Jagrat Mahadev: भगवान केदारनाथ को क्यों कहा जाता है जागृत महादेव, यहां जानें इसके पीछे की पूरी कहानी

Kedarnath Bhagwan: कहते हैं भक्ति में ही शक्ति होती है अगर सच्चे मन से आप ईश्वर का स्मरण करेंगे तो भगवान आपका हर विपत्ति में साथ देंगे। भगवान अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते है। बस भक्त की श्रद्धा सच्ची होनी चाहिए।

kedarnath bhagwan called jagrat mahadev
kedarnath temple 
मुख्य बातें
  • श्रध्दा में बड़ी शक्ति होती है
  • ईश्वर स्मरण से हर विप्पति टल जाती है
  • शिव की शाक्षात देव है

Lord Kedarnath called Jgrat Mahadev: भगवान भोले भंडारी है। शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि शिव पूजन करने से हर प्रकार के कस्ट का निवारण होता है। इसी लिए इनको देवादि देव महादेव कहा जाता है। बात इस प्रसंग के माध्यम से शुरू करते है। एक बार एक शिव भक्त अपने गांव से केदारनाथ धाम की यात्रा करने गया था। पहले यातायात की सुविधाएं नहीं हुआ करती थीं। वह शिव भक्त पैदल ही निकल पड़ा। रास्ते में जो भी मिलता तो उनसे भगवान केदारनाथ धाम जाने का मार्ग पूछ लेता था। मन में भगवान शिव का ध्यान करते हुए उसको चलते चलते महीनों बीत गए। आखिरकार एक दिन वह केदारधाम पहुंच ही गया।

साल में 6 माह ही दर्शन देते हैं महादेब

जैसा कि हम सभी जानते हैं। पवित्र तीर्थ स्थल केदारनाथ में मंदिर के द्वार 6 महीने खुलते है और 6 महीने बंद रहते है। वह उस समय पर पहुंचा जब मन्दिर के द्वार बंद हो रहे थे। पंडित जी को उसने बताया वह बहुत दूर से महीनों की यात्रा करके आया है। पंडित जी से प्रार्थना की कृपा कर के दरवाजे खोलकर प्रभु के दर्शन करवा दीजिये। लेकिन वहां का तो नियम है एक बार पट बंद हो गए तो फिर वह अपने निश्चित समय और ही खुलेंगे। नियम तो नियम होता है। वह बहुत रोया बार बार भगवन शिव को याद किया कि प्रभु बस एक बार दर्शन दे दो। वह प्रार्थना कर रहा था सभी से लेकिन किसी ने भी उस व्यक्ति की कोई बात नही सुनी।

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जब महादेव ने अपने भक्त की भूख मिटाई

पंडित जी बोले अब यहाx 6 महीने बाद आना 6 महीने बाद यहां के दरवाजे खुलेंगे। यहां 6 महीने बर्फ और ठंड पड़ती है। सभी जन वहां से चले गये, वह वही पर रोता रहा। रोते-रोते रात होने लगी, चारों तरफ अंधेरा हो गया। लेकिन उसे विश्वास था अपने शिव पर कि वो जरुर कृपा करेंगे। उसे बहुत भूख और प्यास भी लग रही थी। उसने किसी के आने की आहट सुनी। देखा एक सन्यासी बाबा उसकी ओर आ रहा था। वह सन्यासी बाबा उस व्यक्ति के पास आकर बैठ गया और उस व्यक्ति से पूछा बेटा कहां से आये हो। उस व्यक्ति ने सारा हाल उस सन्यासी व्यक्ति को सुना दिया। बोला मेरा यहां पर आना व्यर्थ हो गया बाबा जी। बाबा जी ने उसे समझाया और खाना भी खिलाया। फिर बहुत देर तक बाबा उससे बात करते रहे। 

महादेव ने सन्यासी रूप में भक्त को दिए दर्शन

बाबा जी को उस पर दया आ गयी। वह बोले बेटा मुझे लगता है सुबह मन्दिर जरुर खुलेगा तुम दर्शन जरुर करोगे। बातों बातों में इस भक्त को ना जाने कब नींद आ गयी। सूर्य के मद्धिम प्रकाश के साथ भक्त की आंख खुली उसने इधर उधर बाबा को देखा किन्तु वह कहीं नहीं थे। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता उसने देखा पंडित जी आ रहे है। अपनी पूरी मंडली के साथ। उस व्यक्ति ने पंडित जी को प्रणाम किया और बोला कल आप ने तो कहा था मन्दिर 6 महीने बाद खुलेगा और इस बीच यहां कोई नहीं आएगा। लेकिन आप तो सुबह ही आ गये। पंडित जी ने उसे गौर से देखा पहचानने की कोशिश की और पूछा तुम वही हो जो मंदिर का द्वार बंद होने पर मुझे मिले थे। 6 महीने होते ही तुम वापस आ गए। उस आदमी ने आश्चर्य से कहा नहीं मैं कहीं नहीं गया। कल ही तो आप मिले थे। रात में, मैं यहीं सो गया था और कहीं नहीं गया। पंडित जी के आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं था।

जब महादेब ने अपनी योग माया से 6 महीने एक रात में बदल दिए

पंडित जी ने उस व्यक्ति से कहा लेकिन मैं तो 6 महीने पहले मंदिर बन्द करके गया था और आज 6 महीने बाद आया हूं। तुम छः महीने तक यहां पर जिन्दा कैसे रह सकते हो। पंडित जी और सारी मंडली हैरान थी। इतनी सर्दी में एक अकेला व्यक्ति कैसे छः महीने तक जिन्दा रह सकता है। तब उस भक्त ने उनको सन्यासी बाबा के मिलने और उसके साथ की गयी सारी बातें बता दी, कि एक सन्यासी आया था लम्बा था। उसके बड़ी दाड़ी बड़ी जटाये, एक हाथ में त्रिशुल और एक हाथ में डमरू लिए मृग शाला पहने हुआ था। पंडित जी और सब लोग उसके चरणों में गिर गये। बोले हमने तो जिंदगी लगा दी किन्तु प्रभु के दर्शन ना पा सके सच्चे भक्त तो तुम हो। तुमने तो साक्षात भगवान शिव के दर्शन किये है। उन्होंने ही अपनी योग माया से तुम्हारे 6 महीने को एक रात में परिवर्तित कर दिया। काल-खंड को छोटा कर दिया। यह सब तुम्हारे पवित्र मन तुम्हारी श्रद्वा और विश्वास के कारण ही हुआ है। यह बात सुनकर वह शिव भक्त भी अचरज में पड़ गया। इसी वजह से केदारनाथ महादेव को जाग्रत महादेव कहा जाता है। यह प्रसंग कई धर्म शास्त्रों में मिलता है।

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