Pitru Paksh 2019 : स्‍वर्ग में खाने को मिला सोना तो श्राद्ध करने स्‍वर्ग से वापस आए थे कर्ण

आध्यात्म
Updated Sep 06, 2019 | 16:19 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Pitru Paksha Katha in Hindi : श्राद्ध के पूजन के दौरान इसकी कथा भी पढ़ी जाती है। प्रचल‍ित कथाओं में से एक महाभारत काल में कर्ण से जुड़ी है।

shradh pitru paksha katha in hindi
कर्ण से जुड़ी है श्राद्ध की एक कथा  |  तस्वीर साभार: Getty Images
मुख्य बातें
  • 13 से 28 स‍ितंबर तक चलेंगे श्राद्ध
  • सर्वप‍ितृ श्राद्ध 28 स‍ितंबर को होगा
  • कर्ण से जुड़ी है प‍ितृ पक्ष की एक कथा

श्राद्ध को प‍ितृ पक्ष भी कहा जाता है जो भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक चलते हैं। इन 16 द‍िनों के दौरान प‍ितरों की आत्‍मा की शांत‍ि के लिए जो भी श्रद्धापूर्वक अर्प‍ित क‍िया जाए, उसे श्राद्ध कहते हैं। श्राद्ध की मह‍िमा को लेकर कई कथाएं भी प्रचल‍ित हैं, जिनका पाठ तर्पण करते हुए क‍िया जाता है। इनमें सबसे ज्‍यादा कथा कर्ण की कही जाती है जो महाभारत काल से सुनी जा रही है। 

महाभारत के युद्ध में वीरगति को प्राप्‍त होने के बाद कर्ण जब स्‍वर्ग पहुंचे तो उनको भोजन में स्‍वर्ण परोसा गया। इस पर कर्ण ने सवाल क‍िया तो उनको इंद्र देव ने उनको बताया क‍ि उन्‍होंने जीवन में सोना तो दान क‍िया लेक‍िन कभी भोजन का दान नहीं द‍िया। तब कर्ण ने इंद्र को बताया क‍ि उनको अपने पूर्वजों के बारे में जानकारी नहीं थी, इस वजह से वह कभी कुछ दान नहीं कर सके। यह जानकार इंद्र ने कर्ण को उनकी गलती सुधारने का मौका दिया और 16 दिन के लिए उनको पृथ्वी पर वापस भेजा गया, जहां उन्होंने अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनका श्राद्ध कर उन्हें आहार दान किया। इन्हीं 16 दिन की अवधि को पितृ पक्ष कहा जाता है। 

वहां पितरों के नाम पर 'अगियारी' दे दी गई थी। पितरों ने उसकी राख चाटी और भूखे ही नदी के तट पर जा पहुंचे। थोड़ी देर में सारे पितर इकट्ठे हो गए और अपने-अपने यहां के श्राद्धों की बढ़ाई करने लगे। जोगे-भोगे के पितरों ने भी अपनी आपबीती सुनाई। फिर वे सोचने लगे- अगर भोगे समर्थ होता तो शायद उन्हें भूखा न रहना पड़ता, मगर भोगे के घर में तो दो जून की रोटी भी खाने को नहीं थी। यही सब सोचकर उन्हें भोगे पर दया आ गई और आशीर्वाद देकर चले गए। 

सांझ होने को हुई। भोगे के बच्चों ने अपनी मां से कहा- भूख लगी है। तब उन्हें टालने की गरज से भोगे की पत्नी ने कहा- आंगन में हौदी औंधी रखी है, उसे जाकर खोल लो और जो कुछ मिले, बांटकर खा लेना। बच्चे वहां पहुंचे, तो क्या देखते हैं कि हौदी मोहरों से भरी पड़ी है। वे दौड़े-दौड़े मां के पास पहुंचे और उसे सारी बातें बताईं। आंगन में आकर भोगे की पत्नी ने यह सब कुछ देखा तो वह भी हैरान रह गई। इस प्रकार भोगे भी धनी हो गया। 

बता दें क‍ि 2019 में श्राद्ध 13 से 28 तारीख तक रहेंगे। इनमें पूर्ण‍िमा श्राद्ध 13 स‍ितंबर को है, तो 25 स‍ितंबर को एकादशी श्राद्ध होगा। सर्वप‍ितृ श्राद्ध 28 स‍ितंबर को होगा। 

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