Shattila Ekadashi 2022 Date, Puja Timings: षटतिला एकादशी आज है, जानिए मुहूर्त, व्रत व‍िध‍ि, कथा, आरती और पारण समय

Shattila Ekadashi 2022 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Time, Samagri, Mantra : षटतिला एकादशी के दिन काले तिल का विशेष महत्व होता है। जानें इस खास एकादशी का पूजा समय, व्रत व‍िध‍ि, कथा, आरती, मंत्र और पारण समय।

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Shattila Ekadashi 2022 
मुख्य बातें
  • शुक्रवार यानि आज है षटतिला एकादशी 2022 ।
  • षटतिला एकादशी पर गंगाजल को अमृत के समान माना जाता है।
  • इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने से हजारो वर्षों तक तपस्या और स्वर्ण दान से भी ज्यादा पुण्य की होती है प्राप्ति।

Shattila Ekadashi 2022 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Samagri List : एक साल में कुल 24 एकादशी तिथियां आती हैं। माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को हम षटतिला एकादशी कहते हैं। पद्मपुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान आदि करने से हजारो वर्षों तक तपस्या और स्वर्ण दान से भी ज्यादा पुण्य प्राप्त होता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार माघ माह में गंगाजल अमृत के समान होता है, इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

षटतिला एकादशी के दिन काले तिल का विशेष महत्व होता है। स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार व्रत कथा और आरती का पाठ किए बिना पूजा को पूर्ण नहीं माना जाता। ऐसे में इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं कब है षटतिला एकादशी 2022, महत्व, पूजा विधि, व्रत कथा और आरती से लेकर संपूर्ण जानकारी।

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हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहते हैं। इस बार षटतिला एकादशी 28 जनवरी 2022, शुक्रवार को है। एकादशी तिथि 27 जनवरी, गुरुवार को रात 02 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 28 जनवरी 2022, शुक्रवार को 11:35 पर समाप्त हो रही है। 

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Shattila Ekadashi 2022 Paran time

पारण का समय एकादशी के अगले दिन यानी 29 जनवरी 2022, शनिवार को है। ध्यान रहे व्रत का पारण योग्य समय पर ना करने से व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलता।

Shattila Ekadashi 2022 Puja Vidhi

षटतिला एकादशी के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान का विशेष महत्व है, लेकिन यदि संभव ना हो तो पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर लें। इसके बाद तांबे के लोटे में जल में तिल डालकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें और विधिवत भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन किसी पात्र व्यक्ति या ब्राम्हण को दान करने से व्यक्ति को स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है तथा दरिद्रता का नाश होता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। ध्यान रहे एकादशी व्रत का पारण अगले दिन होता है तथा व्रत का पारण योग्य समय पर ना करने से पूर्ण फल नहीं मिलता है।

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Shattila Ekadashi 2022 vrat katha 

पौराणिक कथाओं के अनुसार क्षीर काल में श्रीहरि भगवान विष्णु ने नारद मुनि को षटतिला एकादशी का महत्व बताया था। भगवान विष्णु ने बताया कि प्राचीन काल में पृथ्वी पर एक ब्राम्हण की पत्नी थी, उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी। वह श्री हरि भगवान विष्णु की परम भक्त थी तथा प्रतिदिन श्रद्धा भाव से विधिवत पूजन करती थी। एक बार उसने एक महीने तक व्रत कर भगवान विष्णु की उपासना की, व्रत के प्रभाव से उसका शरीर शुद्ध हो गया। परंतु वह कभी किसी ब्राम्हण या देवताओं को दान आदि नहीं करती थी। इसलिए भगवान विष्णु ने सोचा कि वह वैकुण्ठ लोक में रहकर भी अतृप्त रहेगी। ऐसे में विष्णु जी स्वयं भिक्षा मांगने गए, तब उसने एक मिट्टी का पिंड उठाकर भगवान के हाथों पर रख दिया।

कुछ समय पश्चात उसे वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति हुई, लेकिन उसे स्वर्ग लोक में एक कुटिया मिली। इसे देख वह भगवान के पास आई और कहा कि मुझे खाली कुटिया क्यों मिली। महिला ने भगवान विष्णु से इससे छुटकारा पाने का उपाय पूछा। भगवान ने कहा कि जब देव कन्याएं आपसे मिलने आएं तो आप अपना द्वार तभी खोलना जब देव कन्याएं आपको षटतिला एकादशी का उपाय बताएं।

महिला ने देव कन्याओं के अनुसार षटतिला एकादशी का विधिवत व्रत किया। व्रत के प्रभाव से  महिला की कुटिया अन्न और धन से भर गई। ऐसे में जो इस किसी पवित्र नदी में स्नान कर अन्न और तिल का दान करता है उसे मुक्ति और वैभव की प्राप्ति होती है।

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Shattila Ekadashi Aarti lyrics in hindi 

ओम जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता।

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी।।

माग्रशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।।

पौष मास के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनंद अधिक रहै।।

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै।।

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी
पापमोचनी कृष्ण क्ष में, चैतर महाबलि की।।

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली।।

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्ल पक्ष रखी।।

योगिनी नाम आषाण में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी।।

कामिका श्रवण मास में आवै कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनंद से रहिए।।

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्विन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।।

पापकुंशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी।।

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया।।

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दरिद्रता हरिनी।।

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग वासा, निश्चय वह पावै।।

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Shattila Ekadashi Puja Mantra in hindi, षटतिला एकादशी मंत्र

ओम नमो भगवते वासुदेवाय
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
ओम विद्महे।
वासुदेवाय धीमहि
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
ओम विष्णवे नम:
ओम हूं विष्णवे नम:
ओम नमो नारायण।

Shattila Ekadashi Significance, षटतिला एकादशी का महत्व

हिंदू धर्म में षटतिला एकादशी का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि यह तिथि भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होती है। तथा षटतिला एकादशी सभी एकादशी तिथियों में सर्वश्रेष्ठ होती है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान कर विधिवत भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और सभी कष्टों का निवारण होता है। इतना ही नहीं इस दिन श्रीहरि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा अर्चना करने व मंत्रों का जाप करने से धन संबंधी सभी समस्याओं का निवारण होता है और धन प्राप्ति के मार्ग में वृद्धि होती है।

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