Paap Kartari Yog: पाप कर्तरी योग कुंडली में बैठ कर बन रहा है बाधक? तो जानें क्या करना चाहिए

Solution for Paap Kartari Yog: पाप कर्तरी मतलब पापी और काट करने वाला जब इस योग का प्रभाव कुंडली मे होता है। तब यह दूषित कपटी पापी ग्रह ऎसे हालात बनाते है। शुभ फल देने वाले ग्रहों के पर काट दिए जाते है। मतलब अच्छे ग्रहों का शुभ फल मिलने की जगह पर पापी ग्रह अपने अशुभ फलों को झोली में भर देते है।

Solution For paap kartari Yog
पाप कर्तरी योग कैसे हटाएं  
मुख्य बातें
  • पापी ग्रहों का ज्योतिषीय उपचार करना चाहिए
  • हनुमान जी की सेवा पूजा से दोष से मुक्ति मिलती है
  • इस दोष का निर्माण विशेष स्थितियों में होता है

Tips For Paap Kartari Yog: ज्योतिष के अनुसार जब कुंडली का विश्लेषण किया जाता है तो कई प्रकार के दोषों का पता लगता है। ऐसा ही यह योग है। दरसल कर्तरी का अर्थ काटना या कुतरना होता है। कुंडली में जब किसी भाव के एक घर आगे और एक घर पीछे पापी ग्रह बैठे हों तब उस भाव से पाप कर्तरी योग का निर्माण होता है। यदि किसी भाव के अगले और पिछले भाव में पापी ग्रह के साथ कोई सौम्य ग्रह बैठा हो तब यह दोष नहीं लगता है। जिस भाव से पाप कर्तरी योग बन रहा हो यदि उस भाव में कोई ग्रह बैठा हो तब पाप कर्तरी योग प्रभावी होता है। उस ग्रह के कारकत्वों और भाव से जुड़े फल बहुत संघर्ष से प्राप्त होते हैं। कुंडली में पापी ग्रह चाहे योग कारक ही क्यों ना हों पर वह अपना नैसर्गिक स्वाभाव नहीं छोड़ते हैं।

इस पाप कर्तरी योग का निर्माण कैसे होता है?

कुंडली के पंचम भाव में गुरु बैठा है। इसके एक घर आगे अर्थात छठे भाव में पापी शनि बैठा हुआ है। एक भाव पीछे अर्थात चौथे भाव में पापी ग्रह मंगल और केतु बैठा हुआ है। इस तरह से कुंडली के पंचम भाव में पाप कर्तरी योग आ जाता है। अब यहाँ पर पंचम भाव से जुड़े फल जैसे शिक्षा और संतान में प्राप्त होने में परेशानी आएगी। अब यहाँ पंचम भाव में गुरु ग्रह भी पाप कर्तरी योग के प्रभाव में आ गया है। इस स्थिति में गुरु से जुड़े फल भी मुश्किल और संघर्ष के बाद प्राप्त होंगे। सप्तम भाव के एक घर पीछे अर्थात छठे भाव में पापी ग्रह शनि बैठा हुआ है और सप्तम भाव के एक घर आगे अर्थात अष्टम भाव में क्रूर ग्रह सूर्य बैठा हुआ है।

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तो सप्तम भाव में बैठा बुध ग्रह भी पाप कर्तरी योग के प्रभाव में आ जाने की वजह से पति पत्नी शादी व हिस्सेदारी तथा रोज़ाना की आय प्राप्त करने में परेशानी आएगी। जब चंद्रमा की राशि से द्वादश भाव में शनि का गोचर होता है तो वह साढ़ेसाती का शुरुआती समय होता है। जब चंद्र राशि के ऊपर शनि ग्रह आता है। तब शनि की साढ़े साती का मध्यम चरण होता है। जब चंद्र राशि के दूसरे भाव में शनि आता है तो वह समय पापी ग्रह शनि की साढ़े साती का अंतिम चरण होता है। जो पैरों पर जाकर खत्म होता है। इस प्रकार चंद्रमा ग्रह से द्वादश भाव से द्वितीय भाव तक शनि का गोचर करना मनुष्य के लिए अशुभ प्रभाव देता है। जिसके चलते जीवन नीरस हो जाता है। साथ ही जीवन मे समस्याओं का अंबार लग जाता है। कहने का मतलब परेशानियों कस्टों की लिस्ट लंबी हो जाती है। मनुष्य चाह कर भी कोई सफलता अर्जित नही कर पाता है।

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पाप कर्तरी दोष से मुक्त होने के लिए अचूक उपाय

1. जब भी उस शुभ ग्रह कि जीवन में दशा अंतर्दशा आती हो तो पापी ग्रहों की वस्तुओं दान उन ग्रहों से लाभ लेने के लिए करना चाहिए।
2. किसी भी स्थिति में दो शत्रु ग्रहों के रत्न कभी भी धारण नहीं करने चाहिए।

3. पापी ग्रहों के मध्य जो भी शुभ ग्रह स्थित हों। तो मनुष्य को उस ग्रह से सम्बंधित बीज मंत्रों का जाप करना चाहिए। ज्योतिष में ऐसा कहा गया है। बीज मंत्र मारक व योग कारक दोनों ही प्रकार के ग्रहों को शुभ फल देने के लिए बाध्य कर देते हैं।

4. योग कारक ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान भूल कर भी नही करना चाहिए। अगर दान ना समझी में कर दिया तो नुकसान ही सहना पड़ेगा।

5. कोई भी योगकारक ग्रह जो पाप कर्तरी दोष में फंसा हो उसकी डिग्री कम हो तो तब उस ग्रह को मज़बूत करने के लिए उस ग्रह से संबंधित रत्न धारण करना लाभदातक होता है।

6. अगर कोई भी पालतू जानवर  घर में पाला हुआ है। तो नियमित रूप से उसकी देखभाल करें।

7. हनुमान जी की नियमित रुप से आराधना करें। हर मंगल शनि हनुमान जी को चमेली के तेल का चोला चढ़ाने से लाभ होगा।

8.पीड़ित व्यक्ति द्वारा सूर्य गायत्री मंत्र का जाप करने पर शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

9. हनुमान चालीसा का पाठ करने से यह ग्रह प्रभावी नही रहते है।

10  हनुमान जी के दाएं पैर के सिंदूर का तिलक लगाने से दूषित ग्रहों का प्रभाब निष्क्रिय होता है।

योग या दोष के प्रभाव और कारणों को आप इस प्रकार समझें  

आप जिस कालोनी में रहते हैं तो आपके आजू बाजू में जो भी पड़ोसी रहते है उनकी कुछ आदतों का प्रभाव व्यक्ति पर भी आता ही है। यदि पड़ोस में अच्छे व्यक्ति रहते होंगे तो अच्छा प्रभाव पड़ेगा बुरे व्यक्ति रहते होंगे तो बुरा प्रभाव आपके जीवन में भी शामिल होगा। यदि वह परेशानी जनक व्यक्ति होंगे तो आपको भी जीवन में कष्ट उठाने पड़ सकते हैं। ठीक इसी प्रकार पाप कर्तरी योग के कारण जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएं आती हैं। जिस भाव में या जिस ग्रह पर पाप कर्तरी दोष का प्रभाव पड़ता है। वह अपने फल देने की क्षमता में कमी कर देता है। किन्तु समस्या ही समाधनकी जनक है। अगर समस्याएं होंगी तो उनके समाधान भी नियति ने निहित किये हैं। 

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