Last Sawan 2022 Somwar Vrat: 8 अगस्त को पड़ रहा है सावन का आखिरी सोमवार, ऐसे करें व्रत का समापन

Sawan Somwar Vrat Puja Vidhi: सावन का पवित्र महीना चल रहा है। सावन के महीने में शिव भक्त मंदिरों में जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। सावन के सोमवार में कई लोग व्रत भी रखते हैं। सावन का आखिरी सोमवार 8 अगस्त को पड़ रहा है। ऐसे में व्रत का समापन विधि विधान से किया जाता है।

Sawan festival 2022
last sawan somwar  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • सावन का महीना भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय होता है
  • सावन के महीने में शिव भक्त भगवान शिव की आराधना में लीन हो जाते हैं
  • भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए मंदिरों में भक्तों का तांता लग जाता है

8th Aug Last Sawan Somwar Vrat: सावन का पावन महीना चल रहा है। इस साल सावन की शुरुआत 14 जुलाई को हो चुकी है। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है। सावन का महीना भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय होता है और यह महीना शिव भक्तों के लिए भी सबसे खास माना जाता है। सावन के महीने में शिव भक्त भगवान शिव की आराधना में लीन हो जाते हैं। भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए मंदिरों में भक्तों का तांता लग जाता है।

इस बार सावन के महीने में चार सोमवार पड़ रहे हैं। दो सोमवार निकल चुके हैं, जबकि तीसरा सोमवार 1 अगस्त को पड़ेगा, वहीं आखरी सोमवार 8 अगस्त को पड़ेगा। सावन के सोमवार में व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए जबकि कुंवारी लड़कियां यह व्रत अच्छा वर पाने के लिए रखती हैं। अगर आप सावन के सोमवार का व्रत रख रही हैं तो आखिरी सोमवार के व्रत का समापन इस तरह से करें, ताकि भगवान शिव प्रसन्न हो जाएं।

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ऐसे करें समापन
सावन के आखिरी सोमवार के व्रत का समापन करने के लिए। सुबह उठकर घर की साफ सफाई करने के बाद स्नान करें। स्नान के बाद हो सके तो सफेद वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगा जल से जरूर शुद्ध करें। पूजा स्थल पर केले के चार खम्बे के द्वारा चौकोर मण्डप बना लें। चारों ओर से फूल और आम के पत्तों का से सजायें। पूर्व की ओर मुख करके आसन पर बैठ जायें और साथ में पूजा सामग्री भी रख लें। आटे या हल्दी की रंगोली डालें और उसके ऊपर चौकी या लकड़ी के पटरे को मंडप के बीच में रखें।

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चौकी पर साफ और कोरा सफेद वस्त्र बिछायें। उस पर शिव-पार्वती जी की प्रतिमा या फिर फोटो को स्थापित करें।चौकी पर किसी पात्र में रखकर चंद्रमा को भी स्थापित करें। सबसे पहले अपने आप को शुद्ध करने के लिये पवित्रीकरण जरूर करें। पवित्रीकरण करने के लिए इस मंत्र का करें जाप - ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥


ये पूजा सामग्री को करें शामिल
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
 

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