Special Non Stop Devi Bhajans: नवरात्रि पूजा में मां दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा की जाती है। नौ दिन में मां के अलग- अलग रूप की पूजा की जाती है। मां दुर्गा शक्तिस्वरूपा, दयावान,ज्ञान, करुणा और दुश्मनों का नाश करने वाली हैं। इसलिए मां की पूजा को बहुत गंभीरता और पूरे समर्णण भाव से करना चाहिए। पूजा स्थल को बहुत साफ और निर्मल रखें अैर पूजा के दौरान मन और शरीर की शुद्धता बहुत महत्वपूर्ण होती है। मां की पूजा के साथ उनके मंत्र, आरती और भजन मो जो भी मन से गाता है मां उस पर आपनी कृपा हमेशा बनाए रखती हैं।
नवरात्रि पूजा में इन्हें निमंत्रण देना न भूलें
दीपक और अगरबत्ती जला कर सभी पवित्र नदियों का आह्वान करें और उन्हें पूजा के समय पूजा के घट, घट को शुद्ध करने और नौ दिनों के लिए घट में स्थापित रहने को कहें। सभी देवताओं को पूजा स्थल में स्थापित करने की प्रार्थना करें। पंचोपचार को देवताओं को अर्पित करें। यानी गंध, फूल, अगरबत्ती, कपूर की रोशनी और भोग लगाएं। फिर मां के मंत्र, चालिसा, आरती करें। अंत में मां के भजन जरूर गाएं। तो आइए इस भजन को गा कर मां का आशीर्वाद प्राप्त करें।
मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ
मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ, दर्शन करने मइया के दरबार आया हूँ ।
ऐ लाल चुनरिया वाली बेटी ये तो बताओ माँ के भवन जाने का रास्ता
किधर से है इधर से है या उधर से
सुन रे भक्त परदेशी, इतनी जल्दी है कैसी
अरे जरा घूम लो फिर,
लो रौनक देखो कटरा की जाओ तुम वहां जाओ,
पहले पर्ची कटाओ ध्यान मैया का धरो,
इक जैकारा लगाओ चले भक्तों की टोली,
संग तुम मिल जाओ, तुम्हे रास्ता दिखा दूँ,
मेरे पीछे चले आओ ये है दर्शनी डयोढ़ी,
दर्शन पहला है ये करो यात्रा शुरू तो जय माता दी कह यहाँ तलक तो लायी बेटी
आगे भी ले जाओ न मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ...
इतना शीतल जल ये कौन सा स्थान है बेटी ये है बाणगंगा,
पानी अमृत समान, होता तन मन पावन,
करो यहाँ रे स्नान माथा मंदिर में टेको,
करो आगे प्रस्थान, चरण पादुका वो आई,
जाने महिमा जहान मैया जग कल्याणी माफ़ करना मेरी भूल,
मैंने माथे पे लगाई तेरी चरणों की धूल अरे यहाँ तलक तो लायी बेटी आगे भी ले जाओ न मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ...
ये है आदि कुवारी महिमा है इसकी भारी गर्भजून वो गुफा है,
कथा है जिसकी न्यारी भैरों जती इक जोगी, मास मदिरा आहारी,
लेने माँ की परीक्षा बात उसने विचारी मास और मधु मांगे मति उसकी थी मारी हुई अंतर्ध्यान माता,
आया पीछे दुराचारी नौ महीने इसी मे रही मैया अवतारी
इसे गुफा गर्भजून जाने दुनिया ये सारी धन्य धन्य मेरी माता,
धन्य तेरी शक्ति मिलती पापों से मुक्ति करके
तेरी भक्ति यहाँ तलक तो लायी बेटी आगे भी ले जाओ न
मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ...
ओह मेरी मइया इतनी कठिन चढ़ाई ये कौन सा स्थान है बेटी
देखो ऊँचे वो पहाड़ और गहरी ये खाई जरा चढ़ना संभल के हाथी मत्थे की चढ़ाई टेढ़े मेढ़े रस्ते है,
पर डरना न भाई देखो सामने वो देखो सांझी छत की दिखाई
ऐसा लगता है मुझको मुकाम आ गया माता वैष्णो का निकट ही धाम आ गया
यहाँ तलक तो लायी बेटी आगे भी ले जाओ
न मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ...
देखो सामने गुफा है मैया रानी का दुआरा
माता वैष्णो ने यहाँ रूप पिण्डियों का धारा
चलो गंगा में नहा लो थाली पूजा की सजा लो लेके
लाल लाल चुनरी अपने सर पे बंधवा लो
जाके सिंदूरी गुफा में माँ के दर्शन पा लो
बिन मांगे ही यहाँ से मन इच्छा फल पा लो
आज तुमने सरल पे उपकार कर दिया
दामन खुशियों से आनंद से भर दिया
भेज बुलावा अगले बरस भी परदेशी को बुलाओ माँ
हर साल आऊंगा जैसे इस बार आया हूँ
मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ...
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