पुष्य नक्षत्र में जन्मे लोग होते हैं खास, जानें इनसे जुड़ी 6 रोचक बातें

People Born In Pushya Nakshatra: नववर्ष का आगमन पुष्य नक्षत्र में हुआ है और इस नक्षत्र में जन्मे लोग बहुत खास होते हैं। तो आइए इस नक्षत्र में जन्म लोगों के साथ इस नक्षत्र की कुछ खास बातों को भी जानें।

Interesting things related to Pushya Nakshatra, पुष्य नक्षत्र से जु़ड़ी रोचक बातें
Interesting things related to Pushya Nakshatra, पुष्य नक्षत्र से जु़ड़ी रोचक बातें 
मुख्य बातें
  • पुष्य नक्षत्र में जन्में लोग सर्वगुण संपन्न माने जाते हैं
  • पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति हैं
  • पुष्य को नत्रक्षों का राजा कहा जाता है

नए साल की शुरुआत इस बार शनि प्रधान पुष्य नक्षत्र की उपस्थिति में हो रही है। शनि का नक्षत्र पुष्य नक्षत्र बहुत ही शुभ और मंगलकारी माना गया है। पुष्य नक्षत्र को ज्योतिष में बहुत ही मंगलकारी माना गया है।

ये नक्षत्र आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने वाला और सुख और सौभाग्य कारक माना जाता है। ऐसे  नक्षत्र में यदि किसी का जन्म हो तो संभव है कि वह भी सौभाग्यशाली ही होगा। इस नक्षत्र से जुड़ी बहुत सी ऐसी बातें हैं, जिसे शायद ही आम लोग जानते हैं। तो आइए आपको पुष्य नक्षत्र से जुड़ी बहुत सी रोचक जानकारी दें।

जाने, पुष्य नक्षत्र से जुड़ी ये खास बातें

  1. पुष्य नक्षत्र में जन्में लोग सर्वगुण संपन्न माने जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार इस नक्षत्र में जन्मा जातक भाग्यशाली होने के साथ ही सुंदर और चतुर होता है। इस नक्षत्र के जातक स्वस्थ, सामान्य कद-काठी वाले, उत्तम चरित्र के धनी होते हैं। साथ ही ये जनप्रिय और नियम पर चलने वाले होते हैं तथा खनिज पदार्थ, पेट्रोल, कोयला, धातु, पात्र, खनन संबंधी कार्य, कुएं, ट्यूबवेल, जलाशय, समुद्र यात्रा, पेय पदार्थ आदि में क्षेत्रों में इन्हें बेहद सफलता प्राप्त होती है।

  2. ज्योतिष यह मानता है कि हर नक्षत्र का शुभ-अशुभ प्रभाव जातक की जीवन में होता है और प्रत्येक नक्षत्र  का अपना एक महत्व होता है। पुष्य नक्षत्र का क्रम आठवें स्थान पर माना गया है। ज्योतिष में इस नक्षत्र में खरीदी का बहुत ही उत्तम योग माना गया है। माना जाता है कि इस दौरान खरीदी गई वस्तु बहुत लाभ देती है और लंबे समय तक उपयोगी होती है, क्योंकि यह नक्षत्र स्थाई होता है।

  3. पुष्य को नत्रक्षों का राजा कहा जाता है। पुष्य नक्षत्र सप्ताह के विभिन्न वारों से मिलकर विशेष योग बनाता है। पुष्य नक्षत्र में रविवार, बुधवार व गुरुवार को सबसे अधिक शुभ फल देने वाला माना गया है। ऋग्वेद में इसे मंगलकर्ता, वृद्धिकर्ता, आनंद कर्ता एवं शुभदायक कहा गया है।

  4. नक्षत्रों से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी है, जिसके अनुसार ये 27 नक्षत्र भगवान ब्रह्मा के पुत्र दक्ष प्रजापति की 27 कन्याएं हैं, इन सभी का विवाह दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा के साथ किया था। चंद्रमा का विभिन्न नक्षत्रों के साथ संयोग पति-पत्नी के निश्चल प्रेम का ही प्रतीक माना गया है। इस प्रकार चंद्रमा पुष्य नक्षत्र के साथ भी संयोग करता है और ये चंद्रमास बहुत ही शुभफल देने वाला होता है।

  5. पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति हैं, जो ज्ञान वृद्धि एवं विवेक के साथ् ही वैवाहिक सुख प्रदान करने वाले माने गए हैं। इस नक्षत्र का दिशा प्रतिनिधि शनि हैं जिसे 'स्थावर' भी कहते हैं, जिसका अर्थ होता है स्थिरता। इसी से इस नक्षत्र में किए गए कार्य चिर स्थायी होते हैं।

  6. पुष्य नक्षत्र अपने आप में अत्यधिक प्रभावशील एवं मानव का सहयोगी इसलिए भी माना गया है, क्योंकि ये ग्रह शरीर के अमाशय, पसलियां व फेफड़ों को विशेष रूप से प्रभावित करता है। पुष्य नक्षत्र शुभ ग्रहों से प्रभावित होकर इन अंगों को दृढ़, पुष्ट तथा निरोगी बनाने का काम करता है, लेकिन जब इस नक्षत्र  का संयोग बुरे ग्रहों के साथ होता है तो ये इन अंगों को बीमार व कमजोर बनाने लगता है।

पुष्य नक्षत्र में सूर्य पूजा के साथ भगवान विष्णु की अराधना करनी चाहिए। इस मास में भगवान बृहस्पति का व्रत करना भी बहुत शुभ फल देता है।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

अगली खबर