Chanakya Niti: मनुष्‍य के ये हैं 3 परम मित्र, मिल जाए साथ तो जीवन के अंत तक नहीं तोड़ते हैं दोस्‍ती

Chanakya Niti in Hindi: जीवन के दौरान लोगों के कई मित्र बनते हैं। इनमें से कुछ छोड़ जाते हैं, तो कुछ साथ रहते हैं। लेकिन मनुष्‍य के तीन ऐसे मित्र होते हैं, जो जीवन के अंत तक व्‍यक्ति का साथ निभाते हैं। व्‍यक्ति को कभी भी इनसे दूर नहीं जाना चाहिए।

Chanakya Niti
आचार्य चाणक्‍य से जानें मनुष्‍य के तीन परम मित्र  |  तस्वीर साभार: Representative Image
मुख्य बातें
  • ज्ञान से दोस्‍ती हर मुश्किल वक्‍त से बाहर निकल लेता है
  • औषधि की दोस्‍ती सभी बीमारियों से छुटकारा दिलाती है
  • धर्म जीवन के साथ से लेकर अंत तक निभाता साथ

Chanakya Niti in Hindi: कहा जाता है कि जीवन का सिर्फ एक ही सत्‍य है कि जिसने जन्‍म लिया है, उसकी मृत्यु तय है। जन्‍म और मृत्‍यु के बीच की जो जीवन होता है, उसमें मनुष्‍य अपने कर्मों का अच्छा-बुरा परिणाम खुद भोगता है। आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्‍त्र में मनुष्य जीवन के कई पहलुओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। इसमें रिश्‍तों व संबंधों के बारे में भी कई अहम जानकारी दी गई है। आचार्य कहते हैं की जीवन तब आसान बन जाता है, जब रिश्‍ते व दोस्‍ती की डोर मजबूत होती है। लोगों के जीवन में कई मित्र बनते हैं। इसमें से कुछ जीवन भर साथ निभाते हैं तो कुछ बीच रास्‍ते में ही साथ छोड़ देते हैं। आचार्य कहते हैं मनुष्‍य के तीन ऐसे मित्र होते हैं, जो किसी भी परिस्थिति में साथ नहीं छोड़ते। ये हर मुश्किल वक्‍त में लोगों का साथ निभाते हैं।

विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्र गृहेषु च।

व्याधितस्यौषधं मित्र धर्मो मित्रं मृतस्य।।

ज्ञान से दोस्‍ती

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति की दोस्‍ती ज्ञान के साथ होती है, उसे किसी दूसरे मित्र की जरूरत नहीं पड़ सकती है। यह हर मुश्किल वक्‍त में व्‍यक्ति का साथ निभाता है। ज्ञान को एक ऐसा हथियार माना जाता है जो किसी हालात में अकेला ही व्‍यक्ति को बाहर निकाल सकता है। इस दोस्‍त की मदद से ही सफलता हासिल होती है। इसलिए ज्ञान के साथ दोस्‍ती करने वालों का जीवन बेहद सफल माना जाता है।

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औषधि का साथ

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि बीमारी से छुटकारा दिलाने में सबसे बड़ी दोस्‍त औषधि होती है। एक सच्चे और अच्‍छे मित्र की भांति औषधि व्यक्ति को हर तरह की बीमारी से निजात दिलाने में मदद करती है। अगर इसका साथ न मिले तो किसी भी व्‍यक्ति का स्वस्थ रहना मुश्किल रहता है। यह ऐसा साथ होता है जो व्‍यक्ति के मृत्यु तक उसे बचाने की कोशिश करता है।

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धर्म सच्‍चा साथी

नीति शास्‍त्र में धर्म को मनुष्य का सच्चा साथी माना गया है। आचार्य कहते हैं कि व्यक्ति को हमेशा अपने धर्म को सबसे ऊपर रखना चाहिए। यह एक ऐसा साथी है जो जीवन के साथ और जीवन के अंत में भी लोगों का साथ निभाता है और सदा सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। जीवन में किए गए धर्म-कर्म के कार्य की वजह से ही मनुष्य मरने के बाद भी याद रहता है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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