Jyeshtha Purnima 2021: पूर्णिमा के दिन क्या है पूजा विधि? भगवान विष्णु के इन मंत्रों से होगा कल्याण

jyeshtha purnima 2021 vrat Vidhi purnima pooja: ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि 24 जून को है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। आइए पूर्णिमा के दिन पूजा की व्रत विधि जानते हैं।

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purnima puja vidhi in hindi, पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि(तस्वीर के लिए साभार - iStock Images ) 
मुख्य बातें
  • शुक्ल पक्ष की 15वीं तिथि को पूर्णिमा पड़ता है।
  • इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
  • 24 जून को मनाई जाएगी ज्येष्ठ पूर्णिमा।

नई दिल्ली:  हिंदू धर्म में पूर्णिमा का खास महत्व माना गया है। पूजा पाठ का इस दिन विशेष महत्व होता है। इस अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन नदी में स्नान करने की भी परंपरा है। 24 जून को पड़नेवाली ज्येष्ठ पूर्णिमा का खास महत्व इसलिए भी हो जाता है क्योंकि यह गुरुवार को पड़ रहा है।

गुरुवार को पड़नेवाली पूर्णिमा विशेष फलदायी मानी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह ज्येष्ठ मास की अंतिम तिथि होती है। इसके बाद आषाढ़ महीना लग जाएगा। गौर हो कि पूर्णिमा के अगले दिन हिंदू कैलेंडर का महीना बदल जाता है।

गुरुवार की ज्येष्ठ पूर्णिमा का क्यों है खास महत्व? (Jyeshtha Purnima Significance)

गुरुवार को पूर्णिमा का होना अत्यंत शुभ और विशेष फल देनेवाला बताया गया है। मान्यता के अनुसार पूर्णिमा की तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायी होती है।  इस दिन पूजा एवं व्रत करना शुभ फलदायी होता है।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस दिन सूर्य,मिथुन राशि में तथा चंद्रमा के वृश्चिक राशि में होने के कारण विशेष कल्याणकारी संयोग का निर्माण हो रहा है। शास्त्रों के मुताबिक भगवान विष्णु की पूजा करने से दुखों का नाश होता है और सुखों की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा तिथि पर व्रत और विष्णु जी का पूजन करने एवं चंद्रमा को अर्घ्य देने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।  

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पूर्णिमा के दिन की जाती है चंद्रमा की पूजा

चन्द्रमा मनसो जात:  ऋग्वेद के इस श्लोक के मुताबिक चंद्रमा मन का प्रतिनिधि हैं । चंद्रमा मन को नियंत्रित करता है इसलिए उसे मन का कारक ग्रह भी कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है और कुंडली में चंद्रमा की शुभता में बढ़ोतरी होती है। ऐसा करने से जिनका चंद्रमा नीच या वक्री होता है उन्हें लाभ होता है। ऊँ चंद्राय नम: का जाप करने से इस दिन लाभ होता है। आप इसका 1 या 11 माला भी कर सकते हैं। 

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ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व /jyeshtha purnima 2021 

  1. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने का अधिक महत्व होता है। 
  2. कोरोना काल में नहाने के पानी में गंगा जल से भी गंगा का ध्यान करते हुए श्रेयस्कर है। 
  3. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। 
  4. इस दिन भगवान हनुमान जी की भी पूजा का विधान है। 

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए 

  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान करने के बाद सूर्य देव को ऊं भास्कराय नम: मंत्र के साथ जल अर्पित करें।
  • सूर्य को जल देने के लिए तांबे के लोटे में जल ले कर उसमें लाल फूल, गुड़ और चावल मिला लें।
  • कोरोना में स्नान संभव ना हो तो गंगाजल पानी में मिलाकर स्नान करें और मां गंगा का ध्यान करें ।
  • शाम को सरसों का तेल, काले तिल और काले वस्त्र किसी गरीब या जरुरतमंद को अवश्य दान करें। 
  • दिन तुलसी पूजा और दीपक जला कर तुलसी के स्तोत्र का पाठ करें।

भगवान विष्णु को इन मंत्रों से करें प्रसन्न

भगवान विष्णु मंत्र/ bhagavaan vishnu mantra

  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
  • श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
  • ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
  • ॐ हूं विष्णवे नम:
  • ॐ विष्णवे नम:
  • ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
  • ॐ अं वासुदेवाय नम:
  • ॐ आं संकर्षणाय नम:
  • ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
  • ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
  • ॐ नारायणाय नम:

श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्रम्  का लाभ

साथ ही इस दिन श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्रम् का पाठ करने से भी विशेष लाभ होता है। इसमे भगवान विष्णु के हजारों नाम शामिल हैं। विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्रम्र का जाप करके कोई भी भगवान विष्णु के एक हजार नाम का जाप एक साथ कर सकता है। पौराणिक मान्यता है कि विष्णु सहस्त्रनाम में अथाह शक्ति छिपी हुई है और इसके पाठ करने से घर में सुख शांति और समृद्धि आती है। इसलिए इस दिन इसका पाठ विशेष फलदायी माना गया है। 

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