नई दिल्ली. श्री कृष्ण की कहानी बिना राधा जी के अधूरी है। भले ही दोनों ने शादी नहीं की लेकिन, दोनों के प्यार आज भी अमर है। मंदिरों में कृष्ण जी की मूर्ति के साथ राधाजी की मूर्ति होती हैं। दरअसल भगवान कृष्ण और राधा जी के बीच आध्यात्मिक रिश्ता था। कथा के अनुसार राधा का विवाह अनय के साथ हुआ था। लेकिन क्या आपको पता है कि राधाजी द्वारका में कृष्णजी के महल में रही थीं। यही नहीं, भगवान कृष्ण ने राधा की अंतिम इच्छा भी पूरी की थी।
श्री कृष्ण से बिछड़ने के बाद राधा रानी एक बार फिर उनसे मिलने उनकी नगरी द्वारका पहुंची। अपनी प्रेमिका को देखते ही कन्हैया अत्यधिक प्रसन्न हुए और उन्होंने राधा जी के आग्रह करने पर अपने ही महल में उन्हें देविका नियुक्त कर दिया। शास्त्रों के मुताबिक राधा रानी को द्वारका में कोई नहीं जानता था। देविका बनने के बाद राधा महल के काम काज देखती और कृष्ण के दर्शन मात्र से खुश हो जाती। राधा के मन में हमेशा एक ही डर रहता कि कहीं वह फिर से अपने कन्हैया से दूर न हो जाए। इस बैचेनी में वह एक दिन खुद महल छोड़ कर चली गईं।
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ये थी राधा की अंतिम इच्छा
पौराणिक कथाओं के मुताबिक कृष्ण को सब पता था वह भी राधा के पीछे चले गए। लेकिन, वह राधा के जीवन के आखिरी पल थे। कृष्ण ने राधा से कुछ मांगने को कहा तब राधा रानी ने यह इच्छा जताई कि उन्हें कृष्ण की बांसुरी की मधुर ध्वनि सुननी है। नन्दलाल ने बांसुरी बजाना शुरू किया ही था कि थोड़ी ही देर में राधा ने अपने प्राण त्याग दिए। अपनी प्रेमिका का मृत शरीर देखकर कृष्ण बहुत दुखी हुए और उन्होंने अपनी बांसुरी तोड़कर दूर फेंक दी।
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लक्ष्मी का रूप थी राधा
पौराणिक कथाओं के मुताबिक जहां, भगवान कृष्ण विष्णु के आठवें अवतार थे। वहीं, राधाजी लक्ष्मी का रूप थीं। वहीं दूसरी ओर ऐसा मानना है कि रुक्मणि राधा रानी का ही आध्यात्मिक रूप है शायद इसी वजह से श्री कृष्ण ने उनसे विवाह किया। वहीं, एक कथा के अनुसार राधा और कृष्ण का विवाह स्वयं ब्रह्मा जी ने करवाया था।जब कन्हैया अपनी बांसुरी बजाते थे तो राधा जहां कहीं भी होती थीं बांसुरी की मधुर ध्वनि को सुनकर उसके पीछे खींची चली आती थीं।
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