रक्षाबंधन के इस पवित्र त्योहार पर धागे का वो अटूट बंधन आप दोनों को ताउम्र जोड़े रखता है। जिस बहन का कोई भाई नहीं होता, उसे इस दिन भाई होने के एहसास सबसे अधिक होता है और जिस भाई की कलाई इस दिन सूनी रहती है, वो अंदर से बहन के प्यार के लिए तरसता है। भाई-बहन के इस अटूट प्यार वाले पवित्र त्योहार का एक पारंपरिक तरीका है। आपको बताएंगे पारंपरिक तरीके से राखी बांधने की पूरी विधि।
हमारे शास्त्रों के अनुसार माथे पर श्वेत चंदन, लाल चंदन, कुमकुम, भस्म आदि से तिलक लगाना शुभ माना गया है। रक्षाबंधन के दिन माथे पर कुमकुम और चावल का तिलक लगाया जाता है।
क्यों लगाते हैं कुमकुम के साथ अक्षत का तिलक
हमारे शास्त्रों के अनुसार चावल एक शुद्ध अन्न है, जो हवन में देवताओं को चढ़ाया जाता है। यह हमारे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा पैदा करता है। कच्चे चावल का तिलक सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है। साथ ही इससे हमारे आस पास की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। इस तिलक को माथे के बीच में लगाते हैं। यह तिलक विजय, मान-सम्मान और वर्चस्व का प्रतीक माना जाता है।
राखी बांधने की पारंपरिक विधि
राखी बांधने की सही जगह
राखी बांधते समय इस बात का ध्यान दें कि बेड या सोफे पर बैठकर राखी बिल्कुल न बांधें। बेहतर होगा कि लकड़ी के पीढ़े (छोटा पाटला) पर बैठकर और भाई को बिठाकर ही राखी बांधें। भाई का मुख पूर्व दिशा की ओर रखें। राखी बांधते समय आपका मुंह पश्चिम दिशा की तरफ हो।
राखी बांधते समय बहनों को पढ़ना चाहिए यह मंत्र
अगर राखी बांधते समय बहनें रक्षा सूत्र पढ़ती हैं तो यह बेहद ही शुभ होता है। इस रक्षा सूत्र का वर्णन महाभारत में भी आता है।
ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामपि प्रति बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
रक्षाबंधन की पूरी विधि को अपनाएं। इससे आपके त्योहार की गरिमा सदैव बनी रहेगी। आपसे ही आपकी आने वाली पीढ़ी सीखेगी।
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