Devi Durga ke Shastra : ये हैं देवी की शक्ति रूप के 9 स्वरूप, जानिए हर एक शस्त्र का महत्व

Story Behind Weapons Of Goddess Durga : देवी शक्ति स्वरूपा दुर्गा की उत्पत्ति समस्त देवों के तेज से हुई थी। देवी को हथियार भी देवताओं ने ही दिए। तो, क्या आप उनके 9 शस्त्रों के पीछे की कहानी से परिचित हैं?

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मुख्य बातें
  • त्रिशुल देवी शक्ति को भगवान शंकर ने भेंट किया था
  • देवी के हाथ में जो शंख है उसे वरुण देव ने भेंट किया था
  • चक्र को भगवान विष्णु ने देवी को प्रदान किया था

शारदीय नवरात्र 17 अक्टूबर से शुरू हो रही है। देवी को शक्ति का रूप माना गया है और देवी के शक्ति रूप के 9 स्वरूप हैं। यानी नौ देवियां देवी के शक्ति स्वरूप के रूप में मानी गई हैं। सभी देवियों के अपने अलग-अलग हथियार हैं।

जब असुरों का आतंक इतना बढ़ गया कि मनुष्य ही नहीं देवता भी परेशान हो गए तब सारे देवता ब्रह्मा जी के पास गए। ब्रह्मा जी ने बताया कि इन असुरों का संहार केवल कुंवारी शक्ति कन्या ही कर सकती हैं। तब सभी देवताओं ने मिलकर अपनी शक्ति से देवी शक्ति यानी दुर्गा की उत्पत्ति की और साथ ही अपने एक-एक हथियार भी उन्हें प्रदान किए।

नवरात्र में मां दुर्गा के शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री रूपों का पूजन और अर्चन किया जाता है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार देवताओं ने देवी को अपने हथियार प्रदान किए थे, ताकि वह असुरों के साथ होने वाले युद्ध में विजयी रहें। मां दुर्गा के हाथों में नौ अस्त्र-शस्त्र हैं। आइए जानते हैं कि शत्रुओं को पराजित करने के लिए देवी को किसने कौन से शस्त्र दिए थे।

1. त्रिशुल 

त्रिशुल देवी शक्ति को भगवान शंकर ने भेंट किया था। भगवान शिव ने इसे शूल से त्रिशूल निकालकर मां दुर्गा को भेंट किया था। इस त्रिशुल से देवी ने महिषासुर समेत अन्य असुरों का वध किया था।

2. चक्र 

देवी के हाथों में मौजूद चक्र को भगवान विष्णु ने भक्तों की रक्षा के लिए देवी को प्रदान किया था। भगवान विष्णु ने ये चक्र खुद अपने चक्र से उत्पन्न किया था।

3. शंख 

देवी के हाथ में जो शंख है उसे वरुण देव ने भेंट किया था। इस शंख की ध्वनि मात्र से धरती, आकाश और पाताल में मौजूद असुर कांप कर भाग जाया करते थे।

4. वज्र 

देवराज इंद्र ने अपने वज्र से एक दूसरा वज्र निकाल कर देवी को भेंट किया था। ये वज्र अत्यंत शक्तिशाली था और जब युद्ध भूमि पर देवी इसे निकालती थीं तो उसके प्रहार से असुरी युद्ध के मैदान से भाग खड़ी हुई थी।

5. दंड 

यमराज ने देवी को अपने कालदंड से दंड भेंट किया था। देवी ने युद्ध भूमि में दैत्यों को दंड पाश से बांधकर धरती पर घसीटा था।

6. धनुष-बाण 

देवी को धनुष और बाणों से भरा तरकश पवन देव ने प्रदान किया था। असुरों से युद्ध के दौरान देवी इसी धनुष और बाणों का प्रहार करती थीं।

7. तलवार 

यमराज से ही देवी को तलवार और ढाल भी मिली थी। देवी ने असुरों का सर्वनाश इसी से किया था।

8. घंटा 

देवराज इंद्र ने ऐरावत हाथी के गले से घंटा उतारकर देवी को दिया था और इस घंटे की भयंकर ध्वनि से मूर्छित हो गए थे और फिर उनका संहार हुआ था।

9. फरसा 

विश्वकर्मा जी ने देवी को अपनी ओर से फरसा प्रदान किया था। चंड-मुंड का सर्वनाश करने वाली देवी ने काली का रूप धारण कर हाथों में तलवार और फरसा लेकर असुरों से युद्ध किया था।

देवी के ये अस्त्र बहुत महत्वपूर्ण माने गए हैं और देवी इन अस्त्रों के बिना कभी भी नहीं रहती हैं।

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