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Holika Dahan 2022 Puja Vidhi, Muhurat: होलिका दहन पर करें इस वंदना मंत्र का जाप, दूर होंगी सभी समस्याएं

Holika Dahan 2022 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Time, Samagri, Mantra, Aarti in Hindi: सनातन धर्म में होलिका दहन बहुत विशेष पर्व माना गया है इसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। होली से एक दिन पहले होलिका दहन होता है। जानें होलिका दहन के मौके पर कैसे करें पूजा, किन लकड़ियों का करें इस्तेमाल। साथ ही जानें होलिका दहन के मौके पर क्या करें और क्या ना करें।

Holika Dahan 2022 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Time, Samagri, Mantra, Aarti in Hindi
Holika Dahan 2022

Holika Dahan 2022 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Time, Samagri, Mantra, Aarti: हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है। बुराई पर अच्छाई की जीत के इस पर्व में जितना महत्व रंगों का होता है, उतना ही होलिका दहन का भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि विधान से होलिका पूजन करने से सभी कष्टों का निवारण होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 

होली 2022 कब है, क्यों होलिका दहन के एक दिन बाद खेला जाएगा रंग, देखें पूजा समय

हिंदू धर्म ग्रन्थों के अनुसार, होलिका दहन (Hoilika Dahan 2022 Date) पूर्णिमा तिथि में सूर्यास्त के बाद करना चाहिए, लेकिन यदि इस बीच भद्राकाल हो, तो भद्राकाल में होलिका दहन नहीं करना चाहिए, इसके लिए भद्राकाल के समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए। होलिका दहन के लिए भद्रामुक्त पूर्णिमा तिथि का होना बहुत जरूरी है। हिंदू शास्त्रों में भद्राकाल को अशुभ माना गया है। ऐसी मान्यता है कि भद्राकाल में किया गया कोई भी काम सफल नहीं होता और उसके अशुभ परिणाम मिलते हैं। इस हिसाब से पंचांग देखें तो होली 19 मार्च (when is Holi in 2022) को मनाई जानी चाहिए। 

होली पर अपने दोस्तों और परिजनों को इन खूबसूरत शायरियों से दें मुबारकबाद

इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 17 मार्च 2022 को दोपहर 01:29 बजे से शुरू होकर 18 मार्च दोपहर 12:52 मिनट तक रहेगी। जबकि 17 मार्च को ही 01:19 बजे से भद्राकाल शुरू हो जाएगा और देर रात 12:58 बजे तक रहेगा, ऐसे में भद्राकाल होने के कारण शाम के समय होलिका दहन (When is Holika Dahan in 2022) नहीं किया जा सकेगा। इस लाइव ब्लॉग के माध्यम से जानें होलिका दहन 2022 की तिथि, शुभ मुहूर्त, समय, पूजा विधि, सामग्री और मंत्र।

Mar 17, 2022  |  04:33 PM (IST)
होलिका दहन पर करें विभूति वंदना मंत्र का जाप

वन्दितासि सुरेंद्रेण ब्रहमणा शङ्करेण च |

अतस्त्वं पाहि नो देवी भूते भूति प्रदे भव ||

Mar 17, 2022  |  04:03 PM (IST)
होलिका दहन पर करें इस मंत्र का जाप

दीपयान्यद्यतेघोरे चिति राक्षसि सप्तमे |

हिताय सर्व जगत प्रीतये पार्वति पतये ||

Mar 17, 2022  |  03:27 PM (IST)
होलिका दहन पर पहनें साफ वस्त्र

सर्वप्रथम होलिका दहन के लिए टहनियां, उपले, सूखी लकड़ियां, घांस-फूस आदि एकत्रित कर लें। होलिका दहन वाले दिन स्नान आदि कर साफ वस्त्र धारण करें।

Mar 17, 2022  |  02:33 PM (IST)
होली के दिन करें गणेश-अंबिका पूजन

गणेश-अंबिका पूजन के लिए हाथ में फूल व चावल लेकर भगवान गणेश का ध्यान करें और इस मंत्र का जाप करें। 
ऊं गं गणपतये नम: आह्वानार्र्थे पंचोपचार गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।।

Mar 17, 2022  |  02:08 PM (IST)
भगवान कृष्‍ण की पूजा इस तरह करनी चाहिए

होली पर कृष्‍ण और राधा की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इसका विशेष फल प्राप्त होता है। राधा और कृष्ण ने ही पहली बार होली खेली थी। राधा कृष्ण की प्रतिमा घर के मुख्‍य द्वार पर लगानी चाहिए। होली वाले दिन राधा कृष्‍ण की पूजा में रंग अबीर गुलाल पिचकारी घर के मंदिर में रखनी चाहिए। अबीर गुलाल राधा कृष्ण को लगाना चाहिए राधा जी को खिले रंग का गुलाल कृष्ण जी को मटमैला गुलाल लगाना चाहिए। ऐसा करने से पति पत्नी के संबंधों में मिठास बनी रहती है। परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है।

Mar 17, 2022  |  01:12 PM (IST)
होलिका दहन की पूजा सामग्री

होलिका दहन पर पूजा के लिए यह सामग्री इक्ट्ठा कर लें। प्रहलाद की प्रतिमा, गोबर की होलिका, रोली, अक्षत, फूल, फल, कच्चा सूत, साबुत हल्दी, पांच प्रकार के अनाज, मूंग, बताशे, मिठाईयां और कलश।

Mar 17, 2022  |  12:22 PM (IST)
होलिका दहन के दिन बरतें ये सावधानी

होलिका दहन के दिन इन चीजों को लेकर सावधानी बरती जानी चाहिए-

- होलिका दहन के दिन उजला खाद्य पदार्थ नहीं खाना चाहिए।
- मांगलिक कार्य भी नहीं करना चाहिए क्योंकि यह होलाष्क अवधि में आता है ।

Mar 17, 2022  |  11:43 AM (IST)
होली पर ऐसे करें हनुमान जी की पूजा

होली की रात हनुमानजी की पूजा और उपाय करें। उनसे जुड़ा यह उपाय कुछ इस प्रकार है - इसके लिए होली की रात में स्नान आदि करके पवित्र हो जाएं। यदि आप चाहें तो किसी हनुमान मंदिर जाएं या अपने घर पर ही हनुमानजी की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठकर पूजा करें। पूजन में हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें। चोला चढ़ाएं। विधि-विधान से पूजन करें। हार-फूल, प्रसाद आदि चढ़ाएं। आरती करें। यदि प्रसाद के रूप में गुड़-चने चढ़ाएंगे तो यह श्रेष्ठ रहेगा।

Mar 17, 2022  |  11:12 AM (IST)
रात्रि में हनुमानबाहुक का प्रयोग

होलिका दहन की रात्रि में हनुमानबाहुक का प्रयोग किसी भी बीमारी से मुक्त कर सकता है।हनुमानबाहुक की पूजा भी रोग व कष्ट मुक्ति के लिए रामबाण उपाय है।लाल मूंगे की माला से हनुमान जी के 12 नामों का जप किसी भी कष्ट से मुक्ति दिला देता है। इस बीच प्रतिदिन गाय को भरपेट भोजन दें। अन्न का दान करें। भगवान शिव को इत्र, जल व अबीर गुलाल अर्पित करें जिससे जीवन में सभी खुशियां आपको स्वतः शिव कृपा से प्राप्त हो जाएंगी।

Mar 17, 2022  |  10:37 AM (IST)
होलिका दहन के बाद क्या करें

होलिका दहन के बाद करें ये काम-

-आपने जो भी चीजें अग्नि में अर्पित की है उसके बाद सुख-शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
-होलिका के चारों ओर 7 बार परिक्रमा करके जल अर्पित करें क्योंकि ऐसा करने से घर में समृद्धि आती है।

Mar 17, 2022  |  10:13 AM (IST)
होलिका दहन से पहले क्या करना चाहिए?
  • होलिका दहन से पहले आपको और आपके सभी परिवार के सदस्यों को हल्दी का उबटन,सरसो तेल में मिलाकर पूरे बदन पर करना चाहिए।
  • फिर सूखने के बाद उसे शरीर से छुड़ाकर एक कागज में जमा कर लें।
  • फिर आप 5 या 11 गाय के उपले, एक मुट्ठी सरसो के दाने, नारियल का सूखा गोला लें।
  • फिर नारियल के सूखे गोले में जौ,तिल,सरसो का दाना,शक्कर,चावल और घी भर लें।
  • फिर उसे होलिका की जलती हुई अग्नि में प्रवाहित कर दें। साथ में उबटन के निकाले गए अंश को भी अग्नि में डाल दें 
  • होलिका दहन होने से पहले या फिर बाद में शाम के वक्त घर में उत्तर दिशा में शुद्ध घी का दीपक जलाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख शांति आती है।
  • होलिका का परिक्रमा करने का भी बहुत महत्व है। ऐसा करने से हर तरह की परेशानियां, रोग और दोष खत्म हो जाते हैं। इसलिए आप परिक्रमा जरूर करें।
Mar 17, 2022  |  09:43 AM (IST)
होलिका दहन की कथा

होलिका दहन की कथा शाम को पूजा के समय जरूर पढ़ें-

पौराणिक ग्रंथों में प्रचलित एक कथा के अनुसार श्रीहरि भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद का जन्म एक असुर परिवार में हुआ। राक्षस राज हिरण्याकश्यप ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर वरदान प्राप्त कर लिया था कि, संसार का कोई भी जीव-जंतू, देवी-देवता या राक्षस उसका वध ना कर सके। इसके बाद वह खुद को भगवान मानने लगा था, वह चाहता था कि लोग भगवान विष्णु की तरह उसकी भी पूजा करें। हिरण्याकश्यप को भगवान के प्रति प्रहलाद की भक्ति बिल्कुल पसंद नहीं थी, वहीं प्रहलाद किसी दूसरे चीज की चिंता किए बिना हमेशा प्रभु की भक्ति में लीन रहता था। प्रहलाद का यह स्वभाव हिरण्याकश्यप को बिल्कुल भी पसंद नहीं था। उसने प्रहलाद को कई दिनों तक बंदी बनाए रखने के बाद कड़ी यातनाएं दी, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा दृष्टि होने के कारण उसपर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इसे देख हिरण्याकश्यप काफी परेशान हुआ और उसने प्रहलाद को मारने के लिए होलिका को बुलाया। होलिका को आग में ना जलने का वरदान प्राप्त था। 

होलिका भक्त प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद को एक खरोंच भी नहीं आई और होलिका आग में जलकर राख हो गई। इस दिन से होलिका दहन की प्रथा शुरू हो गई। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।

Mar 17, 2022  |  09:14 AM (IST)
होली पर्व के पीछे पौराणिक मान्यता?

पौराणिक मान्यता के मुताबिक होली के दिन ही स्वयं को ही भगवान मान बैठे हिरण्‍यकश्‍युप ने भगवान की भक्ति में लीन अपने ही बेटे प्रह्लाद को बहन होलिका की गोद में बिठाकर जिंदा जलाना चाहता था । लेकिन भगवान ने भक्त प्रह्लाद पर कृपा की और प्रह्लाद के लिए बनाई गई चिता में होलिका जलकर भस्‍म हो गई हालांकि उसे अग्नि में नहीं जलने का वरदान हासिल था। प्रह्लाद भगवान की भक्ति करते हुए सुरक्षित अग्नि से बाहर निकल आया। उसके बाद से हर साल उसी तिथि को होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है, इसलिए इसे रंगवाली होली और दुलहंडी भी कहते हैं। 

Mar 17, 2022  |  08:55 AM (IST)
होलिका दहन में इन लकड़ियों को जलाना है अशुभ

होलिका दहन में इन लकड़ियों को जलाना माना जाता है अशुभ
- होलिका दहन में वट यानी बरगद के पेड़ की लकड़ी जलाना अशुभ माना जाता है, इसलिए इसकी लकड़ी जलाने से परहेज करना चाहिए।
- होलिका दहन में आम की लकड़ी को नहीं जलाना चाहिए। ऐसा करना काफी अशुभ माना जाता है। इसके अलावा किसी भी पेड़ की हरी लकड़ी को काटकर उसे होलिका दहन में उपयोग में नहीं लाना चाहिए।

Mar 17, 2022  |  08:27 AM (IST)
नवविवाहिता से क्यों नहीं कराया जाता होलिका दहन

होलिका दहन की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है। इस वजह से मान्यता है कि नवविवाहित महिलाओं को इस अग्नि को जलते हुए नहीं देखना चाहिए। इसी वजह से नवविवाहिता स्त्री से होलिका दहन भी नहीं कराया जाता है। 

Mar 17, 2022  |  07:56 AM (IST)
होलिका दहन की अग्नि ना देखें नवविवाहित स्त्रियां

होलिका दहन इस वर्ष 17 मार्च के दिन पड़ रही है। होलिका दहन के दिन लोगों को नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। कहा जाता है कि होलिका दहन के दिन नवविवाहित स्त्रियों को होलिका दहन की अग्नि नहीं देखनी चाहिए। नवविवाहिताओं के लिए इसे देखना अशुभ माना गया है, इससे जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

Mar 17, 2022  |  07:30 AM (IST)
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 9:20 से शुरू होगा और रात 10:31 मिनट तक रहेगा। यानी होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 01 घंटा 10 मिनट तक रहेगा। इसके बाद दूसरा शुभ मुहूर्त रात 12:58 से रात 2:12 बजे तक है। इसके बाद ब्रह्म मुहूर्त शुरू हो जाएगा।

Mar 17, 2022  |  07:10 AM (IST)
होलिका दहन पूजा मंत्र

होली पर कई टोटके भी क‍िए जाते हैं। होली पर इस मंत्र का जाप भाग्‍य उदय करने वाला और मुसीबतें दूर करने वाला माना जाता है। 
इस दिन पढ़ें ये मंत्र : 
अहकूटा भयत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै: अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम:
ध्‍यान रखें क‍ि इस मंत्र का जप एक, तीन या पांच माला यानी विषम संख्या में क‍िया जाता है।

Mar 17, 2022  |  07:10 AM (IST)
होलिका दहन पूजा विधि

होलिका दहन की पूजा के लिए  पहले अपने पास पूजा की सारी सामग्री रख लें। पूजा के लिए एक लोटे में जल रखें। साथ ही माला, चावल, फूल, रोली, गुड़, बताशे, कच्चा सूत, चंदन, मूंग, नारियल, साबुत हल्दी, गुलाल आदि रखें। नई फसल मसलन पके चने या गेहूं भी रखें। गोबर से बनी ढाल और दूसरे खिलौने भी पास रख लें। पूजा के लिए पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके बैठें। मुहूर्त के समय होलिका के चारों ओर कच्चे सूत को तीन या सात बार परिक्रमा करते हुए लपेटें। अब लोटे का शुद्ध जल और पूजा की सभी सामग्रियां एक एक करके होलिका को अर्पित करें। यहां आप पंचोपचार विधि यानी आराध्‍य की पांच तरीके से भी पूजा कर सकते हैं। पहले तस्‍वीर या मूर्ति का श्रृंगार करके फूल चढ़ाएं। धूप, अगरबत्‍ती जलाकर मंत्र पढ़ें। फ‍िर आरती करने के भोग चढ़ाएं। अंत में जल से अर्घ्य दें।

Mar 17, 2022  |  07:08 AM (IST)
कब करें होलिका दहन

हिंदू धर्म ग्रन्थों के अनुसार, होलिका दहन पूर्णिमा तिथि में सूर्यास्त के बाद करना चाहिए, लेकिन यदि इस बीच भद्राकाल हो, तो भद्राकाल में होलिका दहन नहीं करना चाहिए, इसके लिए भद्राकाल के समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए। होलिका दहन के लिए भद्रामुक्त पूर्णिमा तिथि का होना बहुत जरूरी है। हिंदू शास्त्रों में भद्राकाल को अशुभ माना गया है। ऐसी मान्यता है कि भद्राकाल में किया गया कोई भी काम सफल नहीं होता और उसके अशुभ परिणाम मिलते हैं।