June 2021 Pradosh Vrat: इस दिन रखा जाएगा जून का पहला प्रदोष व्रत; जानिए तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि

Pradosh Vrat June 2021: जून महीने का पहला प्रदोष व्रत जल्द आने वाला है। यहां जानिए भगवान शिव की पूजा वाले इस पर्व की अगली तिथि, मुहूर्त समय, महत्व और पूजा विधि।

June month First Pradosh Vrat
जून महीने का पहला प्रदोष कब है 
मुख्य बातें
  • हर वर्ष कुल 24 प्रदोष व्रत मनाए जाते हैं यानी हर महीने शुक्ल और कृष्ण पक्ष में दो प्रदोष। 
  • हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत में की जाती है भगवान शिव की पूजा।
  • मान्यता अनुसार, प्रदोष व्रत पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा है बहुत लाभदायक।

June 2021 Pradosh Vrat Significance: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है हर वर्ष कुल 24 प्रदोष व्रत रखे जाते हैं यानी महीने में दो प्रदोष व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार, हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है और इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करना कल्याणकारी माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने के साथ शिव चालीसा, शिव पुराण तथा शिव मंत्रों का जाप करना भी सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इस दिन भगवान शिव की पूजा-आराधना श्रद्धा-भाव के साथ करता है उसके सभी बिगड़े काम बन जाते हैं तथा घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। मान्यता के अनुसार, जो भोलेनाथ की पूजा करता है उसके सभी रोग दूर हो जाते हैं। 

जून महीने का पहला प्रदोष व्रत कब है? (June 2021 First Pradosh Vrat Tithi Muhurat / Date Time)

जून महीने का पहला प्रदोष व्रत: 7 जून 2021, सोमवार 
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ - 7 जून 2021 सुबह (08:48)
त्रयोदशी तिथि समाप्त - 8 जून 2021, मंगलवार (11:24)

प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi June 2021)
प्रदोष व्रत पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कर लें  और अपने पूजा घर को साफ करने के बाद भगवान शिव की मूर्ति को स्थापित कीजिए। मूर्ति स्थापित करने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती को अक्षत, फूल, धूप, चंदन, दक्षिणा और नैवेद्य अर्पित कीजिए। मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए महिलाएं प्रदोष व्रत के दिन लाल चुनरी और सुहाग का जोड़ा अर्पित करें।

भगवान शिव और माता पार्वती के सामने व्रत करने का संकल्प लेने के बाद दोनों की आरती कीजिए। पूजा के दौरान शिव पुराण, शिव चालीसा और शिव मंत्रों का जाप कीजिए। प्रदोष व्रत के दिन आपको प्रदोष काल में ठीक इसी तरह पूजा करना है। 

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