Navratri 2021: नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा, देखें मां चंद्रघंटा की आरती, मंत्र, कथा और भोग

Navratri third day maa chandraghanta puja: नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित होता है। मां चंद्रघंटा बुराई का विनाश करती हैं। अपने भक्तों के सभी दुखों को हरती हैं। देखें उनकी आरती, मंत्र, कथा, भोग।

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मुख्य बातें
  • नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित होता है, मां दुर्गा का तीसरा रूप बहुत शक्तिशाली माना जाता है।
  • पौराणिक कथाओं के अनुसार, भक्तों के दुख हरने के साथ राक्षसों का वध करती हैं मां चंद्रघंटा। ‌
  • मां चंद्रघंटा को सिंदूर, गंध, धूप, अक्षत, पुष्प आदि अवश्य अर्पित करना चाहिए तथा दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए।

हिंदू पंचांग के अनुसार 13 अप्रैल से नवरात्रि प्रारंभ हो गई है। नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित होता है जो अपने भक्तों के प्रति सौम्य एवं शांत स्वरूप के लिए जानी जाती हैं। मां चंद्रघंटा पापों का नाश करती हैं तथा राक्षसों का वध करती हैं। मां चंद्रघंटा के हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष और गदा मौजूद रहता है। जानकार बताते हैं कि उनके सिर पर अर्धचंद्र घंटे के आकार में विराजमान रहता है इसीलिए मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप को चंद्रघंटा का नाम दिया गया है। मां चंद्रघंटा की पूजा करते समय आरती तथा मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए क्योंकि यह बेहद शक्तिशाली माने जाते हैं। इसके साथ भोग के समय मां चंद्रघंटा को दूध से बने व्यंजन और चमेली का पुष्प अर्पित करना चाहिए।  

यहां जानें, मां चंद्रघंटा की आरती, मंत्र, कथा और प्रिय भोग।

देवी चंद्रघंटा की आरती

नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।
मस्तक पर है अर्ध चंद्र, मंद मंद मुस्कान।।

दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।
घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण।।

सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके स्वर्ण शरीर।
करती विपदा शांति हरे भक्त की पीर।।

मधुर वाणी को बोल कर सबको देती ज्ञान।
भव सागर में फंसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण।।

नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।
जय मां चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा।।


मां चंद्रघंटा के मंत्र

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।


मां चंद्रघंटा की कथा

बहुत समय पहले जब असुरों का आतंक बढ़ गया था तब उन्हें सबक सिखाने के लिए मां दुर्गा ने अपने तीसरे स्वरूप में अवतार लिया था। दैत्यों का राजा महिषासुर राजा इंद्र का सिंहासन हड़पना चाहता था जिसके लिए दैत्यों की सेना और देवताओं के बीच में युद्ध छिड़ गई थी। वह स्वर्ग लोक पर अपना राज कायम करना चाहता था जिसके वजह से सभी देवता परेशान थे। सभी देवता अपनी परेशानी लेकर त्रिदेवों के पास गए।

मां चंद्रघंटा के जन्‍म की कहानी 

त्रिदेव देवताओं की बात सुनकर क्रोधित हुए और एक हल निकाले। ब्रह्मा, विष्णु और महेश के मुख से उर्जा उत्पन्न हुई जो देवी का रूप ले ली। इस देवी को भगवान शिव ने त्रिशूल, भगवान विष्णु ने चक्र, देवराज इंद्र ने घंटा, सूर्य देव ने तेज और तलवार, और बाकी देवताओं ने अपने अस्त्र और शस्त्र दिए। इस देवी का नाम चंद्रघंटा रखा गया। देवताओं को बचाने के लिए मां चंद्रघंटा महिषासुर के पास पहुंची। महिषासुर ने मां चंद्रघंटा को देखते हुए उन पर हमला करना शुरू कर दिया जिसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का संहार कर दिया था।

मां चंद्रघंटा का भोग

मां चंद्रघंटा की पूजा करने के बाद उन्हें अक्षत, पुष्प,‌गंध, सिंदूर और धूप अवश्य अर्पित करना चाहिए। ‌इसके साथ मां चंद्रघंटा को चमेली का पुष्प अर्पित करना चाहिए क्योंकि बहन का प्रिय फूल है। अगर आप चमेली का फूल अर्पित करने में असमर्थ हैं तो आप लाल फूल भी अर्पित कर सकते हैं। भोग के दौरान देवी चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाई अर्पित करें।

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