Shiv Rudrashtakam Lyrics with Meaning: शिव रुद्राष्टकम ल‍िर‍िक्‍स इन हिंदी, जानें क्‍या है इसका गूढ़ अर्थ

Shiv Rudrashtakam Hindi Lyrics with Meaning (शिव रुद्राष्टकम लिरिक्स इन हिंदी, शिव रुद्राष्टकम अर्थ सह‍ित ह‍िंदी में): हिंदू शास्त्र के अनुसार तुलसीदास ने भगवान शिव का का शिव रुद्राष्टकम लिखा था। यहां आप शिव रुद्राष्टकम को हिंदी में अर्थ सह‍ित पढ़ सकते हैं।

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शिव रुद्राष्टक लिरिक्स हिंदी अर्थ के साथ 
मुख्य बातें
  • हिंदू शास्त्र के अनुसार तुलसीदास ने लिखा था शिव रुद्राष्टकम
  • यह स्रोत भगवान शिव को समर्पित है
  • शिव रुद्राष्टकम लिरिक्स विद हिंदी मीनिंग के साथ पढ़ सकते हैं

Shiv Rudrashtakam Lyrics with Meaning: भोलेनाथ की स्‍तुति में शिव रुद्राष्टक के जाप का बहुत महत्‍व है। शिव रुद्राष्टक में श‍िवजी के रूप और शक्‍त‍ि का बखान क‍िया गया है। माना गया है क‍ि शिव रुद्राष्टक का जाप कष्‍टों का न‍िवारण करता है और भोलेनाथ की विशेष कृपा दिलाता है। महाश‍िवरात्र‍ि, मास‍िक श‍िवरात्र‍ि, सोमवार के द‍िन और श्रावण मास में शिव रुद्राष्टक की बड़ी मह‍िमा बताई जाती है। यहां आप शिव रुद्राष्टक हिंदी मीनिंग के साथ पढ़ सकते हैं। 

शिव रुद्राष्टक हिंदी में मीनिंग के साथ (Shiv Rudrashtakam Lyrics in hindi with Meaning)

नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, 
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, 
चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम्॥

हिंदी अर्थ 
हे मोक्षरूप, विभु, व्यापक ब्रह्म, वेदस्वरूप ईशानदिशा के ईश्वर भगवान शिवजी को मैं नमस्कार करता हूं। निज स्वरूप में स्थित, भेद रहित, इच्छा रहित, चेतन, आकाश रूप शिवजी मैं बार-बार नमस्कार करता हूं।

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निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, 
गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, 
गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥

हिंदी अर्थ :
निराकार, ओंकार के मूल, तुरीय वाणी, ज्ञान और इन्द्रियों से परे, कैलाशपति, विकराल, महाकाल के भी काल, कृपालु, गुणों के धाम, संसार से परे परमेशवर भगवान शिव को मैं नमस्कार करता हूं।

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं,
मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, 
लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥

हिंदी अर्थ
जो हिमाचल के समान गौरवर्ण और गंभीर हैं, जिनके शरीर में करोड़ों कामदेवों की ज्योति एवं शोभा पाती है, जिनके सिर पर पवित्र नदी गंगाजी विराजमान हैं, जिनके ललाट पर द्वितीया का चंद्रमा और गले में सर्प सुशोभित है। 

चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, 
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं,
प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥

हिंदी अर्थ 
जिनके कानों में कुंडल शोभा पा रहे हैं। जिनके सुंदर भृकुटी और विशाल नेत्र हैं, जो प्रसन्न मुख, नीलकंठ और दयालु हैं। जो सिंह चर्म का वस्त्र धारण किए और मुण्डमाल पहने हैं, उन सबके प्यारे और सबके नाथ श्री शंकरजी को मैं भजता हूँ।

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प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, 
अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, 
भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥

हिंदी अर्थ 
प्रचंड, श्रेष्ठ तेजस्वी, परमेश्वर, अखण्ड, अजन्मा, करोडों सूर्य के समान प्रकाश वाले, तीनों प्रकार के शूलों को निर्मूल करने वाले, हाथ में त्रिशूल धारण किए, भाव के द्वारा प्राप्त होने वाले भवानी के पति श्री शंकरजी को मैं बार-बार भजता हूं।

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, 
सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, 
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥

हिंदी अर्थ
कलाओं से परे, कल्याण स्वरूप, प्रलय करने वाले, सज्जनों को सदा आनंद देने वाले, त्रिपुरासुर के शत्रु, सच्चिदानन्दघन, मोह का हरण वाले, मन को मथ डालने वाले हे प्रभु, प्रसन्न होइए, प्रसन्न होइए।

न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, 
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, 
प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥

हिंदी अर्थ
जब तक मनुष्य श्री पार्वतीजी के पति के चरणकमलों को नहीं भजते, तब तक उन्हें न तो इस लोक में, न ही परलोक में सुख-शांति मिलती है। और अनके कष्टों का भी नाश नहीं होता है। अत: हे समस्त जीवों के हृदय में निवास करने वाले महाप्रभु, प्रसन्न हो जाए।

न जानामि योगं जपं नैव पूजा, 
न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, 
प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो॥

हिंदी अर्थ
मैं न तो योग जानता हूं, न जप और न पूजा ही। हे शम्भो, मैं तो सदा-सर्वदा आप को ही नमस्कार करता हूं। हे प्रभु बुढ़ापा तथा जन्म के दुख समूहों से जलते हुए मुझ दुखी की दुखों से मेरी रक्षा कीजिए। हे शंभो, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।। 

हिंदी अर्थ
जो भी मनुष्य इस स्तोत्र को भक्तिपूर्वक पढ़ते हैं, उन पर भोलेनाथ विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं।

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