मुस्लिम शासकों ने बनवाए थे अयोध्या और लखनऊ के ये दो हनुमान मंदिर

धार्मिक स्‍थल
Updated Jun 09, 2020 | 08:53 IST | Ritu Singh

 Bajrangi ka Bal : हनुमान जी के दो प्रसिद्ध मंदिर ऐसे हैं जिनका निर्माण और जीर्णोद्धार मुस्लिम राजाओं ने कराया था। ये दोनों ही मंदिर हिंदुओं के प्रमुख मंदिर माने गए हैं। 

Bajrangbali, बजरंगबली
Bajrangbali, बजरंगबली 
मुख्य बातें
  • आयोध्या का हनुमान गढ़ी मंदिर राजा मंसूर ने बनवाया था
  • अलीगंज का हनुमान मंदिर नवाब की बेगम रबिया ने बनवाया था
  • हनुमान जी के चमत्कार को देख उन्होंने मंदिर बनवाया था

यह सुन कर अजीब जरूर लगेगा, लेकिन ये सच है कि हनुमान जी के दो मंदिर मुस्लिम भक्तों ने बनवाए थे। ये मुस्लिम हनुमान भक्त तब हुए, जब उन्हें विपदा और संकट से निकालने में हनुमत कृपा काम आई थी। देश के ये दो प्रमुख हनुमान मंदिर हिंदुओं की आस्था का बड़ा केंद्र हैं। आयोध्या का हनुमानगढ़ी मंदिर और लखनऊ का अलीगंज हनुमान मंदिर मुस्लिम राजाओं ने बनवाया था। आखिर ऐसा क्या हुआ था कि इस मंदिर को बनवाने के लिए मुस्लिम आगे आए और ये मुस्लिम राजा कौन थे, आइए जानें।

हनुमान गढ़ी  

भगवान राम की नगरी अयोध्या में स्थित  हनुमान गढ़ी मंदिर का निर्माण मुस्लिम राजा ने कराया था। बताते हैं कि करीब 300 साल पहले यहाँ के सुलतान मंसूर अली हुआ करते थे और एक रात उनके इकलौते बेटे की तबियत ऐसी खराब हुई की उसके प्राण-पखेरू ही उड़ने लगे। तब सुलतान मंसूर अली से उनके दरबार में ही किसी ने हनुमान जी आराधना करने की सलाह दी। सुलतान को पहले तो हिचक हुई लेकिन बेटे को तड़पता देख वह हनुमान जी के शरण में गए और प्रार्थना की कि उनके बेटे की जान वह बचा दें। मन से बजरंगबली को याद करते ही उनके बेटे की सांसें सामान्य होने लगीं और वह ठीक हाहे गया। इसके बाद सुलतान की आस्था बजरंगबली में ऐसी जागी की उन्होंने 52 बीघा जमीन मंदिर और इमली वन के नाम कर दी। संत अभयारामदास के सहयोग और निर्देशन में यहां हनुमान जी का विशाल मंदिर बनाया गया। संत अभयारामदास निर्वाणी अखाड़ा के शिष्य थे और यहाँ इन्होंने अपने सम्प्रदाय का अखाड़ा भी स्थापित किया था।

लखनऊ के अलीगंज का हनुमान मन्दिर

200 साल पहले पूर्व अवध के नवाब मुहम्मद अली शाह उनकी बेगम रबिया को औलाद सुख नसीब नहीं हो रही थी। काफी मन्नतों और गुजारिश के बाद भी औलाद न होने से दोनों बेहद दुखी थे। एक बार बेगम रबिया को किसी ने एक संत के पास जाने की सलाह दी। हालांकि वह संत हिंदू थे, लेकिन बेगम इतनी दुखी हो चुकी थी कि यह सोच कर मौका गंवाना नहीं चाहती थीं। वह संत के पास गई और संत ने उन्हें हनुमान जी आराधना करने की सलाह देते हैं। बेगम हनुमान जी की आराधना करने लगीं और एक दिन बेगम को सपने में हनुमान जी के दर्शन हुए। हनुमान जी ने बेगम से कहा कि इस्लामबाड़ी टीले के नीचे दबी उनकी मूर्ति निकाल कर मंदिर का निर्माण करा दें। टीले की खुदाई कराई गई तो हनुमान जी की प्रतिमा निकली।  तब बेगम ने हनुमान जी के कहे अनुसार उस मूर्ति को निकलवा कर मंदिर में स्थापित कराया। हालांकि जहां बेगम ने मंदिर बनवाया वहां पहले से मन्दिर था लेकिन वह काफी जीर्ण हो चुका था, तब बेगम ने मंदिर का जीर्णोधार कराया। इसके बाद बेगम को संतान सुख की प्राप्ति हुई। ये मंदिर हिंदुओं का प्रमुख मंदिर बन चुका है।

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