World Bamboo Day 2022: प्रत्येक वर्ष 18 सितंबर को दुनियाभर में विश्व बांस दिवस मनाया जाता है। बांस के पौधे के कई लाभ हैं, जिसे जान आप हैरान रह जाएंगे। फर्नीचर बनाने से लेकर, भोजन, जैव ईंधन, कपड़े और अन्य चीजों में बांस का उपयोग किया जाता है। बैम्बू प्लांट की सबसे खास बात यह है कि इसे एक बार लगाने के यह बहुत ही तेजी के साथ बढ़ता है और इसे दोबारा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। वास्तु में भी बांस के पौधे को सकारात्मक ऊर्जा वाला पौधा माना जाता है जोकि घर के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।
वास्तु के अनुसार उचित दिशा में इस पौधे को लगाने से घर पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है और सोई किस्मत भी जाग जाती है। आप घर के भीतर या अपने गार्डन में बांस का पौधा लगा सकते हैं। जानते हैं बांस के पौधे के फायदे के बारे में और वास्तु के अनुसार किस दिशा में लगाना चाहिए बांस का पौधा।
घर पर बांस का पौधा लगाने के फायदे
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किस दिशा में लगाना चाहिए बैम्बू प्लांट
वास्तु में दिशा का विशेष महत्व होता है। किसी भी चीज का शुभ फल तभी प्राप्त होता है जब उसे उचित स्थान व दिशा में लगाया गया हो। वास्तु के अनुसार बैम्बू प्लांट लगाने के लिए दक्षिण पूर्व दिशा को सबसे बेहतर माना जाता है। इस दिशा में यदि आप बैम्बू प्लांट लगाते हैं, तो घर पर शांति बनी रहती है और धन का आगमन बढ़ता है। आप बैम्बू प्लांट को पानी के जार में सजावट के तौर पर घर के किसी भी हिस्से में या फिर डाइनिंग टेबल पर रख सकते हैं। बेडरूम में बांस का पौधा लगाने से पति-पत्नी क बीच प्यार बढ़ता है।
बैम्बू प्लांट को लेकर इन बातों का रखें ध्यान
कभी भी मुरझाए और सूखे हुए बैम्बू प्लांट को घर पर नहीं रखना चाहिए। साथ ही इस पौधे को घर के किसी ऐसी जगह पर ना लगाएं जहां सूरज की सीधी रोशनी पढ़ती हो। इससे पौधा जल सकता है। इस बात भी ध्यान रखें कि इस पौधे को कभी भी टांगना नहीं चाहिए। इससे नेगेटिव एनर्जी आती है।
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क्यों मनाया जाता है विश्व बांस दिवस
विश्व बांस दिवस (Bamboo Day 2022) को बांस के रोपण के लिए जागरूकता बढ़ाने, प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण की रक्षा के उद्देश्य से मनाया जाता है। पहली बार 18 सितंबर 2009 को बैंकॉक में औपचारिक रूप से इसका आयोजन किया गया था औरइस दिन को हर साल विश्व बांस दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी। तब से हर साल 18 सितंबर के दिन विश्व बांस दिवस मनाया जाता है। बता दें कि बांस का उपयोग मुख्य रूप से पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे ज्यादा किया जाता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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