Dhanteras 2021 Laxmi Puja Vidhi, Shubh Muhurat: देशभर में आज (2 नवंबर) धनतेरस का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर की पूजा की जाती है। पूजा के वक्त सबसे अहम चीज होती है शुभ मुहूर्त।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के इस दिन भगवान धन्वंतरि सागर मंथन के दौरान हाथ में कलश लिए उत्पन्न हुए थे। इसी कारण आज के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। पूजा में सबसे अहम होता है शुभ मुहूर्त। इसके अलावा पूजा सामग्री, मंत्र और आरती का भी खास ध्यन रखना होगा। वहीं, धनतेरस के दिन भूलकर भी कुछ काम न करें।
Dhanteras 2021 Puja Vidhi, Muhurat
धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras puja procedure)
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की षोडशोपचार की पूजा करें। षोडशोपचार का मतलब 16 क्रियाओं से है। पूजा के अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा जरूर चढ़ाएं। पूजा समापन करने के बाद धन्वंतरी देवता के सामने धूप, दीप, हल्दी, कुमकुम, चंदन, चावल और फूल चढ़ाकर उनके मंत्र का उच्चारण करते हुए जाप करें। धनतेरस के दिन घर के ईशान कोण में धन्वंतरी भगवान की पूजा करें।
पौराणिक परंपराओं के अनुसार, धनतेरस के दिन लोग अपने घरों में सोना, चांदी, आभूषण और वाहन समेत कई चीजें खरीद कर लाते हैं। इस दिन लोग नई झाड़ू भी खरीदते हैं। मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस पर धनिया खरीदने का महत्व है। ऐसा माना जाता है कि धनतेरस पर धनिया खरीदना शुभ है। धनिया खरीदने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं तथा उनकी कृपा हमेशा भक्तों पर बनी रहती है।
आज पूरे भारत में धनतेरस का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस के दिन मंदिर में कुछ चीजें दान करनी चाहिए। माना जाता है कि धनतेरस पर लोगों को मंदिर में झाड़ू दान करना चाहिए। इस दिन मंदिरों में झाड़ू दान करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। ऐसा करने से घर में खुशहाली आती है।
धनतेरस के शुभ पर्व पर मां लक्ष्मी तथा भगवान धन्वंतरि की पूजा करने के साथ मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए। इस दिन हर एक श्रद्धालु को 'ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं महालक्ष्मी धनदा लक्ष्मी कुबेराय मम गृह स्थिरो ह्रीं ॐ नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र का जाप करने से भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होता है।
धनतेरस के शुभ अवसर पर लोग अपने परिजनों और दोस्तों को कुछ बेहतरीन तोहफे भेंट करते हैं। अगर आप किसी महिला को धनतेरस के दिन पर तोहफा देना चाहते हैं तो, इस दिन उन्हें सोलह श्रृंगार की चीजें भेंट करें। धनतेरस पर महिलाओं को सोलह श्रृंगार की चीजें भेंट करना शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से माता लक्ष्मी खुश होती हैं तथा आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
धनतेरस के शुभ दिन पर श्रद्धालुओं को पीले रंग का कपड़ा पहनना चाहिए। धनतेरस की शाम को खासकर पीले रंग का वस्त्र स्नान करने के बाद धारण किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। अगर आप धनतेरस की शाम को पूजा कर रहे हैं तो पीला वस्त्र अवश्य धारण करें, इसके साथ उत्तर दिशा की ओर मुंह करके मंत्रों का जाप करें इससे आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
धनतेरस के पवित्र पर्व पर माता लक्ष्मी की पूजा विशेष विधान से होती है। धनतेरस पर माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पूजा के दौरान उन्हें लप्सी का भोग लगाएं। इसके साथ लप्सी गेहूं, घी और चीनी का मिश्रण बनाकर शाम के समय माता लक्ष्मी को भोग चढ़ाएं। माता लक्ष्मी को भोग अर्पित करने के बाद प्रसाद अवश्य ग्रहण करें।
धनतेरस पर झाड़ू खरीदने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि धनतेरस पर झाड़ू खरीदने से मां लक्ष्मी घर में वास करती हैं। अगर आप धनतेरस पर झाड़ू खरीद रहे हैं तो झाडू को सही जगह पर रखें। भूल से भी इस झाड़ू पर पैर ना लगाएं। झाड़ू पर पैर लगने से मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं। खरीदे हुए झाड़ू को बाहर ना रखें इससे धन की हानि होती है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस को खरीदारी के लिए साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस दिन लक्ष्मी को प्रिय लगने वाले पुष्पों और वस्त्रों से माता का श्रृंगार करना चाहिए। माता को पुष्प में कमल और गुलाब प्रिय है। मिष्ठान भोजन और खीर पसंद है। केसर की मिठाई और हलवा प्रिय है। आज के दिन मां लक्ष्मी जी की पूजा करते समय आप उन्हें प्रसन्न करने के लिए पूजा मंत्र का जाप और आरती गा सकते हैं।
आज पूरे भारत में धनतेरस का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दिन सोना, चांदी, वाहन और आभूषण खरीदने की परंपरा है। धनतेरस के दिन भूलकर भी लोगों को लोहा, कांच की चीजें, काले रंग की चीजें और खाली बर्तन नहीं खरीदना चाहिए।
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।। जय धन्वंतरि...।।
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।। जय धन्वंतरि...।।
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।। जय धन्वंतरि...।।
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।। जय धन्वंतरि...।।
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।। जय धन्वंतरि...।।
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।। जय धन्वंतरि...।।
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।। जय धन्वंतरि...।।
माता लक्ष्मी को कुमकुम या रोली से तिलक करना चाहिए। भगवान को भोग लगाने के लिए शुद्ध देसी घी में पूरी तलें अब उसमें एक छोटा सा गुड़ थोड़ी सी हल्दी और एक हरा धनिया का पत्ता डाल कर भगवान को भोग लगाएं।
मंदिर में उपस्थित सभी देवी-देवताओं को नहालाकर उनका श्रंगार करें। फिर अनाज के छोटे से ढेर पर शुद्ध देशी घी का दीपक जला कर रखें, दीपक रखते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि दीपक की लौ भगवान जी की तरफ हो।
भगवान गणेश की पूजा करें उनको कुमकुम का तिलक करें फिर भगवान विष्णू जी को हल्दी से तिलक करें
धनतेरस के दिन नहाने से पहले उबटन जरूर लगाएं एक बात का विशेष ध्यान रखें कि उपटन में हल्दी जरूर मिली हो। अगर आप उबटन नहीं लगा सकते तो नहाने के पानी में एक चुटकी हल्दी मिला कर नहाएं। नहाने का बाद पीला वस्त्र धारण करें और भगवान धनवंतरी की पूजा करें।
पंच त्रिंशदक्षर मंत्र ‘ऊं यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये धनधान्या समृद्धि देहि दापय स्वाहा।’मंत्र के जप से धन के स्वामी कुबेरजी अत्यंत प्रसन्न होते हैं। भगवान कुबेर और उनकी कृपा से जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती
कुबेर यंत्र की पूजा करते समय अष्टाक्षर मंत्र ‘ऊं वैश्रवणाय स्वाहा:,’ षोडशाक्षर मंत्र ‘ ऊं श्री ऊं ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नम:।’ का जप भी कर सकते हैं।
विनियोग मंत्र पढ़ने के बाद हाथ में लिया हुआ जल भूमि पर छिड़क दें। इसके बाद कुबेर जी का मंत्र ‘ऊं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:।’ का जप करें।
कुबेर यंत्र को दक्षिण दिशा की तरफ मुख कर स्थापित करें। हाथ में गंगाजल लेकर विनियोग मंत्र ‘अस्य श्री कुबेर मंत्रस्य विश्वामित्र ऋषि:वृहती छन्द: शिवमित्र धनेश्वरो देवता समाभीष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोग:’का जाप करें।
पूजा के स्थान पर उत्तर दिशा की तरफ भगवान कुबेर और धन्वन्तरि की मूर्ति स्थापना करनी चाहिए। भगवान कुबेर को सफेद मिठाई का भोग लगाना चाहिए। कुबेर महराज की पूजा करें तो वहां कुबेर यंत्र जरूर रखें।
मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:।
आरती
लक्ष्मी जी की आरती
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत हर-विष्णु-धाता ॥ॐ जय…
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ॐ जय…
तुम पाताल-निरंजनि, सुख-सम्पत्ति-दाता ।
जोकोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता ॥ॐ जय…
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता ॥ॐ जय…
जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥ॐ जय…
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता ।
खान-पान का वैभव सब तुमसे आता ॥ॐ जय…
शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता ॥ॐ जय…
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कई नर गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप शमन हो जाता ॥ॐ जय…
धनतेरस के दिन ही दिवाली के दिन पूजा करने के लिए लक्ष्मी-गणेश जी की प्रतिमा खरीदनी चाहिए। मान्यता है कि सोने-चांदी या पीतल के बर्तन खरीदने से घर में सौभाग्य, सुख-शांति और स्वास्थ्य का वास होता है।