Lal Kitab Tips : ऋण को कर्ज के रूप में भी जाना जाता है। परंपरागत ज्योतिष से थोड़ी भिन्न विद्या है लाल किताब। लाल किताब में अधिकतर उपाय अनुभूत सत्य पर आधारित है। लाल किताब में कई ऋण दिए गए हैं जिनमें से एक हैं कुदरती ऋण। जब चंद्रमा और मंगल जाते के छठे भाव में है तो जातक की कुंडली में कुदरती ऋण दोष आ जाता है। कुदरती ऋण जातक के परिवार या पूर्वजों द्वारा किए कर्मों के कारण या उनके द्वारा किसी को दिए गए दुख के कारण भी कुंडली में आ सकता है। इससे बचने के लिए कई उपाय मौजूद हैं लेकिन जातक को खुद ही इन उपायों को करना होता है।
लाल किताब के अनुसार, बहुत से ऋण होते हैं जो कि जातक को ग्रहों के मुताबिक प्रभावित कर सकते हैं। सबसे अजीब बात यह है कि यदि आपकी कुंडली में कोई सा भी ऋण है तो वह ऋण आपके अधिकतर रिश्तेदारों की कुंडली में भी आ सकता है। इसका मतलब यह कि पूरा परिवार ही उस ऋण से प्रभावित हो सकता है।
कर्म और ग्रह बदल सकते हैं कुंडली
आपकी कुंडली के सभी ग्रह अच्छे हैं, लेकिन आपके कर्म खराब हैं तो कुंडली के ग्रह भी खराब होते जाएंगे और तब यह माना जाएगा कि आपके जन्म के समय जो कुंडली बनी थीं वह अब पूर्णत: बदल गई है। इसी तरह ग्रहों और आपके कर्मों की चाल के अनुसार कुंडली बदलती रहती है। इस बदलते क्रम में व्यक्ति जन्म काल में जिस ऋण से ग्रस्त नहीं था वह भी उस ऋण से ग्रस्त हो जाता है।
क्या है कुदरती ऋण
अगर मनुष्य के जन्मांक में छठवे भाव में चंद्रमा या मंगल हो तो मनुष्य केतु से पीड़ित होता है यही कुदरती या देव-देवी ऋण का दोष कहलाता है।
कुदरती ऋण के कारण
अगर किसी भी मनुष्य ने अपनी दुष्टता के कारण किसी दूसरे की संतान का नाश कर दिया हो या फिर कुत्ते को मार दिया हो या लालच के कारण किसी का धन हड़प लिया हो व उसकी नियत शुभ ना हो तो ऐसा व्यक्ति कुदरती ऋण का दोषी होता है। गलत भाव और विचारों के चलते रिश्तेदारों से अच्छी नियत ना रखना। विरोधी के वंशजों को समाप्त करने की दूषित चाल चलने से इस दोष की पहचान होती है।
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कुदरती ऋण के अनिष्ट फल
एक कहावत है अगर आप किसी के लिए गलत करोगे तो आपके साथ भी गलत ही होगा। जिस मनुष्य को कुदरती ऋण का दोष लगता है। उसकी संतान का नाश हो जाता है। ऐसे मनुष्य के संतान नहीं होती अगर हो भी जाए तो इस दोष के प्रभाव से उसके संतान होकर भी मर जाती है। यदि किसी भी तरह जीवित रह गयी तो अपाहिज गूंगी-बहरी होती है।
कुदरती ऋण से बचने के उपाय
इस दोष से मुक्ति पाने के लिए उस व्यक्ति को विधवा महिलाओं की मदद करनी चाहिए। सपरिवार 100 कुत्तों को भोजन करवाना चाहिए। कुत्ता पालना चाहिए व अपने कान छिदवाने चाहिए। किसी भी भैरव मंदिर में जाकर क्षमा याचना करने के साथ उपासना करनी चाहिए। तब जाकर इस कुदरती ऋण से मनुष्य को मुक्ति मिलती है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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