तुलसी के बताए गए हैं 8 नाम, जाप से मिलेंगे ये वरदान

आध्यात्म
Updated Jan 29, 2018 | 20:24 IST | Medha Chawla

तुलसी का जाप कल्‍याणकारी माना जाता है और साथ ही मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला भी। जानें कैसे करें तुलसी जाप कि मिले मनचाहा वरदान...

तुलसी को घर में रखना पव‍ित्र माना जाता है   |  तस्वीर साभार: BCCL

नई दिल्ली: पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक तुलसी सिर्फ एक पौधा नहीं है बल्कि धरती के लिए वरदान है और इसी वजह से हिंदू धर्म में इसे पूज्यनीय माना गया है। आयुर्वेद में तुलसी को अमृत कहा गया है क्योंकि ये औषधि भी है और इसका नियमित उपयोग आपको उत्साहित, खुश और शांत रखता है। भगवान विष्णु की कोई भी पूजा बिना तुलसी के पूर्ण नहीं मानी जाती। इसलिए तुलसी को विष्णुवल्लभा कहा गया है, यानी भगवान विष्णु की सबसे प्रिय।

तुलसी की पूजा में ये चीजें जरूरी हैं
तुलसी पूजा के लिए घी दीपक, धूप, सिंदूर, चंदन, नैवद्य और पुष्प अर्पित किए जाते हैं। रोजाना पूजन करने से घर का वातावरण पूरी तरह पवित्र रहता है।  

जल चढ़ाते वक्त पढ़ें ये मंत्र और जरूर करें परिक्रमा
जल चढ़ाते वक्त आपको निम्नलिखित मंत्र पढ़ने चाहिए। महाप्रसादजननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी। आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।। इसके बाद तुलसी की परिक्रमा कीजिए और उसके बाद मां तुलसी का ध्यान कीजिए। परिक्रमा 5, 11, 21 या 101 बार की जा सकती है। 

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दिव्य तुलसी मंत्र 
इन मंत्रों का उच्चारण करते समय मां तुलसी का ध्यान करें।
 
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः । नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये ।।

ॐ श्री तुलस्यै विद्महे। 
विष्णु प्रियायै धीमहि। 
तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।। 

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी। 
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।। 

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्। 
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

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क्या कहती है पौराणिक कथा
मान्यताओं के मुताबिक भगवान श्री राम ने गोमती तट पर और वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण ने तुलसी लगायी थी। यह भी कहा जाता है कि अशोक वाटिका में सीता जी ने रामजी की प्राप्ति के लिए तुलसी जी का मानस पूजन ध्यान किया था। हिमालय पर्वत पर पार्वती जी ने शंकर जी की प्राप्ति के लिए तुलसी का वृक्ष लगाया था।

तुलसी के आठ नामों का जप कल्याणकारी
तुलसी के आठ नाम वृंदा, वृंदावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी - ये तुलसी देवी के आठ नाम हैं। कहते हैं कि जो पुरुष तुलसी की पूजा करके इस नामाष्टक का पाठ करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।

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तुलसी पूजा में भूलकर भी ना करें ये गलतियां
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक तुलसी पूजा को लेकर कुछ विशेष नियम और सावधानियां हैं जिनका ध्यान रखा जाना चाहिए। तुलसी पूजा या तुलसी के प्रयोग में आपको किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
- तुलसी के पत्ते हमेशा सुबह के समय ही तोड़ना चाहिए।

- रविवार के दिन तुलसी के पौधे के नीचे दीपक नहीं जलाना चाहिए।

- भगवान विष्णु और इनके अवतारों को तुलसी दल जरूर अर्पित करना चाहिए।

- भगवान गणेश और मां दुर्गा को तुलसी कतई न चढ़ाएं।

-पूजा में तुलसी के पुराने पत्तों का भी प्रयोग किया जा सकता है।

-तुलसी के पत्तों को हमेशा चुटकी बजाकर ही तोड़ना चाहिए।

- रविवार के दिन तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए।

-अगर रविवार के दिन तुलसी दल यानी पत्तों की जरूरत हो तो शनिवार को ही तोड़ ले।

- खासकर रात के वक्त तुलसी पत्तों को तोड़ने से परहेज करना चाहिए। 

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तुलसी पूजा के दौरान जरूर रखें ये ध्यान

तुलसी के पौधे के चारों तरफ स्तंभ बनायें। उसके बाद  उस पर तोरण सजायें। रंगोली से अष्टदल कमल बनायें। साथ ही शंख,चक्र और गाय के पैर बनाएं। तुलसी का पंचोपचार सर्वांग पूजा करें। पूजा के दौरान दशाक्षरी मंत्र से तुलसी का आवाहन करें। दशाक्षरी मंत्र-श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वृन्दावन्यै स्वाहा ...हैं। नए घर में तुलसी का पौधा, श्रीहरि नारायण का चित्र या प्रतिमा और जल भरा कलश लेकर प्रवेश करने से नये घर में संपत्ति की कमी नहीं होती।  इसलिए मां तुलसी हैं विष्णु प्रिया और उनकी पत्तियों में वो शक्ति हैं जिसे पाकर भगवान विष्णु भी प्रसन्न हो जाते हैं। 

सबका कल्याण करती है तुलसी
तुलसी की कोई भी अराधना व्यर्थ नहीं जाती। कहते हैं कि अगर आप तुलसी की कोई भी पूजा या मंत्र आदि का जाप कर नहीं कर पा रहे हो तो सिर्फ तुलसी में रोजाना (रविवार छोड़कर) जल देना ही आपके सभी मनोरथ को सिद्ध कर सकता है। कहते हैं कि इनकी पूजा से साक्षात भगवान विष्णु प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए कहा गया है कि तुलसी आंगन की शोभा होती है जो पूरे परिवार के लिए शुभ होने का कारण बनती है।

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