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Jitiya, Jivitputrika Vrat 2021 Puja Vidhi, Muhurat: जितिया व्रत पारण का समय और उसके नियम

Jitiya Vrat, Jivitputrika Vrat 2021 Puja Vidhi, Vrat Katha, Muhurat, Paran Time, Mantra in Hindi: जितिया व्रत यानी जीवित पुत्रिका व्रत मनाया जा रहा है। बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड राज्य में प्रमुखता से यह पर्व मनाया जाता है। इस पर्व का खास महत्‍व है। जो माताएं 29 सितंबर 2021, बुधवार को यह व्रत रख रही हैं उन्हें 30 सितंबर 2021, गुरुवार को प्रातः काल इस व्रत का पारण करना चाहिए।

Jitiya Vrat, Jivitputrika vrat 2021 Live Updates
तस्वीर साभार:  Times Now
Jitiya Vrat, Jivitputrika vrat 2021 Live Updates

Jitiya Vrat, Jivitputrika Vrat 2021 Puja Vidhi, Vrat Katha, Muhurat: देशभर में धूमधाम से जितिया व्रत यानी जीवित पुत्रिका व्रत मनाया जा रहा है। बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड राज्य में प्रमुखता से यह पर्व मनाया जाता है। महिलाएं यह व्रत करती हैं और इसे काफी कठिन मना जाता है। इस व्रत को निर्जला रहकर किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है। जो महिलाएं पूरे विधि विधान से यह व्रत करती हैं उनकी सूनी गोद भर जाती है। 

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जो माताएं 29 सितंबर 2021, बुधवार को यह व्रत रख रही हैं उन्हें 30 सितंबर 2021, गुरुवार को प्रातः काल इस व्रत का पारण करना चाहिए। बिहार राज्‍य की उपमुख्‍यमंत्री ने प्रदेश की जनता को जितिया पर्व की बधाई दी है। हम आपको जितिया व्रत की कथा सुनने के लिए वीडियो (Jivitputrika Vrat Katha Video) भी दे रहे हैं। साथ ही ये भी आपको बताएंगे कि किस मुहूर्त में पूजा ना करें। यहां जानिए जीवित पुत्रिका व्रत का समय, पूजन विधि, कथा, पारण का समय और क्‍यों मनाया जाता है ये व्रत। जितिया व्रत का पारण हमेशा व्रत रखने वाले दिन के अगले दिन किया जाता है। 

Sep 30, 2021  |  06:50 AM (IST)
जितिया व्रत पारण का सही तरीका

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत का पारण हमेशा मुहूर्त के अनुसार ही करना चाहिए। जितिया व्रत का पारण हमेशा व्रत रखने वाले दिन के अगले दिन किया जाता है। 

Sep 29, 2021  |  02:54 PM (IST)
कब होगा जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत का पारण हमेशा मुहूर्त के अनुसार ही करना चाहिए। 

जितिया व्रत: 29 सितंबर 2021, बुधवार 

जितिया व्रत पारण: प्रातः काल, 30 सितंबर 2021, गुरुवार 

Sep 29, 2021  |  12:45 PM (IST)
जितिया व्रत की आरती  

ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥
           ओम जय कश्यप..

सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥  
          ओम जय कश्यप..

सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥
            ओम जय कश्यप..

सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥
         ओम जय कश्यप..

कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥
           ओम जय कश्यप..

नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
         ओम जय कश्यप..

Sep 29, 2021  |  11:29 AM (IST)
जितिया व्रत का पूजन मंत्र

यदि आप उस दिन जीमूतवाहन की इस आरती और मंत्रों से पूजा करें, तो ऐसी मान्यता है कि इससे जीमूतवाहन भगवान संतान की आयु दीर्घायु कर देते है। मंत्र- "कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।"

Sep 29, 2021  |  10:32 AM (IST)
भगवान शंकर ने माता पार्वती को बताया था महत्व

जितिया व्रत के बारे में भगवान शंकर ने माता पार्वती को बताया था कि यह व्रत संतान की सुरक्षा के लिए किया जाता है। 

Sep 29, 2021  |  09:57 AM (IST)
महाभारत काल से जुड़ा जितिया व्रत

पौराणिक ग्रंथों में इस व्रत का महत्व महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत युद्ध के दौरान चारो तरफ यह खबर फैल गई की अश्वथामा मारा गया, यह सुनकर अश्वथामा के पिता द्रोणाचार्य ने पुत्र शोक में अपने अस्त्र डाल दिए, तब द्रोपदी के भाई ने उनका वध कर दिया। 

पिता की मृत्यु के बाद अश्वथामा के मन में प्रतिशोध की ज्वाला भभक रही थी। अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए वह रात के अंधेरे में पांडवो के शिविर जा पहुंचा और उसने पांच लोगों का वध कर दिया, लेकिन पांडव जिंदा थे। परिणामस्वरूप पांडवो को अत्यधिक क्रोध आ गया और अर्जुन ने अश्वथामा से उसकी मणि छीन ली। जिससे अश्वथामा पांडवों से अत्यधिक क्रोधित हो गया और इसका बदला लेने के लिए उसने अभिमन्यू की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को मारने का षडयंत्र रच डाला। 

Sep 29, 2021  |  08:56 AM (IST)
ऐसे पड़ा जीवित्पुत्रिका व्रत का नाम

उसने उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को मारने के लिए ब्रम्हास्त्र का प्रयोग किया। भगवान श्रीकृष्ण इस बात से भलीभांति परिचित थे कि ब्रम्हास्त्र को रोक पाना असंभव होगा। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सभी पुण्यो का फल उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को दे दिया। जिसके फलस्वरूप उत्तरा के गर्भ में पल रहा बच्चा पुनर्जीवित हो गया। भगवान श्रीकृष्ण के पुण्य प्रताप से उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे के पुनर्जीवित हो जाने के कारण इस व्रत का नाम जीवित्पुत्रिका व्रत पड़ा।

Sep 29, 2021  |  08:27 AM (IST)
जीवित्पुत्रिका व्रत से पहले की परंपरा 

जीवित्पुत्रिका व्रत करने से पहले नोनी का साग खाने की परंपरा चली आ रही है। कहा जाता है कि नोनी का साग कैल्शियम और आयरन युक्‍त होता है और इसे खाने से व्रत के दौरान शरीर कमजोरी नहीं होता है। शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं होती है।

Sep 29, 2021  |  07:59 AM (IST)
जीवित्पुत्रिका व्रत पारण के बाद क्‍या करें

पूजा के दौरान सरसों का तेल और खल चढ़ाया जाता है। जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत के पारण के बाद महिलाएं लाल रंग का धागा अपने गले में पहनती हैं। व्रती महिलाएं जितिया का लॉकेट भी धारण करती हैं। पूजा हो जाने के बाद तेल बच्चों के सिर पर आशीर्वाद के तौर पर लगाने की परंपरा है।

Sep 29, 2021  |  07:36 AM (IST)
यहां सुन सकते हैं जितिया व्रत कथा (Jitiya Vrat Katha Video)
जितिया व्रत की कथा यूट्यूब पर हिंंदी और भोजपुरी भाषा में उपलब्‍ध है। आप चाहें तो यूट्यूब वीडियो से कथा सुन सकते हैं। कई कथावाचकों की आवाज में जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा आपको मिल जाएगी।
Sep 29, 2021  |  07:14 AM (IST)
बिहार की उपमुख्‍यमंत्री ने दी जितिया की बधाई
सोशल मीडिया पर भी जितिया पर्व की धूम है। बिहार राज्‍य की उपमुख्‍यमंत्री रेणु देवी ने बधाई देते हुए ट्वीट किया है- संतान की लंबी उम्र के लिए किए जाने वाले महान लोकपर्व जीतिया पर्व की आज से शुरुआत हो रही है। समस्त मातृशक्ति, माताओं को जीवितपुत्रिका (जीतिया) व्रत की हार्दिक शुभकामनायें एवं सभी बच्चों की लम्बी उम्र की मंगलकामना करती हूँ। जय श्री कृष्ण !!
Sep 29, 2021  |  07:06 AM (IST)
यहां कुंवारी लड़कियां भी करती हैं जितिया व्रत

झारखंड के पहाड़टोली, बमरजा, डुमरगड़ी, कइसरा, खटंगा, कंडरकेला, कुरकुरिया, बुढ़ीरोमा सहित कई गांवों में कुंवारी लड़कियां भी जितिया व्रत करती हैं। वह अच्छे वर की कामना के लिए जितिया का उपवास रखती हैं। कहते हैं इस दिन तीन कुंवारे लड़के जंगल से करम डाली लाते हैं। गाजे-बाजे के साथ कुंवारे लड़के करम डाली गांव के अखरा तक लाते हैं।यह परंपरा नई नहीं है बल्कि सदियों से चली आ रही है।

Sep 29, 2021  |  07:02 AM (IST)
जितिया व्रत की कथा ( भाग-1 Jitiya Vrat Katha) 

पौराणिक कथा के अनुसार गंधर्व राज जीमूतवाहन बड़े ही धर्मात्मा पुरुष थे। वह युवावस्था में ही राजपाट छोड़कर वन में पिता की सेवा करने चले गए थे। एक दिन भ्रमण करते हुए उन्हें नाग माता मिली। उन्हें देखकर जीमूतवाहन ने उनके विलाप करने का कारण पूछा। नाग माता ने उन्हें बताया कि नागवंश गरुड़ से काफी परेशान है। उन्होंने बताया वह वंश की रक्षा करने के लिए गरुड़ से समझौता किया था कि वह प्रतिदिन उसे एक नाग देंगे जिसके बदले में वह हमारा सामूहिक शिकार नहीं करेगा।

Sep 29, 2021  |  07:02 AM (IST)
जितिया व्रत की कथा (भाग-2)

इसी बात को रखने के लिए नागमाता के पुत्र को गरूड़ के सामने जाना पड़ रहा है। नागमाता की बात सुनकर जीमूतवाहन ने नागमाता को वचन दिया कि वह उनके पुत्र को कुछ नहीं होने देंगे और वह उनके जीवन की रक्षा करेंगे। तभी जीमूतवाहन ने नाग माता के पुत्र की जगह कपड़े में खुद को लपेट कर गुरुड़ के सामने खुद को पेश किया। उसी जगह पर जहां गरूड़ आया करता था।

Sep 29, 2021  |  07:02 AM (IST)
जितिया व्रत की कथा (भाग-3)

कुछ ही देर में गरुड़ वहां पहुंचा और जीमूतवाहन को अपने पंजे में दबाकर पहाड़ की तरफ उड़ना शुरू कर दिया। गरुड़ को उड़ते समय कुछ अजीब सा महसूस हुआ उसने सोचा इस बार सांप की हमेशा की तरह चिल्लाने और रोने की आवाज क्यों नहीं आ रही है। यह सोचकर गरुड़ तुरंत कपड़े को हटाना शुरू किया। कपड़े हटते ही उसने वहां सांप की जगह जीमूतवाहन को पाया। तब जीमूतवाहन ने सारी कहानी गरुड़ से कह सुनाई। यह बात सुनकर गरुड़ ने जीमूतवाहन को छोड़ दिया और सांपों को ना खाने का वचन भी दे दिया। इस प्रकार नागमाता और उनका परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित हो पाई। 

Sep 29, 2021  |  06:50 AM (IST)
इन मुहूर्त में भूलकर भी न करें पूजन

राहुकाल- दोपहर 12 बजे से 01 बजकर 30 मिनट तक। 
यमगंड- सुबह 07 बजकर 30 मिनट से 09 बजे तक। 
गुलिक काल- सुबह 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक। 
दुर्मुहूर्त काल- दोपहर 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक।

Sep 29, 2021  |  06:42 AM (IST)
इसलिए करते हैं जीवित्पुत्रिका व्रत

जीवित्पुत्रिका व्रत का वर्णन महाभारत में भी आता है। इसका संबध पाण्डवों के प्रपौत्र परिक्षित के मृत्यु के बाद पुनः जीवित होने से जोड़ते हैं। मान्‍यता है कि इस दिन व्रत रखने से वंश की वृद्धि होती है, साथ ही मनोकामनाएं पूरी होती है। इस व्रत में तीसरे दिन सूर्य को अर्घ्‍य देने के बाद महिलाएं अन्‍न ग्रहण कर सकती हैं। पारण वाले दिन झोर भात, मरुवा की रोटी और नोनी का साग खाया जाता है। 

Sep 29, 2021  |  06:38 AM (IST)
जितिया व्रत की पूजन विधि

जिस प्रकार छठ और निर्जला एकादशी में निर्जला रहकर व्रत किया जाता है उसी प्रकार इस व्रत को भी करना होता है।​

  • जितिया व्रत से एक दिन पहले यानी सतमी के दिन स्नान कर खाना होता है
  • अष्टमी के दिन सुबह-सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करना चाहिए
  • फिर सूर्य देवता की प्रतिमा पर जल चढ़ाकर स्नान कराना चाहिए।
  •  स्नान कराने के बाद सूर्य देवता की धूप, दीप जलाकर आरती करनी चाहिए।
  • आरती  के बाद भगवान को प्रसाद चढ़ाकर भोग लगाना चाहिए।
  • अष्टमी तिथि की समाप्ति के बाद सूर्य देवता को अर्ध्य देकर ही पारण करें।
Sep 29, 2021  |  06:37 AM (IST)
जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त

जितिया व्रत यानी जीवित पुत्रिका व्रत हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए बेहद कठिन व्रत माना जाता है। इस व्रत को महिलाएं निर्जला रहकर करती हैं। 

अष्टमी तिथि प्रारंभ- 28 सितंबर को शाम - 6 बजकर 16 मिनट से शुरू 
अष्टमी तिथि की समाप्ति- 29 सितंबर की रात 8 बजकर 29 मिनट तक

Sep 29, 2021  |  06:37 AM (IST)
28 सितंबर से लेकर 30 सितंबर मनाया जाएगा जीतिया व्रत

जितिया का व्रत 28 सितंबर से लेकर 30 सितंबर तक मनाया जाएगा। परंपरा और शास्त्रों के मुताबिक यह व्रत महाभारत काल से ही जुड़ा हुआ। नवमी के दिन महिलाएं सूर्य देवता को अर्घ्य देकर ही अन्न-जल ग्रहण करती हैं। जो महिलाएं जितिया व्रत करती है या करने वाली हैं, वह पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि जान सकती हैं।