Krishna Janmashtami: क्यों किया जाता है दही-हांडी उत्सव का आयोजन, जानिए क्या है इसका महत्व

Dahi Handi Festival: जन्माष्टमी की तरह ही दही-हांडी का उत्सव भी बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इसके पीछे की मान्यता है कि भगवान कृष्ण को माख काफी प्रिय था। यही कारण है दही हांडी का उत्सव मनाया जाता है।

Janmashtami Dahi handi Festival
दही हांडी उत्सव 
मुख्य बातें
  • जन्माष्टमी के दूसरे दिन होता है दही-हांडी उत्सव
  • कृष्ण की आराधना का एक माध्यम है दही हांडी उत्सव
  • बाल्यावस्था में पड़ोसियों की हांडी तोड़ माखन चुराते थे कान्हा

Janmashtami Dahi Handi Festival: हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के रूप में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल 18 अगस्त 2022 को जन्माष्टमी का पावन त्योहार मनाया जाएगा। जन्माष्टमी के दूसरे दिन यानी 19 अगस्त 2022 को दही हांडी उत्सव का आयोजित किया जाएगा। दही हांडी के पर्व को भगवान कृष्ण की आराधना का एक हिस्सा माना जाता है। भारत में कई जगह दी-हांडी उत्सव का बड़े पैमाने पर आयोजन किया जाता है। जानते हैं दही हंडी का पर्व क्यों मनाया जाता है और इसका महत्व क्या है।

क्यों किया जाता है दही हांडी पर्व का आयोजन?

दही हांडी पर्व के दौरान मिट्टी के घड़े में दही या माखन भरकर रस्सी से लटका दिया जाता है। खेल में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागी जिन्हें गोविंदा कहा जाता है, अपनी टोली के साथ पिरामिंड बनाकर दही और माखन से भरे हुई मटकी को तोड़ने का प्रयास करते हैं। दही हांडी पर्व भगवान कृष्ण की आराधना का एक हिस्सा है जिसके माध्यम से भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं के दौरान की गई शरारतों का चित्रण किया जाता है।

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दही हांडी का महत्व क्या है?

ऐसी मान्यता है कि जिस प्रकार बचपन में भगवान कृष्ण गोकुल में पडोसियों के घर से दही की हांडी, दूध और माखन की हांडी को तोड़ते थे तो वहां सुख और समृद्धि बनी रहती थी। उन्हीं की आराधना का जरिया बनाकर दही हांडी पर्व का आयोजन किया जाता है। प्रचलित कथाओं के अनुसार दही हांडी का पर्व मनाने से घर में और इलाके में खुशहाली और समृद्धि आती है और भगवान कृष्ण की कृपा दृष्टि बनी रहती है।

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पिरामिंड बनाकर मनाते हैं दही हांडी का उत्सव

दही हांडी का उत्सव मनाने के लिए कई प्रतिभागियों की टोली बनाई जाती है जिसे गोविंदाओं की टोली कही जाती है। उन्हीं प्रतिभागियों में से एक एक कर गोविंदाओं की टोली पिरामिड बनाकर दूध दही से भरी हुई मटके को तोड़ने का प्रयास करते हैं।

खेल में भाग ले रही टीम अगर मटकी तोड़ने में असफल रहती है तो यह उनका हार माना जाता है। मटके को तोड़ने में सफल फल होने वाली गोविंदाओं की टीम को विजेता घोषित कर सम्मानित किया जाता है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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