Mesha Sankranti 2022: मेष संक्रांति से होगी सौर कैलेंडर के नव वर्ष की शुरुआत, जानें तिथि व महत्व 

Mesha Sankranti Date And Mahatva: जल्द ही सूर्य मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करने वाले हैं। मेष संक्रांति के दिन से सौर कैलेंडर के नए वर्ष की शुरुआत होगी। जानें इस वर्ष मेष संक्रांति कब है।

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Mesha Sankranti 2022 
मुख्य बातें
  • इस समय मीन राशि में मौजूद है सूर्य। 
  • जल्द मेष राशि में होगा सूर्य का प्रवेश।
  • मेष संक्रांति से होगी सौर कैलेंडर के नए वर्ष की शुरुआत। 

Mesha Sankranti Date, Time, Shubh Muhurat, Mahatva: हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तब इस घटना को संक्रांति का नाम दिया जाता है। फिलहाल सूर्य मीन राशि में मौजूद है लेकिन वह जल्द ही मीन से मेष राशि में प्रवेश करेगा। मेष संक्रांति के दिन से सौर कैलेंडर के नव वर्ष की शुरुआत होगी। सौर कैलेंडर में संक्रांति बहुत विशेष मानी गई है। कहा जाता है इस दिन से नया महीना शुरू होता है। मान्यताओं के अनुसार सूर्य की संक्रांति पर दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना भी भक्तों के लिए लाभदायक माना गया है। कहा जाता है संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान करने से और दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके फलस्वरूप भक्तों को सफलता, धन-धान्य, सुख और समृद्धि आदि की प्राप्ति होती है। जानिए इस समय मेष संक्रांति कब है और इसका क्या महत्व है। 

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मेष संक्रांति 2022 तिथि (Mesha Sankranti 2022 Date)

हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष 2022 में सूर्य मीन से मेष राशि में 14 अप्रैल गुरुवार यानी कल प्रवेश करने वाले हैं। इस दिन सूर्य मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करेंगे जिसे मेष संक्रांति कहा जाएगा। 14 अप्रैल को मेष संक्रांति का मुहूर्त सुबह 08:56 से है। इस दिन मेष संक्रांति का पुण्य काल 7 घंटे और 15 मिनट का होगा। पुण्य काल सुबह 05:57 मिनट से दोपहर 1:12 तक रहेगा। इसके साथ इस दिन महा पुण्य काल 4 घंटे 16 मिनट तक का होने वाला है। यह सुबह 06:48 से 11:04 तक रहेगा।

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क्या है मेष संक्रांति का महत्व?

मेष संक्रांति के दिन से सौर कैलेंडर का नव वर्ष शुरू होने वाला है। इस वर्ष में भी 12 महीने होते हैं जिसका पहला महीना मेष और आखरी महीना मीन होता है। मेष संक्रांति को भारत के अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। पंजाब में मेष संक्रांति को बैसाखी कहते हैं वहीं असम में यह बिहू, केरल में विशु और बंगाल में पोहला बोइशाख के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करना लाभदायक माना गया है। इस दिन स्नान-दान का भी विशेष महत्व है। पवित्र नदी में स्नान करने के बाद सूर्य देव की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन से सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी। 

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