Shradh Dates According To Death Of The Person: सनातन धर्म में श्राद्ध का विशेष महत्व है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए तथा उन्हें प्रसन्न करने के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध किया जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, 'श्रद्धया: इदं श्राद्धम' मतलब जो श्रद्धा से किया जाए, उसे श्राद्ध कहते हैं। मान्यताओं के अनुसार, पितरों का श्राद्ध करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में पितरों का आशीर्वाद बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। अगर किसी व्यक्ति को अपने पूर्वजों की निधन तिथि ज्ञात नहीं है, तब हिंदू धर्म शास्त्रों में कुछ विशेष तिथियां बताई गई हैं, जिस दिन पितरों के लिए श्राद्ध करना उत्तम माना जाता है।
प्रतिपदा श्राद्ध
अगर आपको अपने नाना-नानी या उनके परिवार के किसी मृत व्यक्ति की मृत्यु तिथि याद नहीं है, तो आप प्रतिपदा तिथि पर उनके लिए श्राद्ध कर सकते हैं। आत्मा की शांति के लिए यह श्राद्ध तिथि उत्तम मानी गई है।
पंचमी श्राद्ध
अगर आप किसी अविवाहित मृत व्यक्ति के लिए श्राद्ध करना चाहते हैं तो कुंवारा पंचमी तिथि उत्तम है। पंचमी श्राद्ध को कुंवारा पंचमी के नाम से जाना जाता है।
नवमी श्राद्ध
अगर आप माता का श्राद्ध करना चाहते हैं तो नवमी श्राद्ध पर करें। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता के लिए किए गए श्राद्ध से कुल की सभी दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध होता है। इस तिथि को मातृ नवमी के नाम से जाना जाता है।
एकादशी और द्वादशी श्राद्ध
सन्यास ले चुके मृत व्यक्ति के श्राद्ध के लिए एकादशी और द्वादशी श्राद्ध शुभ माने गए हैं। इन तिथियों पर उनका श्राद्ध करने से आशीर्वाद प्राप्त होता है।
त्रयोदशी और चतुर्दशी श्राद्ध
अगर आप किसी मृत व्यक्ति का श्राद्ध करना चाहते हैं जिसकी अकाल मृत्यु हुई हो, तब त्रयोदशी और चतुर्दशी तिथि इसके लिए बेस्ट है।
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