Lord Ganesha: भगवान गणेश के शरीर पर लगा है हाथी का सिर, जानें उनके सिर से जुड़ी कहानी

Gaj Mukh ki Kahani: कहा जाता है कि भगवान शिव एक बार अपने पुत्र गणेश से क्रोधित हो गए थे और क्रोध में उन्होंने भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया था, जिसके बाद उन्हें हाथी का सिर लगाया गया। इससे जुड़ी एक कथा भी है।

Gaj Mukh story
गजमुख की कथा 
मुख्य बातें
  • भगवान गणेश की सभी प्रतिमाओं में है हाथी का सिर
  • शिवजी ने क्रोधित होकर गणेशजी का सिर धड़ से अलग कर दिए
  • भगवान गणेश को मिला इंद्र के हाथी एरावत का सिर

Lord Ganesh Elephant head Gaj Mukh story: हिंदू धर्म में भगवान गणेश की पूजा का काफी महत्व होता है। किसी भी कार्य में भगवान गणेश सबसे पहले पूजे जाते हैं। इसलिए उन्हें प्रथम पूज्य देवता भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जिस कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। उस कार्य में सफलता मिलती है। आपने देखा होगा कि गणेश जी की सभी प्रतिमाओं में हाथी का सिर लगा हुआ होता है। उनके चेहरे पर हाथी की तरफ सूंड़ और हाथी के कान दिखाई देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर भगवान गणेश के शरीर पर हाथी का सिर क्यों है। उनकी शारीरिक बनावट अन्य देवताओं से अलग क्यों है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसके बारे में हम इस लेख में आपको बताएंगे। तो चलिए जानते हैं भगवान गणेश को कैसे मिला हाथी का सिर?

भगवान गणेश के हाथी के सिर से जुड़ी कथा (गजमुख की कथा)

भगवान गणेश के हाथी के सिर से जुड़ी सबसे प्रचलित और पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती स्नान करने के लिए जाती हैं। स्नान पूर्व द्वार पर पहरा देने के लिए माता अपने उबटन से एक प्रतिमा बनाती हैं। इस प्रतिमा से एक बालक का जन्म होता है, जिसे माता पार्वती विनायक का नाम देती हैं। पार्वती जी बालक को आज्ञा देती है कि मैं स्नान करने जा रही हूं और तुम किसी को भी मेरी अनुमति के बिना भीतर प्रवेश करने मत देना। इस बीच भगवान शिव आ जाते हैं। माता पार्वती की आज्ञानुसार गणेशजी भगवान शिव को वहीं रोक देते हैं। द्वार पर रोके जाने से भगवान शिव क्रोधित हो जाते हैं और अपने त्रिशूल से उनका सिर धड़ से अलग कर देते हैं। जब माता पार्वती स्नान कर वापस आती हैं तो देखती है कि बेटे का सिर भगवान शिव ने धड़ से अलग कर दिया।

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पुत्र की अवस्था देख माता पार्वती रोने लगती हैं और क्रोधित हो जाती हैं। जब भगवान शिव माता पार्वती से रोने का कारण पूछते हैं तो वह शिवजी को पूरी घटना के बारे में बताती हैं। इस पर शिवजी कहते हैं मैं बालक को फिर से जीवित करूंगा। भगवान शिव अपने गणों को उत्तर दिशा की ओर जाने की आज्ञा देते हैं और कहते हैं कि जो भी सबसे पहला सिर दिखाई दे उसे लेकर आना। भगवान की आज्ञा पाकर उनके गण ठीक वैसा ही करते हैं और उत्तर दिशा की ओर चले जाते हैं। उन्हें सबसे पहले इंद्र के हाथी एरावत दिखाई देता है। वह उस हाथी का सिर लेकर आते हैं। भगवान शिव गणेश जी को हाथी का सिर लगाकर उन्हें दोबारा जीवित कर देते हैं।

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(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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