Shardiya Navratri 2022 Kalash Sthapna: नवरात्रि के कलश पर क्यों रखा जाता है नारियल? जानें इसका महत्व और लाभ

Shardiya Navratra 2022 Kalash Sathapna: नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व बताया गया है। क्या आप जानते हैं कि कलश स्थापना के वक्त कलश के मुख पर एक नारियल रखा जाता है। कलश पर इस नारियल को रखे बिना शुभ और मांगलिक कार्य संपन्न नहीं किए जा सकते। आइए आज आपको कलश पर रखे नारियल का महत्व और लाभ बताते हैं।

Navratri 2022
जानें, क्यों शुभ कार्यों से पहले कलश पर रखा जाता है नारियल 
मुख्य बातें
  • कलश पर नारियल रखने का क्या है महत्व?
  • कलश स्थापना से होती है नवरात्रि की शुरुआत
  • 26 सितंबर से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्रि

Shardiya Navratra 2022 Kalash Sathapna: इस साल शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू होने वाले हैं। इसमें पूरे नौ दिनों तक माता के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। इस अवधि में देवी की उपासना से सारे संकट दूर हो जाते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना से होती है। इसमें एक कलश पर कलावा बांधा जाता है और उसके मुख पर आम या अशोक के पत्ते बांधे जाते हैं। फिर कलश पर लाल रंग की चुनरी बांधी जाती है। इसके बाद कलश पर एक नारियल रखा जाता है। आइए आज आपको कलश पर रखे इस नारियल का महत्व और लाभ के बारे में बताते हैं।

कलश पर नारियल रखने का महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुभ या मांगलिक कार्यों से पहले कलश स्थापना करना अनिवार्य है। नारियल को माता लक्ष्मी का फल माना गया है। ऐसा कहते हैं कि भगवान विष्णु जब पृथ्वी पर अवतरित हुए तो वे अपने साथ माता लक्ष्मी, कामधेनु गाय और नारियल का वृक्ष लेकर आए थे। इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देव समाहित हैं। इसलिए किसी भी शुभ कार्य से पहले कलश पर नारियल रखा जाता है।

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कलश पर नारियल रखने के नियम

नवरात्रि में कलश पर नारियल रखने से पहले कुछ विशेष बातों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। आपने देखा होगा कि नारियल के मुख पर तीन बिंदु होते हैं। ऐसी मान्यता है कि ये नारियल की आंख और मुंह होता है। नारियल का मुख उस तरफ होता है, जहां से वो पेड़ की टहनी से जुड़ा होता है। इसलिए कलश पर नारियल रखते समय ध्यान रहे कि उसका मुख साधक की तरफ रहे।

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इसके अलावा, कलश के मुंह पर नारियल रखने से पहले उसमें एक सिक्का अवश्य डालें। इसके बाद इस पर अशोक के पत्ते लगाएं और फिर नारियल रखें। इस विधि से कलश स्थापित करने पर ही देवी-देवताओं को पूजन स्वीकार्य होता है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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