भाई की लंबी उम्र और सौभाग्य में वृद्धि करती है वैदिक राखी, जानें इसे बनाने की खास विधि 

आध्यात्म
Updated Aug 12, 2019 | 11:58 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

आपने अपने भाई को अब तक कई तरह की राखियां बांधी होगी लेकिन कभी आपने वैदिक राखी बांधी हैं? नहीं, तो इस बार इस राखी को खुद बनाएं और बांधे। ये आपके भाई के लिए बेहद मंगलकारी साबित होगी।

Vedic Rakhi
Vedic Rakhi   |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • भाई-बहन के प्यार को बढ़ाती है वैदिक राखी
  • वैदिक मंत्रों के साथ बांधें भाई को राखी
  • राखी बांध कर मुंह मीठा जरूर कराएं

राखी भाई बहन के प्यार का रिश्ते को मजबूती देती है। बाजार में सोने चांदी से लेकर रेशम के धागों की तमाम राखियां मौजूद है लेकिन आपको पता है इन राखियों में वह बात नहीं जो वैदिक राखी में होती है। वैदिक राखी असल मायने में राखी होती है क्योंकि ये वैदिक चीजों से बनती है। इसे बहन अपने ही हाथों से बनाती है और वैदिक मंत्रो के साथ ही इसे बांधा भी जाता है।

हर बहन चाहती है कि उसके भाई का जीवन सुखमय हो और वह प्रगति करता रहे। इसके लिए बहन को राखी पर अपने भाई के लिए आपने हाथों से राखी बनाएं। ये राखी सामान्य राखी से अलग होती हैं और इसी कारण ये धार्मिक महत्व रखती हैं। वैदिक राखी मंगलकारी होती है और इसे बनाना भी आसान है। तो आइए जानें क्या है ये वैदिक राखी और कैसे इसे बनाएं।

पांच वस्तुओं से बनती है वैदिक राखी
पांच वस्तुओं से मिल कर वैदिक राखी बनती है। इन पांचों वास्तुओं को रक्षासूत्र में बांधा जाता है। इन पांच चीजों में दूर्वा (घास), अक्षत (चावल), केसर, चन्दन और राई का प्रयोग किया जाता है। इन सभी चीजों को लेकर वेदिक राखी बनाई जाती है। इन वस्तुओं को रेशम के कपड़े या सूती कपड़े में बांधा जाता है। फिर इसे रक्षासूत्र में बांध दिया जाता है और वैदिक राखी तैयार हो जाती है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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ऐस तैयार करें राखी
पीले, केरिया या लाल रंग का रेशमी या सूती कपड़ा लें। अब इस कपड़ें में आप 5, 11 या 21 चावल के दाने, 11 या 21 दाने राई लें और फिर इसमें 7 धागे केसर और पांच दूर्वा की पत्तियों के साथ इसमें एक चुटकी चंदन भी इसमें डाल दें। अब इसकी पोटली बना लें। इस पोटली को आप चाहें तो सितारों से सजा कर राखी बना लें और अब इस पोटली को रक्षाधागे से बांध कर राखी का रूप दें।

पांच वस्तुओं के धार्मिक महत्व भी जानें

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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दूर्वा (घास) -
दूर्वा यानी दूब अपने आप बढ़ती जाती है और दूर्वा की तरह ही राखी बांध कर आप अपने भाई के प्रगति और वंश को बढ़ने की कामना करती हैं। दूर्वा शुद्ध होती है और उसी तरह आप अपने भाई के मन और विचार के शुद्ध होने की कमाना करती हैं। दूर्वा विघ्नहर्ता को प्रिय है और भाई को भी आप विघ्न बाधों से दूर करती हैं।

अक्षत (चावल) - अक्षत का मतलब है कि कभी क्षति न हो। सदा रिश्ता अखंड बनाने का घोतक होता है अक्षत। इसलिए अब आप राखी में इसका प्रयोग करती हैं तो इसका मतलब होता है कि आप अपने और अपने भाई के रिश्ते को अखंड बनाना चाहती है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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केसर - केसर तेजस्वी और जीवन में आध्यात्मिकता का तेज देने वाला होता है। इसे राखी में प्रयोग करने से भाई को सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य, सौभाग्य और वैभव की प्राप्ति होती है।

चंदन - चंदन ठंडक और शांति का प्रतीक होता है। और राखी में इसका प्रयोग आपके भाई के जीवन में शांति और सुकून प्रदान करता है। जिस तरह से इसकी खूशबु फैलती है आप अपने भाई के वैभव को भी वैसे ही फैलाना चाहती हैं।

राई के दाने - राई की प्रकृति तीक्ष्ण होती है। इसका मतलब है कि आप अपने भाई के दुर्गुणों को दूर कर उसे बुरी नजर से बचाना चाहती हैं।

राखी बांधते समय बहन बोलें यह मंत्र
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वां अभिबद्धनामि रक्षे मा चल मा चल।।

रक्षासूत्र बांधते समय भाई को कुछ न कुछ मीठा अवश्य खिलाएं। राखी के बाद भाई को भी बहन को मिठाई खिलानी चाहिए।

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