LIVE BLOG
More UpdatesMore Updates

Anant Chaturdashi 2022 Date, Puja Vidhi, Muhurat: आज मनाया जा रहा है अनंत चतुर्दशी का पर्व, जानें पूजा विधि, आरती, कथा व शुभ मुहूर्त

Anant Chaturdashi 2022 Date Kab Hai, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Time, Samagri, Mantra: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी व्रत रखा जाता है। इस दिन गणेश उत्सव का विधिवत समापन होता है और उनका विसर्जन किया जाता है। यहां जानें अनंत चतुर्दशी 2022 कब है और क्या है पूजा मुहूर्त।

Anant Chaturdashi 2022 Date, Puja Vidhi, Muhurat
अनंत चतुर्दशी कब है 2022, देखें डेट, पूजा विधि, मुहूर्त, कथा

Anant Chaturdashi 2022 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Samagri List: अनंत चतुर्दशी का पर्व आज यानी 09 सितंबर को मनाया जा रहा है। यह भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन गणेशोत्सव का विधिवत समापन होता है और भव्य तरीके से श्रद्धापूर्वक गणपति का विसर्जन किया जाता है। इस पर्व पर भक्त व्रत रखते हैं और गणपति को विदा करने से पहले उनसे अगले बरस फिर आने का वादा मांगते हैं। साथ ही आशीर्वाद बनाए रखने की भी कामना करते हैं। अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस भी कहा जाता है। वहीं इस दिन विष्णु जी के अनंत स्वरूपों की पूजा के साथ अनंत सूत्र भी बांधा जाता है। यहां आप Anant Chaturdashi की पूजा विधि, व्रत विधि, पूजा सामग्री, कथा, मंत्र, आरती आदि से जुड़ी तमाम जानकारी पा सकते हैं। 

Sep 09, 2022  |  03:31 PM (IST)
मुंबई में धूमधाम से लोगों ने किया गणपति बप्पा को विदा
Sep 09, 2022  |  03:01 PM (IST)
विष्णु जी के इस मंत्र का करें जाप

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी। 
हे नाथ नारायण वासुदेवा।।

Sep 09, 2022  |  01:54 PM (IST)
अनंत चतुर्दशी व्रत का लाभ

ऐसी मान्यता है कि जो भक्त अनंत चतुर्दशी पर व्रत रखता है तथा भगवान विष्णु की पूजा करता है उसे शारीरिक व मानसिक परेशानियों के साथ आर्थिक तंगी से भी मुक्ति मिलती है।

Sep 09, 2022  |  01:07 PM (IST)
अनंत चतुर्दशी पर अपनों को यूं दे बधाई

सुख-सम्पति मिले
मिले ख़ुशी-शांति अपार
आपका जीना सफल हो
जब आप आएं गणेश जी के द्वार
हैप्पी अनंत चतुर्दशी

Sep 09, 2022  |  12:22 PM (IST)
यह है दिव्य स्वरुप विष्णु मंत्र 

शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभांगम
लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं।
वंदे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।

Sep 09, 2022  |  12:04 PM (IST)
शीघ्र फलदाई हैं विष्णु जी के यह मंत्र

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी। 
हे नाथ नारायण वासुदेवा।।

Sep 09, 2022  |  12:02 PM (IST)
भगवान विष्णु के पंचरूप मंत्र

ॐ अं वासुदेवाय नमः

ॐ आं संकर्षणाय नमः

ॐ अं प्रद्युम्नाय नमः

ॐ अः अनिरुद्धाय नमः

ॐ नारायणाय नमः

Sep 09, 2022  |  11:16 AM (IST)
धन संपन्नता के लिए करें इस मंत्र का जाप

धन संपन्नता के लिए अनंत चतुर्दशी पर इस मंत्र का जाप करें-

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेरिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुतः पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

Sep 09, 2022  |  10:44 AM (IST)
14 गांठें लगाकर तैयार करें रक्षासूत्र

अनंत चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहन लें। आप किसी मंदिर में या घर पर भी अनंत चतुर्दशी की पूजा कर सकते हैं। पूजा के लिए एक कलश स्थापना करें। कलश के ऊपर धातु का एक पात्र रखकर कुश से भगवान अनंत की स्थापना करें। एक सूत या रेशमी धागे को हल्दी और केसर से रंगकर उसमें 14 गांठे लगाकर रक्षासूत्र तैयार कर लें। फल फूल, हल्दी, अक्षत, पंचोपचार और नवैद्य आदि अर्पित कर भगवान की विधि-विधान से पूजा करें। पूजा में रक्षासूत्र भगवान को अर्पित करें। अनंत चतुर्दशी की व्रत कथा पढ़ें। पूजा समाप्त होने के बाद रक्षासूत्र को अपने हाथ में बांधें।

Sep 09, 2022  |  10:17 AM (IST)
कष्टों से मिलती है मुक्ति

अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत और पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और अनंत सूत्र हाथों में बांधने से भक्तों को सारे कष्टों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि भगवान विष्णु को अर्पित किया जाने वाला 14 गांठों वाला यह रक्षासूत्र 14 लोको का प्रतिनिधित्व करते हैं। यही कारण है कि इस सूत्र को हाथ में बांधने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति भी होती है।

Sep 09, 2022  |  09:57 AM (IST)
पूजन में इस मंत्र का जप करें

प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमानमिच्छानुकूलमखिलं च वरं ददानम्।
तं तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयो: शिवाय।।

प्रातर्भजाम्यभयदं खलु भक्तशोकदावानलं गणविभुं वरकुञ्जरास्यम्।
अज्ञानकाननविनाशनहव्यवाहमुत्साहवर्धनमहं सुतमीश्वरस्य।।

इस मंत्र का अर्थ यह है कि मैं ऐसे देवता का पूजन करता हूं, जिनकी पूजा स्वयं ब्रह्मदेव करते हैं। ऐसे देवता, जो मनोरथ सिद्धि करने वाले हैं, भय दूर करने वाले हैं, शोक का नाश करने वाले हैं, गुणों के नायक हैं, गजमुख हैं, अज्ञान का नाश करने वाले हैं। मैं शिव पुत्र श्री गणेश का सुख-सफलता की कामना से भजन, पूजन और स्मरण करता हूं।

Sep 09, 2022  |  09:22 AM (IST)
लक्ष्मी-विनायक मंत्र का जप करें

दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरदे सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।।

यदि आप लक्ष्मी कृपा चाहते हैं तो पूजा में इस लक्ष्मी-विनायक मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें। मंत्र जप के लिए कमल के गट्‌टे की माला का उपयोग करना चाहिए। ध्यान रखें मंत्र का जप सही उच्चारण के साथ करना चाहिए।

Sep 09, 2022  |  09:21 AM (IST)
दान का है बहुत महत्व

इस महापर्व के सुन्दर अवसर पर दान का बहुत महत्व है। मंदिर में फलों से भरी टोकरी श्री हरि को दान करें। गरीबों में भोजन का वितरण करें। अनाथालय में अन्न और वस्त्र का दान करें।

Sep 09, 2022  |  08:43 AM (IST)
गणेश विसर्जन विधि

गणेश विसर्जन के दिन सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश की विधि अनुसार पूजा करें। गणेश पूजन के समय बप्पा को कुमकुम, हल्दी, दुर्वा, नारियल और अक्षत अर्पित करें। यह सभी बप्पा की प्रिय चीजें मानी गई हैं। इसके बाद उन्हें मोदक और लड्डू का भोग लगाएं। फिर धूप, दीप और अगरबत्ती से उनकी पूजा करें और ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें। अब एक साफ चौकी पर गंगाजल का छिड़काव करें और उस पर स्वास्तिक बनाएं। इसके पश्चात अक्षत डालें फिर उस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। इसके बाद चौकी के सभी किनारों पर सुपारी रखें और बप्पा की मूर्ति इस पर स्थापित करें। फिर इस चौकी के साथ किसी पवित्र नदी या पोखरे के किनारे बप्पा का विसर्जन करें। याद रहे बप्पा का विसर्जन करने से पहले कपूर से उनकी आरती की जाती है। विसर्जन करते समय भगवान गणेश का ध्यान करते हुए उनसे अगले साल वापस आने की प्रार्थना करें।

Sep 09, 2022  |  08:16 AM (IST)
करें गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे
मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे
संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत
निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥

'सूर' श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो
जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥

Sep 09, 2022  |  07:43 AM (IST)
अनंत चतुर्दशी की सामग्री

भगवान गणेश को समर्पित अनंत चतुर्दशी का त्योहार आज है। इस दिन गणेश जी की दस दिवसीय पूजा संपन्न हो जाती है और उनका विसर्जन किया जाता है। 

अनंत चतुर्दशी की सामग्री

हल्दी, रोली, मोली (रक्षासूत्र) पंचमेवा, सात प्रकार के फल शहद, जनेऊ, गंगाजल, अष्टगंध पाउडर, कपूर, अगरबत्ती, धूपबत्ती, सुपारी, लौंग, इलायची, रूई, रूई गोलबत्ती, चंदन, अक्षत (साबुत चावल), शुद्ध घी, दीपक, लाल कपड़ा, पीला कपड़ा, सूखा साबुत नारियल, केसर, नैवेद्य और अनंत धागा।

Sep 09, 2022  |  07:22 AM (IST)
अनंत चतुर्दशी का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, अनंत चतुर्दशी के त्योहार की जड़ें महाभारत से जुड़ी हैं। इस दिन को भगवान विष्णु से जुड़े होने के रूप में मनाया जाता है। स्वामी ने 14 लोकों, तल, अटल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भी, भुव, जन, तप, सत्य, मह का निर्माण किया।

इनका पालन करने और उनकी रक्षा करने के लिए, वह 14 विभिन्न अवतारों के रूप में इस नश्वर दुनिया में आए, जिसने उन्हें अनंत होने का नाम दिया। इन अवतारों ने एक प्रमुख भूमिका निभाई। इसलिए, अनंत चतुर्दशी के दिन का बहुत महत्व है, क्योंकि आप स्वयं सृष्टि के स्वामी को प्रसन्न कर सकते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

इस दिन मनाया जाने वाला व्रत भी एक प्रमुख महत्व रखता है। यह सब उन्हें खुश करने और आनंद व संतोष से भरा एक शाश्वत जीवन पाने के लिए किया जाता है। यह भी माना जाता है कि इस दिन उपवास के साथ, यदि कोई भी व्यक्ति विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।

यह व्रत धन, प्रचुरता और समृद्धि को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। पर्याप्त धन, खुशी और बच्चों आदि की इच्छा व्यक्ति को नश्वर अस्तित्व में आशीर्वाद पाने के लिए प्रेरित करती है। यह व्रत भारत के कई राज्यों में प्रचलित है। इस दिन भगवान विष्णु की लोक कथाएं परिवार के सदस्यों द्वारा सुनी जाती हैं।

Sep 09, 2022  |  06:58 AM (IST)
अनंत चतुर्दशी से जुड़ी पौराणिक कथा

महाकाव्य महाभारत के अनुसार, कौरवों ने पांडवों को जुए में हराकर उनकी संपत्ति हड़प ली। इसके बाद, पांडवों को अपना राज्य, अपनी संपत्ति और सभी विलासिता खोनी पड़ी, इस दौरान पांचों भाई जंगल में निर्वासन की अवधि के लिए चले गए। इस अवधि में, उन्हें बहुत दर्द और कठिनाइयों को सहना पड़ा। एक दिन, भगवान कृष्ण वन में पांडवों से मिलने गए।

उचित सम्मान के साथ उनका अभिवादन करने के बाद, पांडवों में सबसे बड़े युधिष्ठिर ने उनसे एक रास्ता पूछा, जिसके माध्यम से वह सम्मान के साथ अपना खोया हुआ राज्य और धन वापस पा सकते हैं। यह सुनकर प्रभु ने उन्हें एक उपाय बताया जो जीवन में सभी समस्याओं का निदान करके उनके दिल की इच्छा को पूरा कर सकता है। यह उपाय अनंत चतुर्दशी का व्रत था, जो भगवान विष्णु का स्मरण कराता है। उन्होंने उनसे इस व्रत का पालन करने और अपनी पत्नी और भाइयों के साथ भगवान विष्णु की आराधना करने की सलाह दी।

यह सुनने के बाद, युधिष्ठिर ने कृष्ण को यह समझाने के लिए कहा कि अनंत कौन हैं। भगवान कृष्ण ने महान विवरण में बताया कि भगवान अनंत भगवान विष्णु के एक अन्य अवतार हैं। भगवान विष्णु अनंत समय के लिए शेषनाग पर चातुर्मास में विश्राम करते हैं। वामन के अवतार में अनंत भगवान सिर्फ 2 पग में तीन लोकों को लांघते हुए चले गए।

कोई भी उनकी शुरुआत और अंत के बारे में नहीं जानता है। उनकी पूजा करने से आपके जीवन पर आए सभी संकटों और बाधाओं का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा और आप वह जीवन जी पाएंगे जो आप हमेशा चाहते थे।

कथा समाप्त होने के बाद, युधिष्ठिर ने अपने परिवार के साथ इस व्रत का पालन करने का संकल्प लिया, और इसके सफल होने के बाद वह अपना खोया हुआ राज्य और धन वापस पाने में सफल रहे।

Sep 09, 2022  |  06:40 AM (IST)
अनंत चतुर्दशी पर ऐसे करें पूजा?

अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु के अनंत रूपों की पूजा करने की परंपरा है। इस दिन भगवान विष्णु के भक्तों को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठने के बाद नित्य क्रियाओं से निवृत्त हो जाना चाहिए। स्नान करने के बाद इस दिन भक्त स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा घर की सफाई करने के बाद भगवान विष्णु के सामने व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद मंदिर में कलश स्थापना करें फिर भगवान विष्णु जी की प्रतिमा या मूर्ति की स्थापना करें। अब एक डोरी के ऊपर केसर, कुमकुम और हल्दी लगाएं फिर इसमें 14 गांठें लगाने के बाद भगवान विष्णु जी की पूजा करें।

Sep 09, 2022  |  06:15 AM (IST)
अनंत चतुर्दशी की तिथि और शुभ मुहूर्त

आनंद चतुर्दशी तिथि: 9 सितंबर 2022, शुक्रवार
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 8 सितंबर 2022 रात 9:02 से 
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 9 सितंबर 2022 शाम 6:07

कई पंडितों के अनुसार, अनंत चतुर्दशी पर इस वर्ष घनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र बन रहे हैं। इन दोनों नक्षत्रों की वजह से इस दिन प्रजापति और सौम्य नाम के दो शुभ योग भी बनने वाले हैं। इस दिन सुकर्मा, रवि और धृति योग भी रहेंगे।