Varuthini Ekadashi Vrat katha : वरुथिनी एकादशी की कथा हिंदी में, पौराणिक कहानी से जानें क्यों रखें ये व्रत

Varuthini Ekadashi 2022 Vrat katha in hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है यह व्रत। मान्याताओं के अनुसार वरुथिनी एकादशी के दिन कथा पढ़ने या श्रवण करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है।

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Varuthini Ekadashi 2022 katha in hindi 
मुख्य बातें
  • वैशाख माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है वरुथिनी एकादशी
  • इस दिन कथा पढ़ने या सुननें से पूर्व फल की प्राप्ति होती है
  • यहां आप वरूथिनी एकादशी व्रत की कथा हिंदी में पढ़ सकते हैं

Varuthini Ekadashi 2022 Vrat katha in hindi: हिंदू धर्म में हर एकादशी का एक खास महत्व होता है। वैशाख महीने की कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत को श्रद्धा-पूर्वक करने से भगवान नारायण की विशेष कृपा प्राप्त होती है। कुछ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। यदि आप भी भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त करने के लिए वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने की सोच रहे हैं, तो यहां आप इसकी कथा हिन्दी में पढ़ सकते है।

Varuthini Ekadashi 2022 Vrat katha in hindi

एक समय की बात है, नर्मदा नदी के तट पर मान्धाता नाम का एक राजा रहता था। राजा हमेशा धार्मिक कार्यों में लगा रहता था। एक बार वह जब जंगल में तपस्या कर रहा था, तभी वहां एक जंगली भालू आया और राजा का पैर चलाने लगा। लेकिन राजा तब भी भयभीत नहीं हुआ। भालू राजा के पैर को चढ़ाते हुए उसे पास के जंगल में ले गया। तब राजा भगवान विष्णु से प्रार्थना करने लगा।

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अपने भक्त की पुकार सुनकर भगवान विष्णु वहां प्रकट हुए और अपने चक्र से भालू को मार डाला। चूकिं भालू राजा का पैर खा चुका था, इसलिए वह इस बात को लेकर बहुत परेशान हो गया। भगवान विष्णु अपने भक्तों को दुखी देखकर बोले 'हे वत्स' तुम चिंता मत करों। तुम मथुरा जाओ और वहां वरुथिनी एकादशी का व्रत रखकर मेरा वराह अवतार मूर्ति की पूजा करों। उसके प्रभाव से तुम पहले की तरह हो जाओगें।

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इस भालू ने तुम्हें तुम्हारे पैर काट डालें यह तुम्हारे पूर्व जन्म का कोई अपराध था। तब भगवान विष्णु की आज्ञा मानकर राजा मथुरा गया और वहां श्रद्धा पूर्वक वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा। व्रत के प्रभाव से वह फिर से सुंदर और संपूर्ण रंगों वाला हो गया। तभी से यह व्रत पूरे संसार में विख्यात हो गया।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।) 

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