Satyanarayan Ji Ki Aarti: भाद्रपद की पूर्णिमा पर पढ़ें 'जय लक्ष्मी रमणा, श्री लक्ष्मी रमणा' आरती, हर मनोकामना होगी पूरी

Satyanarayan Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi (जय लक्ष्मी रमणा, श्री लक्ष्मी रमणा सत्यनारायण स्वामी जन पातक हरणा आरती): कल भाद्रपद माह की पूर्णिमा है, इस दिन भगवान सत्यनारायण जी की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, आरती के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। आरती के बिना पूजा का अंत करने से लाभ भी नहीं मिलता है। इसलिए भाद्रपद की पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण जी की पूजा के बाद यह आरती जरूर पढ़ें।

Satyanarayan Ki Aarti Lyrics In Hindi, Om Jai Lakshmi Ramna Aarti
Satyanarayan Ki Aarti Lyrics In Hindi 
मुख्य बातें
  • कल है भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि।
  • इस दिन होती है भगवान सत्यनारायण जी की पूजा।
  • आरती से करना चाहिए हर पूजा का अंत।

Satyanarayan Ki Aarti Lyrics In Hindi, Om Jai Lakshmi Ramna Aarti: हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा 10 सितंबर 2022 को है। इस तिथि पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। वहीं, श्राद्ध पक्ष शुरू होने की वजह से श्राद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन स्नान, दान, पूजा-पाठ के अलावा पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। पूर्णिमा तिथि पर भगवान सत्यनारायण की भी पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान की भक्ति काफी फलदायी होती है। भगवान सत्यनारायण की उपासना से बिगड़े काम बन जाते हैं तो वहीं धन प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।

Bhadrapada Purnima 2022 Date, Muhurat

कैसे करें पूजा, Bhadrapada Purnima 2022 Puja Vidhi in Hindi

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है। इसके लिए सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल की साफ-सफाई करें। इसके बाद भगवान सत्यनारायण की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। वहीं, प्रसाद के तौर पर चूरमा बना लें। इसके बाद भगवान सत्यनारायण की कथा सुनिए। कथा के बाद भगवान सत्यनारायण की आरती की जाती है। आइए पढ़ लेते हैं पूरी आरती।

भगवान सत्यनारायण जी की आरती, Satyanarayan Ki Aarti Lyrics In Hindi, Om Jai Lakshmi Ramna Aarti Lyrics in Hindi

Bhadrapada Purnima Vrat Katha 2022

जय लक्ष्मी रमणा, श्री लक्ष्मी रमणा।
सत्यनारायण स्वामी जन-पातक-हरणा।। जय..

रत्नजटित सिंहासन अद्भुत छबि राजै।
नारद करत निराजन घंटा ध्वनि बाजै।। जय..

प्रकट भये कलि कारण, द्विज को दरस दियो।
बूढ़े ब्राह्मण बनकर कंचन-महल कियो।। जय.।।

दुर्बल भील कठारो, जिनपर कृपा करी।
चन्द्रचूड़ एक राजा, जिनकी बिपति हरी।। जय..

वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्हीं।
सो फल भोग्यो प्रभुजी फिर अस्तुति कीन्हीं।। जय..

भाव-भक्ति के कारण छिन-छिन रूप धरयो।
श्रद्धा धारण कीनी, तिनको काज सरयो।। जय..

ग्वाल-बाल संग राजा वन में भक्ति करी।
मनवांछित फल दीन्हों दीनदयालु हरी।। जय..

चढ़त प्रसाद सवायो कदलीफल, मेवा।
धूप-दीप-तुलसी से राजी सत्यदेवा।। जय..

श्री सत्यनारायण जी की आरती जो कोई नर गावै।
तन-मन-सुख-संपत्ति मन-वांछित फल पावै।। जय..

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