Shree Koti Mata: इस मंदिर में पति- पत्नी का साथ में पूजा करना है मना, ऐसा करने से हो सकता है नुकसान

Devi Darshan, Part 11: हिमाचल प्रदेश के एक देवी मंदिर में पति-पत्नी का साथ में जाना और देवी की पूजा करना सख्त मना है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा बताई जाती है।

Shrai Koti Mata Temple, श्री कोटि माता मंदिर
Shrai Koti Mata Temple, श्री कोटि माता मंदिर 
मुख्य बातें
  •  हिमाचल श्राई कोटि माता  मंदिर में मना है जोड़े में पूजा करना
  • कार्तिकेय के विवाह न करने के प्रण से माता पार्वती हो गई दुखी
  • क्रोध में देवी ने दिया था ये श्राप, जोड़े में यहां कोई पूजा नहीं करेगा

Shree Koti Mata: हिमाचल प्रदेश के रामपुर स्थित श्री कोटि माता मंदिर जिसे श्राई कोटि माता मंदिर के नाम से भी जानते हैं, यहां दंपति का साथ पूजा करना मना है। मान्यता है कि यहां जोड़े में पूजा नहीं करनी चाहिए वर्ना जोड़ी टूट जाती है। घने जंगलों में बसा देवी का ये मंदिर अपनी अनोखी परंपरा के लिए जाना जाता है। अन्य मंदिरों में यह नियम होता है कि यदि कोई विवाहित है तो जोड़े में ही उसे पूजा करनी चाहिए, तभी उसे पूजा का लाभ मिला है, लेकिन श्री कोटि माता मंदिर का नियम एकदम अलग है। इस मंदिर में पति पत्नी को एक साथ माता की पूजा अर्चना करने पर पाबंदी लगाई गई है। इस मंदिर में आने वाले पति-पत्नी मंदिर में साथ आ तो सकते है, लेकिन देवी की पूजा और दर्शन के लिए अलग-अलग ही जाना होता है।

इस परंपरा के पीछे है पौराणिक कारण

एक बार कार्तिकेय और गणपति जी में इस बात पर लड़ाई हुई कि किसका विवाह पहले होगा। दोनों लड़ते हुए जब भगवान शिव व देवी पार्वती के पास पहुंचे तो भगवान शिव ने कहा कि दोनों में से जो ब्रह्मांड के चक्कर लगा कर सबसे पहले पहुंचेगा, उसका विवाह पहले किया जाएगा।

इतना सुनते ही कार्तिकेय अपने तेज वाहन मोर को लेकर ब्रम्हांड का चक्कर लगाने के लिए निकल पड़े, लेकिन भगवान गणेश ने यहां बुद्धि से काम लिया। वह जानते थे कि उनका वाहन चूहा धीमे चलेगा इसलिए उन्होंने ब्रह्मांड का चक्कर लगाने की जगह अपने माता पिता का चक्कर लगा लिया और कहा कि यही मेरे ब्रह्मांड हैं।

उधर जब कार्तिकेय ब्रह्मांड का चक्कल लगा कर पहुंचे तो देखा कि गणपति जी उनसे पहले वहां मौजूद थे और इतना ही नहीं उनका विवाह भी हो चुका था। यह सब देख कर कार्तिकेय बहुत क्रोधित हुए और कभी विवाह ना करने की प्रतिज्ञा के साथ ही वह रुष्ठ होकर हिमालय के श्री कोटी माता मंदिर के पास आ कर तप करने लगे। अपने पुत्र कार्तिकेय के विवाह ना करने की प्रतिज्ञा को जानकर पार्वती अत्यधिक दुखी हो गईं और दुख और क्रोध में यह श्राप दे दिया कि यहां जो भी जोड़ा साथ में देवी का दर्शन करेगा उसका जोड़ा टूट जाएगा। इसके बाद से इस मंदिर में कभी भी कोई जोड़ा साथ में पूजा नहीं करता।

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