Magh Month Vrat Katha: आज से शुरू हो रहा है माघ मास, जानें इसका महत्व और व्रत कथा

Magh Month 2022 Vrat Katha in Hindi: आज से यानी 18 जनवरी, मंगलवार से माघ माह की शुरुआत हो गई है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं माघ माह की व्रत कथा।

Magh Maas Vrat Katha in Hindi
Magh Maas Vrat Katha in Hindi 
मुख्य बातें
  • आज से शुरू हो रहा है माघ माह।
  • माघ माह भगवान कृष्ण को समर्पित है।
  • जानें माघ माह की व्रत कथा।

Magh Month 2022 Vrat Katha in Hindi: आज से यानी 18 जनवरी से माघ महीने की शुरुआत हो रही है। यह माह भगवान कृष्ण को बहुत प्रिय है। मान्यता है कि इस माह में किसी पवित्र नदी में स्नान कर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास की शुरुआत पौष मास की समाप्ति के साथ आज यानी 18 जनवरी 2022, मंगलवार से शुरू होकर 16 फरवरी 2022, बुधवार को समाप्त हो रही है।

 Magh Month Vrat Katha: माघ महीने की कथा

प्राचीन काल में नर्मदा तट पर शुभव्रत नामक ब्राह्मण निवास करते थे। शुभव्रत सभी वेद शास्त्रों के अच्छे ज्ञाता थे लेकिन उनका स्वभाव धन संग्रह करने का अधिक था। इसी के चलते उन्होंने अपने जीवन में बहुत सा धन एकत्रित किया लेकिन वृद्धावस्था में पहुंचते पहुंचते उन्हें कई बीमारियों ने घेर लिया। इस अवस्था में आकर शुभव्रत को आभास हुआ कि उन्होंने अपने जीवन के सभी वर्षों को धन संचय करने में गवां दिया। 

शुभव्रत ने विचार किया कि उन्हें परलोक सिधार जाना चाहिए और इसी बीच उन्हें एक श्लोक स्मरण हुआ जिसमें माघ मास में स्नान की विशेषता बताई गई। उसी समय उन्होंने माघ स्नान का संकल्प लिया और 'माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति..'  श्लोक के आधार पर नर्मदा में स्नान करने लगे। उन्होंने 9 दिनों तक प्रात: नर्मदा में स्नान किया और 10वें दिन स्नान के बाद उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया।

Magh Month Rules, माघ मास के नियम

माघ मास में स्नान व दान का विशेष महत्व होता है। इस महीने संगम नदी के तट पर कल्पवास शुरू हो जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कल्पवास करने से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है और उसे स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस माह में सभी स्थानों के शुद्ध जल को गंगातुल्य माना जाता है। इसलिए यदि आप गंगा स्नान नहीं कर सकते तो प्रतिदिन घर में स्नान करें। इससे श्रीहरि की कृपा अपने भक्तों पर सदैव बनी रहती है।

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