Navratri 2020 : देवी के इन्हीं प्रमुख तीन स्वरूप की होती है नवरात्रि में पूजा, जानें शक्ति के ये रूप

Devi Darshan, 3 Forms of Devi Shakti: नवरात्रि में अब केवल कुछ ही दिन शेष हैं। तो आइए आपको आज देवी तत्व के बारे में विस्तार से बताएं कि ये शक्ति क्या है और इनके तीन रूप प्रमुख रूप से कौन से हैं।

3 Forms of Devi Shakti, देवी के तीन प्रमुख रूप
3 Forms of Devi Shakti, देवी के तीन प्रमुख रूप 
मुख्य बातें
  • नवरात्रि में देवी के तीन प्रमुख रूप की होती है पूजा
  • देवी दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती ही हैं प्रमुख रूप
  • देवी शक्ति ही ऊर्जा का प्रमुख स्रोत मानी गईं हैं

मानव के जन्म के बाद जो शक्ति उनके अंदर उसकी भावनाओं को जन्म देती है, वह ऊर्जा ही शक्ति का साक्षात रूप है। देवी शक्ति का मतलब या तत्व ऊर्जा है। यह वही शक्ति है जो ब्रम्हांड को निरंतर को निरंतर क्रियाशील बनाती है। समान्य शब्दों में ऐसे इस शक्ति को समझ सकते हैं कि देवी ही ऊर्जा का स्रोत हैं और बिना ऊर्जा के कोई भी चीज संचालित नहीं हो सकती। भले ही वह प्राणी हो या प्रकृति। नवरात्रि में हम इसी ऊर्जा की विभिन्न नामों और स्वरूपों की पूजा करते हैं। असल में पुराणों में इस बाद का उल्लेख है कि दिव्यता यानी शक्ति व्यापक है, लेकिन वह सुप्त अवस्था में होती है। पूजा और आराधना द्वारा उसे जगाया जाता हैं। तो चलिए आपको देवी के तीन प्रमुख रूप से परिचित कराते हैं।

देवी शक्ति के तीन प्रमुख रूप  

  1. देवी दुर्गा : सुरक्षा की देवता
  2. देवी लक्ष्मी : ऐश्वर्य की देवता
  3. देवी सरस्वती : ज्ञान की देवता

देवी दुर्गा के बारे में जानें ( Maa Durga Ki kahani )

नवरात्रि के पहले तीन दिन देवी के प्रथम रूप यानी देवी 'दुर्गा' की पूजा होती है। देवी दुर्गा नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाली मानी गई हैं और उनकी पूजा से सृष्टी में सकारात्मकता का वास होता है। देवी दु 'जय दुर्गा' इसलिए भी कहा गया है, क‍ि वह विजय दिलाने वाली हैं।

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देवी दुर्गा की विशेषताएं

नवदुर्गा : देवी दुर्गा शक्ति के नौ अलग-अलग स्वरूप हैं, जो सभी नकारात्मकता से रक्षा के लिए एक कवच की तरह काम करते हैं। देवी के विभिन्न स्वरूप की पूजा से मनुष्य को शक्ति मिलती है और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। इतना ही नहीं देवी के नाम के उच्चारण से ही मनुष्य की चेतना के स्तर में वृद्धि होती हैं और वह आत्म-केंद्रित, निर्भय और शांत बनता है। जिन लोगों में चिंता, भय और आत्मविश्वास की कमी हैं उन्हें देवी की पूजा जरूर करनी चाहिए। देवी सकारात्मक ऊर्जा से भरी हुई है, जो आलस्य, थकावट और जड़ता का विनाश करती है।

देवी लक्ष्मी (Devi Laxmi ki Kahani)

नवरात्रि के अगले तीन दिनों यानी चौथे, पांचवें और छठवें दिन देवी लक्ष्मी की पूजा होती है। देवी लक्ष्मी धन-ऐश्वर्य और सुख-संपत्ति की देवी हैं। मनुष्य को अपनी उन्नति और विकास के लिए धन-संपत्ति की आवश्यकता होती है। यहां संपत्ति से मतलब केवल धन से नहीं माना गया है, बल्कि ज्ञान आधारित कला और कौशल से भी है। देवी लक्ष्मी मनुष्यों की भौतिक और आध्यात्मिक प्रगति का वरदान देती हैं।

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देवी लक्ष्मी के आठ स्वरूप माने गए हैं

आदि लक्ष्मी :  देवी का ये रूप मनाव को उसके मूल से जोड़ने वाली माना गया है। यानी जब मानव भूल जाता है कि वह ब्रह्मांड का हिस्सा है, तब आदि लक्ष्मी उसे उसके मूल स्रोत से जोड़ती हैं। इससे मन में सामर्थ्य और शांति का उदय होता है।

धन लक्ष्मी : देवी का ये रूप भौतिक समृद्धि प्रदान करने वाला है।

विद्या लक्ष्मी : देवी का ये रूप ज्ञान, कला और कौशल देने वाला है।

धान्य लक्ष्मी : देवी का ये रूप अन्न-धान्य देने वाला है।

संतान लक्ष्मी : देवी का ये रूप प्रजनन क्षमता और सृजनात्मकता का है।

धैर्य लक्ष्मी : देवी का ये रूप शौर्य और निर्भयता प्रदान करता है।

विजय लक्ष्मी : देवी का ये रूप जय, विजय प्रदान करने वाला है।

भाग्य लक्ष्मी : देवी का ये रूप सौभाग्य और समृद्धि प्रदान करने वाला है।

देवी सरस्वती (Maa Saraswati Ki Kahani)

नवरात्रि के अंतिम 3 दिन यानी सप्तमी, अष्टमी और नवमी देवी सरस्वती को समर्पित हैं। सरस्वती ज्ञान की देवता है जो हमें 'आत्मज्ञान' देती है।

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जानें, देवी सरस्वती का स्वरूप

पाषाण पर बैठी देवी, ज्ञान की देवी मानी गईं है। वहीं वीणा बजाती देवी संगीत की देवी मानी गई हैं। अपने वाहन हंस पर बैठी देवी विवेक का प्रतीक हैं, जो ये दर्शाता है की हमें जीवन में सकारात्मकता स्वीकारनी चाहिए और नकारात्मक को छोड़ देना चाहिए। वहीं, मोर के साथ देवी का स्वरूप इस बात का प्रतीक है के ज्ञान का प्रचार-प्रसार करना चाहिए और उचित समय पर उचित प्रयोग करना चाहिए।

अब जब आप नवरात्रि के इन नौ दिनों में जब देवी शक्ति की पूजा करेंगे तो आपको यह पता होगा कि आप  देवी के किस स्वरूप की पूजा कर रहे हैं।

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