Vinayak Chaturthi: ज्येष्ठ माह में कब है विनायक चतुर्थी, जानें पूजा की विधि, मुहूर्त और महत्व के बारे में

Vinayak Chaturthi 2022: हर माह की शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि के दिन विनायक चतुर्थी होती है। इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा-अराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

Vinayak Chaturthi
विनायक चतुर्थी 
मुख्य बातें
  • लाल और पीला रंग भगवान गणेश को होता है अतिप्रिय
  • भगवान गणेश की पूजा में जरूर चढ़ाएं दुर्वा
  • हर माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को होती है विनायक चतुर्थी

Jyeshtha Vinayak Chaturthi 2022: हिंदू कैलेंडर के अनुसार अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष शुरू हो जाता है। जेष्ठ माह की अमावस्या सोमवार 30 मई को पड़ रही है। अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष शुरू होगा। ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी होती है। विनायक चतुर्थी भगवान श्री गणेश की पूजा और व्रत के लिए समर्पित होता है। प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री गणेश की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है। जानते हैं इस बार ज्येष्ठ माह में कब पड़ रही है विनायक चतुर्थी और साथ ही जानते हैं भगवान गणेश की पूजा की सही विधि के बारे में..

विनायक चतुर्थी का महत्व

भगवान श्री गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, इसका अर्थ होता है सभी बाधाओं और कष्टों को हरने वाला। भगवान गणेश यदि अपने भक्त की पूजा से प्रस्नन होते हैं तो उसके जीवन की सभी बाधाओं को दूर करते हैं। इसलिए भगवान गणेश की पूजा करने से असीम कृपा की प्राप्ति होती है। विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

विनायक चतुर्थी तिथि व मुहूर्त

पंचांग के अनुसार वैसे तो ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। वहीं तिथि की बात करें तो, चतुर्थी तिथि गुरुवार 02 जून 2022 रात 12:17 पर शुरू हो रही है और शुक्रवार 3 जून रात 02:41 पर चतुर्थी तिथि समाप्त हो जाएगी। उदयातिथि को देखते हुए विनायक चतुर्थी का व्रत 03 जून को रखा जाएगा। पूजा के लिए शुक्रवार 03 जून सुबह 10:56 से दोपहर 01:43 का समय सबसे शुभ रहेगा। पूजा के लिए 02 घंटे 40 मिनट का समय मिलेगा, जोकि गणेश भगवान की पूजा के लिए सबसे शुभ मुहूर्त है।

विनायक चतुर्थी पूजा-विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्ननादि करें और साफ कपड़े पहनें। गणेशजी की पूजा के दौरान लाल या पीले रंग का कपड़ा पहनना सबसे शुभ माना जाता है। क्योंकि यह रंग भगवान गणेश को अति प्रिय होता है। इसके बाद पूजा स्थान या मंदिर पर गंगाजल छिड़क कर शुद्ध करें। भगवान गणेश को लाल कुमकुम और चंदन से तिलक करें। पूजा में पंचामृत, लाल गुड़हल का फूल या गेंदे का फूल, दूर्वा, अक्षत, फल लड्डू या मोदक अर्पित करें। इसके बाद धूप- अगरबत्ती जलाएं। गणेश भगवान का पाठ और आरती करें। इस बात का ध्यान रखें कि पूजा में भगवान गणेश को दूर्वा अवश्य चढ़ाएं क्योंकि दुर्वा के बिना भगवान गणेश की कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है।

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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