Lord Shiva: भगवान शिव को अनादि क्यों माना गया है? ये हैं भोलेनाथ से जुड़े 18 रोचक तथ्य

Devo Ke Dev Mahadev: भगवान भोलेनाथ संहार के अधिपति होने के बावजूद भी सृजन का प्रतीक हैं। वे सृजन का संदेश देते हैं। हर संहार के बाद सृजन शुरू होता है। इसके अलावा पंच तत्वों में शिव को वायु का अधिपति भी माना गया है।

Lord Shiva
भगवान शिव 
मुख्य बातें
  • भगवान शिव का ना आरम्भ है ना अंत है
  • समुद्र मंथन से निकला विष पीकर नीलकंठ कहलाए
  • शिव को पापियों का संहार कर्ता माना गया है

Lord Shiva Name Mystery: देवों के देव महादेव को पापियों का संहार करने वाला माना जाता है। भगवान शिव को महायोगी भी कहते हैं। उन्हें अर्धनारीश्‍वर भी कहा जाता है। भगवान शिव को अनादि माना गया है अर्थात जो हमेशा से थे। जिसके जन्म की कोई तिथि नहीं है। भगवान शिव यानी पार्वती के पति शंकर जिन्हें महादेव भोलेनाथ आदिनाथ आदि कहा जाता है। वहीं इनका एक नाम त्रिपुरारी भी है। दरअसल हिन्दू धर्म में भगवान शिव को अनादि अनंत अजन्मा माना गया है। यानि उनका कोई न आरंभ है न अंत है। न उनका जन्म हुआ है न वह मृत्यु को प्राप्त होते हैं। इस तरह भगवान शिव अवतार न होकर साक्षात ईश्वर हैं। भगवान शिव को कई नामों से पुकारा जाता है। कोई उन्हें भोलेनाथ तो कोई देवाधि देव महादेव के नाम से पुकारता है। वे महाकाल भी कहे जाते हैं। भगवान शिव से जुड़े इन 18 रोचक तथ्यों से जानिए शिव कौन हैं।

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1. भगवान शिव का कोई माता पिता नहीं है। उन्हें अनादि माना गया है। मतलब जो हमेशा से था, जिसके जन्म की कोई तिथि नहीं है।

2. कथक भरतनाट्यम करते वक्त भगवान शिव की जो मूर्ति रखी जाती है। उसे नटराज कहते हैं।

3. किसी भी देवी देवता की टूटी हुई मूर्ति की पूजा नहीं होती है। लेकिन शिवलिंग चाहे कितना भी टूट जाए फिर भी पूजा जाता है।

4. हम शिवरात्री इसलिए मनाते हैं, क्योंकि इस दिन शंकर पार्वती का विवाह हुआ था।

5. शंकर भगवान की एक बहन भी थी अमावरी, जिसे माता पार्वती की जिद्द पर खुद महादेव ने अपनी माया से बनाया था।

6. भगवान शिव और माता पार्वती का एक ही पुत्र था। जिसका नाम था कार्तिकेय। गणेश भगवान को मां पार्वती ने अपने उबटन शरीर पर लगे लेप से बनाए थे।

7. भगवान शिव ने गणेश जी का सिर इसलिए काटा था क्योंकि गणेश ने शिव को पार्वती से मिलने नहीं दिया था। उनकी मां पार्वती ने ऐसा करने के लिए बोला था।

8. भोले बाबा ने तांडव करने के बाद सनकादि के लिए चौदह बार डमरू बजाया था, जिससे माहेश्वर सूत्र यानि संस्कृत व्याकरण का आधार प्रकट हुआ था।

9. शंकर भगवान पर कभी भी केतकी का फूल नहीं चढ़ाया जाता। क्योंकि यह ब्रह्मा जी के झूठ का गवाह बना था।

10. शिवलिंग पर बेलपत्र तो लगभग सभी चढ़ाते है। लेकिन इसके लिए भी एक ख़ास सावधानी बरतनी पड़ती है कि बिना जल के बेलपत्र नहीं चढ़ाया जा सकता।

11. शंकर भगवान और शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता, क्योकिं शिव जी ने शंखचूड़ को अपने त्रिशूल से भस्म कर दिया था। आपको बता दें शंखचूड़ की हड्डियों से ही शंख बना था।

12. भगवान शिव के गले में जो सांप लिपटा रहता है उसका नाम वासुकी है। यह शेषनाग के बाद नागों का दूसरा राजा था। भगवान शिव ने खुश होकर इसे गले में डालने का वरदान दिया था।

13. चंद्रमा को भगवान शिव की जटाओं में रहने का वरदान मिला हुआ है।

14. जिस बाघ की खाल को भगवान शिव पहनते हैं उस बाघ को उन्होंने खुद अपने हाथों से मारा था।

15. नंदी जो शंकर भगवान का वाहन है और उसके सभी गणों में सबसे ऊपर भी है। वह असल में शिलाद ऋषि को वरदान में प्राप्त पुत्र था। जो बाद में कठोर तप के कारण नंदी बना था।

16.  मां गंगा भगवान शिव के सिर से बहती हैं क्योंकि देवी गंगा को जब धरती पर उतारने की सोची तो एक समस्या आई कि इनके वेग से तो भारी विनाश हो जाएगा। तब शंकर भगवान को मनाया गया कि पहले गंगा को अपनी ज़टाओं में बांध लें। फिर अलग अलग दिशाओं से धीरे-धीरे उन्हें धरती पर उतारें।

17. शंकर भगवान का शरीर नीला इसलिए पड़ा क्योंकि उन्होंने जहर पी लिया था। दरअसल समुद्र मंथन के समय चौदह चीजें निकली थी। तेरह चीजें तो असुरों और देवताओं ने आधी-आधी बांट ली, लेकिन हलाहल नाम का विष लेने को कोई तैयार नहीं था। ये विष बहुत ही घातक था इसकी एक बूँद भी धरती पर बड़ी तबाही मचा सकती थी। तब भगवान शिव ने इस विष को पीया था। यही से उनका नाम नीलकंठ पड़ा था।

18. भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है। इसलिए कहते है तीसरी आँख बंद ही रहे प्रभु की। इसीलिए त्रिनेत्र धारी कहा जाता है।

शास्त्रों में भगवान शिव का चरित्र कल्याणकारी माना गया है। उनके दिव्य चरित्र और गुणों के कारण भगवान शिव अनेक रूप में पूजित हैं। देवाधी देव महादेव मनुष्य के शरीर में प्राण के प्रतीक माने जाते हैं। जिस व्यक्ति के अन्दर प्राण नहीं होता उसे शव का नाम दिया जाता है। भोलेनाथ का पंच देवों में सबसे महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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