Vaivaswat Saptami: जानें कब है वैवस्वत सप्तमी का पर्व? इन मंत्रों से करें सूर्यदेव को प्रसन्न, पूरी होगी हर मनोकामना

Vaivaswat Saptami Puja Vidhi: इस साल विवस्वत सप्तमी का पर्व 6 जुलाई को पड़ रहा है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव की विधि विधान से पूजा पाठ करने से हर मनोकामना पूरी होती है। इस दिन सूर्य के मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए।

Vaivaswat Saptami 2022
Vaivaswat Saptami  |  तस्वीर साभार: Indiatimes
मुख्य बातें
  • पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्य की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है
  • इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने से व्यक्ति को लंबी आयु, आरोग्य, धन-धान्य में बढ़ोत्तरी होती है
  • हिंदू धर्म के अनुसार सूर्य के अनेकों नाम हैं इन नामों में एक नाम विवस्वत भी कहलाता है

Vaivaswat Saptami 2022 Vrat: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को विवस्वत सप्तमी मनाई जाती है। इस साल विवस्वत सप्तमी तिथि 6 जुलाई को मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्य की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने से व्यक्ति को लंबी आयु, आरोग्य, धन-धान्य में बढ़ोत्तरी,  यश-कीर्ति, विद्या, भाग्य और पुत्र, मित्र व पत्नी का सहयोग प्राप्त होता है। हिंदू धर्म के अनुसार सूर्य के अनेकों नाम हैं इन नामों में एक नाम विवस्वत भी कहलाता है। यह हर साल आषाढ़ मास की सप्तमी के दिन पड़ता है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य देवता की विधि विधान से पूजा करने से हर मनोकामना व्यक्ति की पूरी होती है। आइए जानते हैं कैसे करें इस दिन सूर्यदेव को प्रसन्न।

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कैसे करें सूर्यदेव की पूजा

इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और उसके बाद तांबे के लोटे में जल भरें और उसमें लाल चन्दन,चावल, लाल फूल डालकर सूर्य निकले के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें। जल चढ़ाते समय सूर्य के वरूण रूप को प्रणाम करते हुए ऊं रवये नम: मंत्र का जाप करें। मान्यता है कि इस मंत्र  का जाप करने से सूर्य देव मनोवांछित फल देते हैं। इसके बाद दीप से सूर्य देव का पूजन करें। सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल कपड़े, गेहूं, गुड़, लाल चंदन का दान करें। ऐसा करना शुभ माना जाता है। श्रद्धानुसार इन में से किसी भी चीज का दान किया जा सकता है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा के बाद एक समय फलाहार करें।

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इन मंत्रों का जाप से करें सूर्यदेव को प्रसन्न

- ॐ हृां मित्राय नम:
- ॐ हृीं रवये नम:
- ॐ हूं सूर्याय नम:
- ॐ ह्रां भानवे नम:
- ॐ हृों खगाय नम:
- ॐ हृ: पूषणे नम:
- ॐ ह्रां हिरण्यगर्भाय नमः
- ॐ मरीचये नमः
- ॐ आदित्याय नमः
- ॐ सवित्रे नमः
- ॐ अर्काय नमः
- ॐ भास्कराय नमः

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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