Sawan Somwar Vrat Vidhi: जानें, सावन के सोमवार पर शिव पूजा और व्रत विधि के नियम

Sawan Somwar vrat puja vidhi: सावन कल से शुरू हो रहा है और इस दिन ही पहला सोमवार है। तो आइए जानें कि इस दिन सबसे सरलतम विधि से कैसे पूजा की जा सकती है।

Sawan ke somvar ke vrat vidhi kaise rakhein puja
Sawan somwar vrat vidhi, सावन में शिवपूजा और व्रत की सरल विधि  |  तस्वीर साभार: Shutterstock
मुख्य बातें
  • घर में मिट्टी से शिवलिंग बना कर जल चढ़ाएं
  • शिवलिंग को शमी के पेड़ में स्थापित करें
  • सूर्योदय से पूर्व उठकर पूजा की तैयारी करें

सावन की शुरुआत इस बार सोमवार से हो रहा है और खत्म भी सोमवार को होगा। 6 जुलाई से तीन अगस्त तक चलने वाले सावन में हर सोमवार को आप बहुत ही सरलतम विधि से पूजा और व्रत कर के भी पूरा पुण्य लाभ पा सकते हैं। वैसे तो पूरे सावन मास रोज ही शिवजी की पूजा करनी चाहिए और शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए, लेकिन सावन के सोमवार के दिन विशेष पूजा की जाती है। सावन के सोमवार का दिन विशेष दो कारणों से होता है। पहला कि सोमवार का दिन शिव जी का होता है और सावन माह शिवजी को विशेष प्रिय होता है। ऐसे में सावन मे सोमवार का महत्व बढ़ जाता है।

सावन सोमवार व्रत करने के साथ भगवान शिव की पूजा की जाती है, लेकिन केवल भगवान शिव की पूजा नहीं करनी चाहिए बल्कि साथ में माता पार्वती की पूजा जरूर करनी चाहिए। तभी पूजा पूर्ण मानी जाती है। हालांकि संपूर्ण लाभ के लिए शिवलिंग की पूजा के साथ शिवपरिवार की पूजा करना अनिवार्य होता है। यदि आप सोमवार व्रत सावन के बाद भी करना चाहते हैं तो आपको सावन से ही इस व्रत को उठाना चाहिए। सोमवार व्रत की विधि सभी व्रतों में समान होती है।सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है। व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए।

Sawan ke somvar ke vrat ki vidhi : सावन में शिव पूजा की सबसे सरलतम विधि

  1. सावन में सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर लें और पूजा की तैयारी कर लें।
  2. सूर्योदय के साथ सर्वप्रथम सूर्यदेव को जल दें और उसके बाद पूजा शुरू करें।
  3. पूजा से पर्व घर को गंगा जल से छिड़कर शुद्ध कर लें।
  4. यदि आप घर में शिवलिंग पर जल चढ़ना चाहते हैं तो मिट्टी के शिवलिंग बनाएं और उस पर जल अर्पित करें। शिवलिंग को आप शमी के पेड़ के गमले में रख दें और वहीं जल चढ़ाएं। याद रखें ये शिवलिं अंगूठे के पोर के बराबर ही हो।
  5. अब घर के पूजा मंदिर में शिवजी की तस्वीर के समक्ष आसन लगा कर बैठ जाएं और व्रत का संकल्प ले कर पूजा प्रारंभ करें।
  6. याद रखें भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की भी इस समय पूजा करनी होगी। पूजा प्रारंभ करने से पहले इस मंत्र को पढ़ें,'मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये'।।
  7. इसके पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करें, 'ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्‌।पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्‌॥  ॐ  का जाप करें।
  8. नमः शिवाय' से शिवजी का तथा 'ॐ शिवायै' नमः से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें।
  9. अब भगवान को पुष्प, धूप-अगरबत्ती और नैवेद्य के साथ फल और प्रसाद चढ़ाएं।
  10. पूजन के पश्चात आरती करें और शिव चालिसा पढ़ें।
  11. शिवपूजन के बाद प्रसाद का वितरण जरूर करें।
  12. इसके बाद भोजन या फलाहार ग्रहण करें।

सावन के सोमवार का व्रत करने से भगवान शिव तथा देवी पार्वती की अनुकम्पा पूरे परिवार पर बनी रहती है और जीवन में सुख और समृद्धि का वास होता है। भगवान शिव सभी अनिष्टों का हरण कर भक्तों के कष्ट दूर करते हैं।

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