दो द‍िन से भूखे थे Swami Vivekananda, भोजन देने दौड़े आए भगवान राम

आध्यात्म
Updated Jan 11, 2018 | 21:38 IST | Medha Chawla

स्‍वामी विवेकानंद के बारे में कई बातें बताई जाती हैं। इन्‍हीं में वो घटना भी शामिल है जब भगवान राम ने उनके लिए भोजन की व्‍यवसथा करवाई थी...

Swami Vivkananda life incidents 

नई द‍िल्‍ली: स्‍वामी विवेकानंद न सिर्फ विलक्षण प्रतिभा वाले थे बल्‍क‍ि अपने गुरु के प्र‍िय भी थे। कहा जाता है कि जब गुरु की कृपा हो तो कठिन पर‍िस्‍थ‍ितयां भी आसान हो जाती हैं। गुरु संबल देने के साथ ही राह भी निकाल देते हैं। 

स्‍वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़ी एक रोचक घटना बताई जाती है जिसमें उन्‍होंने याद तो गुरु को क‍िया था और ईश्‍वर उनकी मदद को स्‍वयं आ गए थे। 

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बताया जाता है कि स्वामी विवेकानंद एक बार एक रेलवे स्टेशन पर बैठे थे और उस समय उनका अयाचक व्रत था। यह ऐसा व्रत होता है जिसमें किसी से मांग कर भोजन नहीं किया जाता है। लिहाजा वह व्रत में किसी से कुछ मांग भी नहीं सकते थे। जबक‍ि एक व्यक्ति उन्हें चिढ़ाने के लहजे से उनके सामने खाना खा रहा था।

स्वामी जी दो दिन से भूखे थे और वह व्यक्ति कई तरह के पकवान खाते हुए बोलता जा रहा था कि बहुत बढ़िया मिठाई है। उस समय विवेकानंद ध्यान की मुद्रा में थे और अपने गुरुदेव को याद कर रहे थे। वह मन ही मन में बोल रहे थे कि गुरुदेव आपने जो सीख दी है उससे अभी भी मेरे मन में कोई दुख नहीं है। ऐसा कहते विवेकानंद शांत बैठे थे। 

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दोपहर का समय था और उसी दौरान उसी नगर में एक सेठ को भगवान राम ने दर्शन देकर कहा कि रेलवे स्टेशन पर मेरा भक्त एक संत आया है और तुमके उसे भोजन कराना है। उसका अयाचक व्रत है। वह क‍िसी से मांग नहीं पाएगा तो आप जाओ और भोजन करा कर आओ।

पहले तो सेठ ने सोचा यह महज कल्पना है। लिहाजा वह फिर से करवट बदल कर सो गया। लेकिन तभी भगवान ने सेठ को दोबारा दर्शन दिए और संत को फ‍िर से भोजन कराने की बात कही। 

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तब सेठ सीधा विवेकानंद के पास पहुंच गया। और साथ उसने स्‍वामी व‍िवेकानंद को बोला क‍ि मैं आपको प्रणाम करना चाहता हूं क्‍योंकि ईश्वर ने मुझे सपने में कभी दर्शन नहीं दिए, जबक‍ि आपके कारण स्‍वयं भगवान राम मेरे पास आए। 

भोजन के साथ सेठ की बात सुनकर विवेकानंद की आंख में आंसू आ गए। उन्‍होंने सोचा क‍ि मैंने याद तो अपने गुरुदेव को किया था। गुरु और ईश्वर की कैसी महिमा है क‍ि एक को याद क‍िया तो दूसरा दौड़ा चला आया ! 

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