Kamika Ekadashi 2022 Vrat Katha in Hindi: श्री हरि की पूजा में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। हर मास की हर एकादशी अपने में एक अलग कथा समेटे है जिसमें इस व्रत का महत्व और महिमा छिपी है। बता दें कि कामिका एकादशी का व्रत (Kamika Ekadashi vrat 2022 in hindi) सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। यह एकादशी चातुर्मास में आती है और देवशयनी एकादशी के बाद भी। साल 2022 में कामिका एकादशी का व्रत 24 जुलाई को रखा जाएगा। हालांकि कामिका एकादशी की तिथि 23 जुलाई से ही प्रारंभ हो गई थी लेकिन उदया तिथि के 24 जुलाई को होने के नाते सावन मास 2022 के दूसरे रविवार को यह व्रत रखा जा रहा है। कामिका एकादशी 2022 का पारण (Kamika Ekadashi 2022 paran in hindi) सोमवार को सुबह 8:30 से पहले कर लें। अगर आप कामिका एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो इसकी पौराणिक कहानी (Kamika Ekadashi vrat katha in hindi) जान सकते हैं।
कामिका एकादशी की पौराणिक कथा (Kamika Ekadashi vrat kahani) के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का महत्व और कथा बताई थी।
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उन्होंने कहा किसी गांव में एक ठाकुर और एक ब्राह्मण रहते थे। दोनों ही एक-दूसरे से बिल्कुल नहीं बनती थी। एक दिन ठाकुर और ब्राह्मण का झगड़ा हो गया और गुस्से में आकर ठाकुर ने ब्राह्मण की हत्या कर दी। ब्रह्म हत्या के पाप से दुखी होकर ठाकुर ने ब्राह्मण का अंतिम संस्कार करने की कोशिश की। लेकिन दूसरे ब्राह्मणों ने उसे ऐसा नहीं करने दिया। ब्रह्म हत्या का दोषी होने के कारण ब्राह्मणों ने उसके यहां भोजन करने से मना कर दिया। तब दुखी होकर ठाकुर पाप से मुक्त होने के लिए एक ऋषि के पास गया। उसने पूछा हे ऋषि मैंने एक ब्राह्मण की हत्या कर दी है। इस हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए मुझे क्या करना पड़ेगा।
तब ऋषि कहे, हे राजन तुम्हें एक ही व्रत इस पाप से मुक्त करा सकता है। वह कामिका एकादशी व्रत है। तब ऋषि की आज्ञा मानकर ठाकुर ने कामिका एकादशी व्रत करना शुरू कर दिया। ठाकुर के व्रत से प्रसन्न होकर भगवान उसे दर्शन दिए और कहा कि तुम्हारे पापों का प्रायश्चित हो गया है। अब तुम ब्राह्मण की हत्या से मुक्त हो चुके हो।
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कामिका एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत को करने से हर तरह के पाप से मुक्ति मिलती है। यह अश्वमेध यज्ञ समान फल प्राप्त कर आता है। माना जाता है कि कामिका व्रत की कथा से हजार गोदान के बराबर फल की प्राप्ति होती है।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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