अपने इष्ट मित्रों के साथ उसके घर आकर भोजन करें, लेकिन यमराज अपने कार्य में व्यस्त रहने के कारण भोजन का निमंत्रण को टालते जा रहे थे। ऐसे में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में एक दिन फिर से यमुना ने यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण दिया और इस बार उन्हें अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।

यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता, लेकिन यदि मेरी बहन मुझे प्रेम से बुला रही है तो उसके निवेदन का मुझे पालन करना चाहिए और यही  मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

यमुना ने स्नान कर भाई का पूजन किया और तिलक लगाकर भाई यमराज को कई तरह के व्यंजन परोसे। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया। यमुना ने कहा कि भाई आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो।

मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर-सत्कार करके टीका करे  उसे भी तुमसे भय न हो और उसके भाई की उम्र में लंबी हो। यमराज ने अपनी बहन को वचन दिया कि जो बहन भाई दूज करेगी उसके भाई की रक्षा वह स्वयं करेंगे। इस पौराणिक कथा के अनुसार बहनें हर साल भाई दूज पर भाई को तिलक कर अपने हाथों से भोजन खिलाती हैं।

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