Govardhan Puja Vidhi 2024, Muhurat LIVE: गोवर्धन पूजा कैसे मनाते हैं , यहां जानिए स्टेप बाय स्टेप पूरी विधि, आरती सहित सारी जानकारी
Govardhan Puja Vidhi 2024, Pujan Timing, Samagri, Govardhan Maharaj ke 56 Bhog, Aarti, Mantra, Sampurna Puja Ki Vidhi Hindi LIVE Updates: गोवर्धन पूजा का पावन पर्व इस साल 2 नवंबर को मनाया जा रहा है। ऐसे में हम आपको यहां बताएंगे गोवर्धन पूजा कैसे की जाती है, इस पूजा में क्या-क्या सामान लगता है और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।
Govardhan Puja Katha In Hindi
गोवर्धन पूजा का टाइम 2024 (Govardhan Puja 2024 Muhurat Time)
- गोवर्धन पूजा 2 नवंबर 2024, शनिवार
- गोवर्धन पूजा प्रातः काल मुहूर्त 06:34 से 08:46
- गोवर्धन पूजा सायाह्नकाल मुहूर्त 03:23 PM से 05:35 PM
- प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ 01 नवम्बर 2024 को 06:16 PM
- प्रतिपदा तिथि समाप्त 02 नवम्बर 2024 को 08:21 PM
गोवर्धन पूजा विधि (Govardhan Puja Vidhi In Hindi)
- गोवर्धन पूजा सुबह या शाम किसी भी समय कर सकते हैं।
- इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की आकृति बनाकर उन्हें फूलों से सजाया जाता है।
- गोवर्धन की नाभि वाली जगह पर एक मिट्टी का दीपक रखा जाता है। फिर इस दीपक में दही, शहद, बताशे, दूध, गंगा जल आदि चीजें डाली जाती हैं और पूजा के बाद इसे प्रसाद रूप में सभी लोगों में बांट दिया जाता है।
- गोवर्धन की पूजा के समय लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए सार बार परिक्रमा की जाती है।
- इसके अलावा इस दिन गाय, बैल और खेती में काम आने वाले पशुओं की भी विशेष पूजा होती है।
गोवर्धन पूजा की सामग्री (Govardhan Puja Samagri)
रोली, अक्षत, चावल, बताशा, नैवेद्य, मिठाई, गंगाजल, पान, फूल, खीर,सरसों के तेल का दीपक,गाय का गोबर गोवर्धन पर्वत की फोटो, दही, शहद, धूप-दीप, कलश, केसर, फूल की माला, कृष्ण जी की प्रतिमा या तस्वीर, गोवर्धन पूजा की कथा की किताब।
गोवर्धन पूजा के दिन होती है विश्वकर्मा पूजा (Govardhan Puja Ke Din Vishwakarma Puja)
गोवर्धन पूजा के दिन कई जगह भगवान विश्वकर्मा की भी पूजा की जाती है। इस पूजा में लोग मुख्य रूप से कारखानों और मशीनों की पूजा करते हैं।
गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट उत्सव (Govarhan Puja Or Annakut Utsav)
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन तरह-तरह के अन्न का भगवान को भोग लगाया जाता है। बहुत सी जगहों पर इस दिन पूड़ी और बाजरे की खिचड़ी भी तैयार की जाती है।
गोवर्धन पूजा की विधि- Govardhan pooja ke vidhi
गोवर्धन पूजा पर गाय, भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा का विशेष महत्व होता है। गोवर्धन पूजा करने के लिए आप सबसे पहले घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाएं। इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें।Can we Eat nonveg on govardhan pooja: गोवर्धन के दिन नॉनवेज खा सकते हैं
नहीं, गोवर्धन पूजा के दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन तामसिक चीज़ों का सेवन नहीं करना चाहिए. गोवर्धन पूजा के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए।गोवर्धन पूजा पर अन्नकूट का भोग
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट त्योहार के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को कई तरह के अन्न, फल और सब्जियों से बने पकवान का भोग लगाया जाता है। अन्नकूट का भोग बनाने के लिए कई तरह की सब्जियां, दूध और मावे से बने मिष्ठान और चावल का प्रयोग किया जाता है। अन्नकूट में ऋतु संबंधी अन्न, फल, सब्जियां का प्रसाद बनाया जाता है। इस अन्नकूट को पहाड़ सा बनाकर भगवान कृष्ण को समर्पित किया जाता है। इसके बाद सभी को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।गोवर्धन पूजा मुहूर्त 2024 (Govardhan Puja Muhurat 2024)
गोवर्धन पूजा का प्रातःकाल मुहूर्त 2 नवंबर की सुबह 06:34 से 08:46 तक रहेगा। वहीं गोवर्धन पूजा सायाह्नकाल मुहूर्त दोपहर 3:23 से शाम 5:35 बजे तक रहेगा।Govardhan Puja 2024 Shubh Muhurat (गोवर्धन पूजा 2024 शुभ मुहूर्त)
गोवर्धन पूजा हर वर्ष कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मनाई जाती है। इस साल इस तिथि की शुरुआत 01 नवंबर को शाम 06 बजकर 16 मिनट पर होगी और इसका समापन 2 नवंबर 2024 को रात 08 बजकर 21 मिनट पर होगा। ऐसे में ये पर्व 2 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:34 से 08:46 तक रहेगा। वहीं दूसरा मुहूर्त दोपहर 03:23 से 05:35 तक रहने वाला है।गोवर्धन पूजा के दिन क्या करते हैं (Govardhan Puja Kaise Manate Hai)
गोवर्धन पूजा का त्योहार प्रकृति और भगवान श्री कृष्ण को समर्पित होता है। ऐसे में इस मौके पर देशभर के मंदिरों में धार्मिक आयोजन होते हैं और जगह-जगह भंडारे होते हैं। पूजन के बाद लोगों में भोजन प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। इसके अलावा इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाने का भी बड़ा महत्व है। मान्यता है इससे कृष्ण भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है।Govardhan Puja Mantra (गोवर्धन पूजा मंत्र)
गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।
लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता।
घृतं वहति यज्ञार्थ मम पापं व्यपोहतु।।
govardhan puja kaise karen: गोवर्धन पूजा कैस करें
गोवर्धन पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करें।फिर शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं।
इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें।
भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें।
इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।
govardhan puja kis liye manaya jata hai: गोवर्धन पूजा किस लिए मनाया जाता है
गोवर्धन पूजा करने के पीछे धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण इंद्र का अभिमान चूर करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गोकुल वासियों की इंद्र से रक्षा की थी।गोवर्धन पूजा की कथा (Govardhan Puja Katha)
गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा के अनुसार द्वापर युग में एक बार देवराज इंद्र को अपने ऊपर अभिमान हो गया था। इंद्र का अभिमान चूर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने एक अद्भुत लीला रची। श्री कृष्ण में देखा कि एक दिन सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे थे और किसी पूजा की तैयारी में व्यस्त थे। इसे देखते हुए कृष्ण जी ने माता यशोदा से पूछा कि यह किस बात की तैयारी हो रही है?कृष्ण की बातें सुनकर यशोदा माता ने बताया कि इंद्रदेव की सभी ग्राम वासी पूजा करते हैं जिससे गांव में ठीक से वर्षा होती रहे और कभी भी फसल खराब न हो और अन्न धन बना रहे। उस समय लोग इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए अन्नकूट (अन्नकूट का महत्व)चढ़ाते थे। यशोदा मइया ने कृष्ण जी को यह भी बताया कि इंद्र देव की कृपा से ही अन्न की पैदावार होती है और उनसे गायों को चारा मिलता है। इस बात पर श्री कृष्ण ने कहा कि फिर इंद्र देव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा होनी चाहिए क्योंकि गायों को चारा वहीं से मिलता है। इंद्रदेव तो कभी प्रसन्न नहीं होते हैं और न ही दर्शन देते हैं। इस बात पर बृज के लोग इंद्र देव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। यह देखकर इंद्र देव क्रोधित हुए और उन्होंने मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। इंद्रदेव ने इतनी वर्षा की कि उससे बृज वासियों को फसल के साथ काफी नुकसान हो गया। ब्रजवासियों को परेशानी में देखकर श्री कृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठा लिया और सभी ब्रजवासियों को अपने गाय और बछड़े समेत पर्वत के नीचे शरण लेने के लिए कहा। इस बात पर इंद्र कृष्ण की यह लीला देखकर और क्रोधित हो गए और उन्होंने वर्षा की गति को और ज्यादा तीव्र कर दिया। तब श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप पर्वत के ऊपर विराजमान होकर वर्षा की गति को नियंत्रित करें और शेषनाग से कहा आप मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें।
इंद्र लगातार सात दिन तक वर्षा करते रहे तब ब्रह्मा जी ने इंद्र से कहा कि श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं और उन्हें कृष्ण जी की पूजा की सलाह दी। ब्रह्मा जी की बात सुनकर इंद्र ने श्री कृष्ण से क्षमा मांगी और उनकी पूजा करके अन्नकूट का 56 तरह का भोग लगाया। तभी से गोवर्घन पर्वत पूजा की जाने लगी और श्री कृष्ण को प्रसाद में 56 भोग चढ़ाया जाने लगा।
govardhan ke puja kaise hoti hai: गोवर्धन की पूजा कैसे होती है
जा में गोवर्धन भगवान की परिक्रमा करते हैं, आरती की जाती है और भोग लगाकर प्रसाद सभी में वितरित किया जाता है. गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहा जाता है. इस दिन खाद्य सामग्रियों से पर्वत बनाकर भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष अर्पित किया जाता है. इसे अन्न का पर्वत भी कहते हैं।Govardhan Puja Or Annakut Puja: अन्नकूट क्यों मनाया जाता है?
अन्नकूट उत्सव गोवर्धन पूजा के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण को कई तरह के अन्न का मिश्रण भोग के रूप में भगवान कृष्ण को चढ़ाया जाता है।Govardhan Puja 2024: गोवर्धन पूजा कैसे मनाई जाती है?
गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन बनाये जाते हैं। उन्हें फूलों से सजाया जाता है और सुबह और शाम के दौरान उनकी पूजा की जाती है। पूजा के बाद गोवर्धन जी की सात बार परिक्रमा और उनकी जय की जाती है।गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है
ऐसी मान्यता है गोवर्धन पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में धन, संतान और गौ रस की वृद्धि होती है।गोवर्धन पूजा में क्या क्या सामग्री चाहिए?
गाय का गोबर, रोली, मौली, अक्षत, कच्चा दूध, फूल, धूप, दीपक, नैवेद्य, फल, मिठाई, दूध, दही, शहद, घी, शक्कर, फूलों की माला, गन्ने, बताशे, चावल, मिट्टी का दिया,भगवान् कृष्ण की प्रतिमा।Govardhan Puja Vidhi 2024: गोवर्धन पूजा का क्या अर्थ है?
गोवर्धन पूजा का अर्थ होता है गोवर्धन की पूजा। इस दिन गोधन या गायों के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा प्रकट करने के लिए गोवर्धन की पूजा की जाती है। इसे दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है।© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited