Kanya Sankranti 2022 Date, Puja Muhurat: कब है कन्या संक्रांति 2022, जानें डेट, शुभ मुहूर्त और महत्व

Kanya Sankranti 2022 Date, Time, Puja Muhurat (कन्या संक्रांति कब है 2022): ज्योतिष के अनुसार सूर्य का किसी ग्रह में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है। इस दौरान सूर्य देवता की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। जानें कन्या संक्रांति का डेट, शुभ मुहूर्त और महत्व।

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Kanya Sankranti Date in September 2022 

Kanya Sankranti 2022 Date, Time, Puja Muhurat in India: सूर्य देवता हर महीने में किसी ना किसी ग्रह में प्रवेश करते हैं। ज्योतिष के अनुसार सूर्य देवता का किसी राशि में प्रवेश करना संक्रांति (Kanya Sankranti in Hindi) कहलाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान यदि व्यक्ति सूर्य देवता (surya dev) की पूजा करें, तो उसे विशेष फल की प्राप्ति हो सकती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल 17 सितंबर 2022 को सूर्य देवता सिंह राशि को छोड़कर कन्या राशि में प्रवेश कर जाएंगे। कन्या राशि में प्रवेश करने को कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti date 2022) कहा जाता है। इसलिए इस बार 17 सितंबर को ही कन्या संक्रांति मनाई जाएगी। यदि आप भी कन्या संक्रांति मनाते है, तो यहा आप इसकी तारीख (when is Kanya Sankranti in 2022), पूजा करने का शुभ मुहूर्त और महत्व जान सकते हैं।

Kanya Sankranti 2022 Date in India

ज्योतिष के अनुसार सूर्य देवता का कन्या राशि में प्रवेश करना कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti) कहलाता है। साल 2022 में कन्या संक्रांति 17 सितंबर को मनाई जाएगी।

Kanya Sankranti 2022 puja muhurat

कन्या संक्रांति पुण्य काल- 17 सितंबर 2022 को सुबह 07 बजकर 36 मिनट से दोपहर 02 बजकर 08 मिनट तक

कन्या संक्रांति महा पुण्य काल- 17 सितंबर 2022 को सुबह 07 बजकर 36 मिनट से सुबह 09 बजकर 30 मिनट तक

Kanya Sankranti ka mahatva

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य देव को ग्रहों का राजा माना जाता है। इसके अलावा इसे  कुंडली का  कीर्ति, यश, सेहत, सत्ता, सुख एवं स्वास्थ्य का कारक माना जाता हैं। मान्यताओं के अनुसार कन्या संक्रांति के दिन सूर्य देव को पानी में चंदन, अक्षत, लाल फूल डालकर अर्ध्य देने से नौकरी और व्यापार संबंधित समस्याओं से मुक्ति मिलती हैं। इतना ही नही कन्या संक्रांति के दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पवित्र नदियों में स्नान करके श्राद्ध कर्म,तर्पण एवं पिंडदान करने का भी विधान है। हिन्दू शास्त्र के अनुसार 17 सितंबर को ही शस्त्रों का निर्माण करने वाले भगवान विश्वकर्मा का जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

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