Sawan Durgashtami 2022 Puja Vidhi and Katha: हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी होती है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा करने और व्रत रखने का विधान है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत व पूजन से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। हिंदू धर्म में मां दुर्गा को शक्ति स्वरूप की देवी कहा गया है। इस बार सावन माह में दुर्गाष्टमी शुक्रवार 05 अगस्त 2022 को पड़ रही है। जानते हैं दुर्गाष्टमी पर कैसे करें मां दुर्गा की पूजा और इसकी व्रत कथा के बारे में..
दुर्गाष्टमी पूजन विधि
दुर्गाष्टमी का व्रत और पूजन भक्तों को सच्चे मन और श्रद्धाभाव से करनी चाहिए। तभी मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। दुर्गाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थान पर एक चौकी तैयार करें जिसपर लाल कपड़ा बिछा दें। इसके बाद गंगाजल छिड़क कर उसकी शुद्धि कर लें। फिर चौकी पर मां दुर्गा की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें। मां को अक्षत, सिंदूर और लाल फूल अर्पित करें। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा में तुलसी, आंवला, दुर्वा, मदार और आक के फूल का इस्तेमाल न करें। इसके बाद फल व मिठाई का भोग लगाएं और धूप दीप जलाएं। पूजा के बाद मां दुर्गा की आरती करें। दुर्गाष्टमी पर दुर्गा चालीसा का पाठ करना भी उत्तम होता है।
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दुर्गाष्टमी की कथा
शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि सदियों पहले पृथ्वी पर दानव व असुर शक्तिशाली हो गए थे और स्वर्ग की ओर चढ़ाई करने लगे थे। उन्होंने अपनी शक्ति से कई देवताओं को मार डाला और स्वर्ग पर तबाही मचा दी। कहा जाता है कि इन असुरों में सबसे शक्तिशाली असुर का नाम महिषासुर था। महिषासुर का अंत करने के लिए शिवजी, भगवान विष्णु और ब्रह्मा देव ने शक्ति स्वरूप देवी दुर्गा को बनाया। इन सभी देवताओं ने मां दुर्गा को अपने विशेष हथियार प्रदान किए।
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तब आदिशक्ति दुर्गा ने पृथ्वी पर आकर असुरों का वध किया। मां दुर्गा ने न सिर्फ महिषासुर के असुरों की सेना का वध किया बल्कि अंत में महिषासुर का भी वध कर दिया। इसके बाद ही दुर्गाष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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