पौराणिक शास्त्रों की मानें तो मां गंगा वैशाख मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी को स्वर्ग से भगवान शिव की जटाओं में आईं थीं। जब कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन वह धरती पर आई थीं। मां गंगा मोक्ष दायनी हैं और उनके जल का स्पर्श करने भर से कई जन्मों के पाप और दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। मां गंगा की आरती सुबह शाम करने वाले एक नहीं कई जन्मों तक मां के कृपा पात्र होते हैं। कहा जाता है कि मां के जल का आचमन करना उसी तरह से शुभ होता है जैसे भगवान का चरणामृत। गंगा नदी में स्नान करने से दस पापों से मुक्ति मिलती है। मां गंगा जीवनदायिनी मानी गई हैं। मानव सभ्यता को जीवन देने वाली मां गंगा ही हैं। मान्यता है कि गंगा पूजन से मांगलिक दोष से ग्रसित जातकों को विशेष लाभ मिलते हैं। मां गंगा की पूजा अमोघ फल प्रदान करने वाला माना गया है।
हिंदू धर्म में मां गंगा बेहद पवित्र और पूजनीय मानी गई हैं। पौराणिक कथा के अनुसार मां गंगा का जन्म ब्रह्मदेव के कमंडल से हुआ। एक अन्य कथा के अनुसार वामन रूप में राक्षस बलि से संसार को मुक्त कराने के बाद ब्रह्मदेव ने भगवान विष्णु के चरण धोए और इस जल को अपने कमंडल में भर लिया। वहीं एक कथा यह भी बताती है कि भगवान शिव ने नारद मुनि, ब्रह्मदेव तथा भगवान विष्णु के समक्ष गाना सुनाया और इस गाने के प्रभाव से भगवान विष्णु का पसीना निकल आया और वह बहने लगा तो ब्रह्माजी ने उसे अपने कमंडल में भर लिया और इसी कमंडल के जल से गंगा का मां का जन्म हुआ था। तो आइए मां गंगा की आरती सुबह शाम कर उनके कृपा का पात्र बनें।
मां गंगा की आरती ऐसे करें
हर हर गंगे, जय माँ गंगे,
हर हर गंगे, जय माँ गंगे ॥
ॐ जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ॥
चंद्र सी जोत तुम्हारी जल निर्मल आता ।
शरण पडें जो तेरी सो नर तर जाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता...॥
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता ।
कृपा दृष्टि तुम्हारी त्रिभुवन सुख दाता॥
॥ ॐ जय गंगे माता...॥
एक ही बार जो तेरी शारणागति आता ।
यम की त्रास मिटा कर परमगति पाता॥
॥ ॐ जय गंगे माता...॥
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता ।
दास वही सहज में मुक्त्ति को पाता॥
॥ ॐ जय गंगे माता...॥
ॐ जय गंगे माता श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता मनवांछित फल पाता॥
ॐ जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।
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