जानें क्यों नहीं ग्रहण करना चाहिये शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद, ये है आश्चर्यजनक रहस्य

आध्यात्म
Updated Jun 10, 2019 | 09:08 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

भगवान पर चढ़ा प्रसाद लोगों में बांटना और खाना बहुत शुभकारी माना जाता है, लेकिन ऐसा भगवान शिव के प्रसाद के साथ नहीं होता। उनके कुछ स्वरूप पर चढ़े प्रसाद बिलकुल नहीं खाने चाहिए। ऐसा क्यों? आइए जानें...

Lord Shiv
Lord Shiv  |  तस्वीर साभार: Instagram

भगवान शिव की पूजा विभिन्न धातुओं से बने शिवलिंग या संपूर्ण आकर वाले प्रतिमा से की जाती है। उनका शिवलिंग एक नहीं कई धातुओं से बना होता है। शिवलिंग का निर्माण कहीं पाषाण, तो किहीं चीनी मिट्टी तो कहीं केवल मिट्टी भी होता है। इतना ही नहीं कई जगह शिवलिंग की स्थापना पीतल, कांसे या चांदी से भी होती है। भक्त अपनी इच्छानुसार भगवान शिव की विभिन्न स्वरूप में पूजा करते हैं।

लेकिन आपको यह जान कर आश्चर्य होगा की भगवान शिव के हर स्वरूप पर चढ़ा प्रसाद ग्राह्य नहीं होता। मान्यता है कि शिव जी की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करने के कुछ नियम हैं। इन नियमों का पालन नहीं करना इंसान पर भारी पड़ता है। तो आइए जानें की ऐसा क्या है कि शिव का प्रसाद ग्रहण करते हुए लोग डरते हैं और उन्हें प्रसाद ग्रहण करने से पहले कुछ बातों की जांच कर लेनी चाहिए।

इसलिए डरते हैं प्रसाद ग्रहण करने से
चंडेश्वर को शिव के प्रसाद का अंश माना जाता है। चंडेश्वर भूत-पिशाच के देवता माने जाते हैं और मान्यता है कि यदि शिव पर चढ़ा प्रसाद खा लिया जाए तो इससे चंडेश्वर नाराज हो जाते हैं। चंडेश्वर के कोपभाजन से बचने के लिए लोग प्रसाद ग्रहण करने से बचते हैं, लेकिन यहां यह जानना जरूरी है कि चंडेश्वर शिव के प्रसाद के अंश जरूर हैं लेकिन सभी प्रसाद के नहीं। कुछ प्रसाद पर उनका अंश नहीं होता।

इस प्रसाद को नहीं करना चाहिए ग्रहण
शिव महापुराण के अनुसार शिव का प्रसाद चंडेश्वर का अंश तभी होता है जब वह मिट्टी, चीनी मिट्टी या साधारण पत्थर से बने शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है। ऐसा प्रसाद इंसान को ग्रहण नहीं करना चाहिए। बल्कि इस पर चढ़े प्रसाद को या तो बहती नदी में प्रवाहित करना चाहिए या किसी साधु-संयासी को देना चाहिए।

ये प्रसाद ग्रहण करना होगा फलदायी
पारद से बने शिवलिंग या शालिगराम के साथ रखे गए शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को आप खा सकते हैं। ये चंडेश्वर का अंश नहीं होता। साथ ही शिव जी की प्रतिमा पर चढ़े प्रसाद भी खा सकते हैं। इसलिए जब भी आप शिव जी का प्रसाद ग्रहण करें इस बात की तस्दीक जरूर कर लें कि प्रसाद शिव जी के किस स्वरूप का है।

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